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थैंक्स गिल्लम चौधरी, आप ने हम्हें बनाया लखपति
-गिल्लम चौधरी को साथ देने वाले 24 जिला पंचायत सदस्यों को मिला तीन-तीन लाख
-संजय चौधरी ने 72 लाख में सबका मुंह बंद कर दिया, अब यह लोग कभी न तो बैठक को शून्य करने की मांग करेगें और अध्यक्ष के खिलाफ कोई आवाज उठाएगें
-आखिर क्यों संजय चौधरी को देनी पड़ी इतनी बड़ी कीमत? कहां से इन्होंने 72 लाख दिया? क्या होटल को या फिर निर्माणधीन भवन को गिरवी रखकर बोलती बंद किया
-जिला पंचायत सदस्यों ने बिकने का तो अध्यक्ष ने खरीदने का बनाया वर्ल्ड रिकार्ड
बस्ती। जिन जिला पंचायत सदस्यों ने अध्यक्ष संजय चौधरी के खिलाफ लड़ाई में गिल्लम चौधरी का साथ दिया, उन्हें शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करने का ईनाम मिला। ईनाम भले ही देर से या फिर वादे के मुताबिक नहीं मिला, लेकिन मिला अवष्य। हस्ताक्षर करने वाले 24 सदस्यों को गिल्लम चौधरी ने तीन-तीन लाख दिया, इस तरह आवाज बंद करने की कीमत अध्यक्ष को 72 लाख देकर चुकानी पड़ी। जाहिर सी बात हैं, कि अध्यक्ष होटल और निर्माणधीन भवन को गिरवी तो रखे नहीं होगें, और न जमीन बेचकर दिया होगा। संजय चौधरी ने 72 लाख में सबका मुंह बंद कर दिया, अब यह लोग कभी न तो बैठक को षून्य करने की मांग करेगें और न कभी अध्यक्ष के खिलाफ कोई आवाज उठाएगें, यानि 72 लाख में 27 करोड़ को लूटने का लाइसेंस सदस्यों ने दे दिया, देखा जाए तो यह सौदा अध्यक्ष के लिए नहीं बल्कि सदस्यों के लिए सस्ता रहा। जब हस्ताक्षर करवाया गया तो यह कर करवाया गया था, कि या तो 75-75 लाख का काम मिलेगा या फिर 15-15 लाख नकद मिलेगा। 15 लाख तो नहीं मिला तीन लाख अवष्य मिल गया, इसी लिए कहा जा रहा है, यह सौदा सउस्यों के लिए काफी सस्ता रहा। अब सवाल उठ रहा है, कि आखिर अध्यक्ष को 72 लाख देने की क्या आवष्यकता पड़ गई? क्या उन्हें आभास हो गया था, कि सदस्य लड़ाई जीत जाएगे। तीन-तीन लाख के साथ में सदस्यों को जनवरी 26 में 30-30 लाख का काम देने का लालीपाप दिया गया है। जिला पंचायत सदस्यों ने बिकने का तो अध्यक्ष ने खरीदने का बनाया वर्ल्ड रिकार्ड बनाया गया। इतिहास अध्यक्ष और बिकने वाले सदस्यों को कभी माफ नहीं करेगा। सबसे दयनीय हालत अध्यक्ष का भविष्य में होने वाला है, इसी लिए वह अभी से ही अपनी आर्थिक स्थित को मजबूत करने के लिए बार-बार मुंबई भाग कर जा रहे है। इनकी आर्थिक स्थित भले ही चाहें किसी बड़े नेता की तरह हो जाए लेकिन राजनैतिक भविष्य और सामाजिक प्रतिष्ठा हमेशा दांव पर लगी रहेगी। जिस तरह इन्होंने जिले के प्रथम नागरिक की कुर्सी को कलंकित किया है, वह माफी के लायक नहीं है। भरी बैठक में जिस तरह सदस्यों ने अध्यक्ष को अपमानित किया, उसे इतिहास में लिखा जाएगा। पैसे के लिए जिस तरह अध्यक्ष, एएमए, एई, जेई और ठेकेदारों ने जिला पंचायत को लूटा उसे सालों का याद रहेगा। जिस तरह अधिकांश सदस्यों ने अध्यक्ष को ब्लैक मेल किया, वह भी इतिहास में लिखा जाएगा। इस समझौते से सबसे अधिक लाभ एएमए को मिला, उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई थी। बहरहाल, संजय चौधरी ने जिस तरह जिला पंचायत को कलंकित किया हैं, वह कलंक आसानी से नहीं मिटेगा।
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