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पम्पी’ तो चले ‘गए’, ‘छोड’़ गए ‘लाखों’ का ‘कर्ज’

पम्पी’ तो चले ‘गए’, ‘छोड’़ गए ‘लाखों’ का ‘कर्ज’

-कर्ज का खामियाजा उनके पुत्र जसकीरत सिंह को चुकानी पड़ी, पठान टोला के जगदीप धुसिया ने पिता के कर्ज को चुकता न करने के आरोप में दर्ज कराया मुकदमा

-जब कर्ज खाते में दिया गया तो फिर बेटे ने 3.25 लाख का कर्ज क्यों नहीं चुकता किया?

बस्ती। श्री हरगुरु फिलिगं सेंटर बड़ेबन के प्रोपराइटर स्व. सरदार जगजीत सिंह उर्फ पम्पी का दुनिया से जाना जितना हैरान करने वाला रहा है, उससे अधिक हैरान करने वाला मात्र तीन लाख 25 हजार के लिए पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना। अगर यह मुकदमा किसी अन्य आरोप में दर्ज हुआ होता तो उतनी चर्चा नहीं होती, जितनी चर्चा पिता के द्वारा लिए गए कर्ज को पुत्र के द्वारा अदा न किए जाने पर हो रही है। हर कोई सरदार पम्पी के जाने से दुखी है, और इनकी आत्मा की शांति के लिए हर किसी ने प्रार्थना किया। सिख समाज के साथ जिले का हर वर्ग स्व. पम्पी के परिवार के साथ खड़ा रहा। हत्या या आत्महत्या को लेकर स्व. पम्पी की मौत का राज हर कोई जानना चाहता था। घटना के लगभग आठ-नौ माह बाद जब पुत्र जसकीरत सिंह के खिलाफ कोतवाली में दो दिसबंर 25 को एसपी के निर्देष पर जो मुकदमा पठानटोला के जगदीप धुसिया ने दर्ज कराया, उससे पूरा जिला एक बार फिर से चकित है। लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं, कि क्या पुत्र के पास तीन लाख 25 हजार की भी व्यवस्था नहीं थी, जिससे पिता के कर्ज को चुकता करके उनकी आत्मा को शंति पहुंचाया जा सके। यह भी नहीं कि कर्ज नकद लिया/दिया गया, जिसका कोई सबूत न हो, यहां पर तो तीन चरणों में फर्म के खाते में कारोबार करने के लिए उधार के रुप में पैसा दिया गया।

दर्ज कराए गए एफआईआर में जगदीप धुसिया ने कहा कि वह पेटोल पंप एवं वाइन का कारोबार वाल्टरगंज में करता है। कहा कि विगत कुछ दिनों पूर्व श्री हरगुरु फिलिगं के प्रोपराइटर जगजीत सिंह उर्फ पम्पी को उनके मांग पर टैंकर से डीजल और पेटोल मंगाने के लिए उनके एकाउंट में तीन चरणों में तीन लाख 25 लाख टांसफर किया। जिसके सारे रिकार्ड मेरे पास उपलब्ध है। कहा कि 24 अप्रैल 25 को 50 हजार, 29 अप्रैल 25 को 85 हजार और 30 अप्रैल 25 को दो लाख सहित कुल तीन लाख 25 हजार दिया। कहा कि वर्तमान में पम्पी का देहांत हो गया, और उनके सारे चल और अचल संपत्ति के अकेला वारिश पम्पी के पुत्र जसकीरत सिंह है। कहा कि यह परिवार के साथ रामेष्वरपुरी में अपनी कोठी में रहते है। कहा कि जब मैने पिता को दिए गए उधार का पैसा मांगा तो आनाकानी करने लगे, जिससे मेरी आर्थिक और मानसिक क्षति हुई। लोग कह भी रहें हैं, जिस नामी परिवार के साथ पर कभी किसी के साथ विवाद तक नहीं हुआ, अगर उस परिवार के अकेले वारिष के खिलाफ पिता के कर्ज को चुकता न करने के आरोप में मुकदमा दर्ज होता तो परिवार की तो बदनामी होगी ही। यह उन लोगों के लिए एक सबक हैं, जो कर्ज लेकर या तो कारोबार करते हैं, या फिर बच्चों की शादी करते या फिर इलाज करवाते है। वैसे भी बस्ती में कर्ज को लेकर कई परिवार काफी बदनाम हो चुके हैं, अनेक आत्महत्या तक कर चुके है। जो लोग यह कहते हैं, कि बाप का किया हुआ बेटा भरता है, उन्हें दर्ज एफआईआर के बारे में अवष्य सोचना चाहिए, क्यों कि जमाना काफी बदल गया, लोग बदल गए, मां-बाप के प्रति बच्चों का नजरिया बदल चुका है। कहा भी जाता है, कि ऐसा कर्ज किस काम का, जिसके चलते कोई दुनिया में ही न रहे और जिसके चलते एफआईआर का दंश पूरे परिवार को झेलना पड़े।

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