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दो साल तक डा. रेनू राय ने बच्ची का इलाज किया, किस मर्ज का किया पता नहीं!

दो साल तक डा. रेनू राय ने बच्ची का इलाज किया, किस मर्ज का किया पता नहीं!

-हर माह बच्ची के दवा पर 10-11 हजार की दवा डा. रेनू राय अपने मेडिकल स्टोर से देती, -दो लाख 20 हजार सिर्फ दवा पर खर्च हो गया, लेकिन बीमारी का पता नहीं चला

-दो दिन पहले जब खून की जांच कराया तो पता चला कि बच्ची को थर्ड स्टेज का कैंसर

-पीड़ित व्यक्ति ने लिखा कि गवांर डाक्टर ने यह तक नहीं बताया कि कैंसर है, मेदांता या  मुंबई ले जाओ

-डाक्टर रेनू राय से पूछता रहा कि मेरी बच्ची को हुआ क्या, नहीं बता पाई, दो साल तक लूटती रही, लेकिन यह तक नहीं सोचा कि बच्ची सीरिएस

-मैसेज किया कि पीएमसी वाले अगर बच्ची को कुछ हो गया तो आप लोगों को इसका जबाव देना होगा, डाक्टर साहिबा बहुत जल्दी आप से मुलाकात होगी

-अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय लिखते हैं, कि ऐसे डाक्टर का लाइसेंस निरस्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए

बस्ती। क्या कभी कोई मरीज या उसके परिवार वाले यह सोच सकते हैं, कि डा. रेनू राय जैसी नामी डाक्टर को यह नहीं पता रहता कि वह किस मर्ज का इलाज कर रही है। डा. रेनू राय दो साल तक बच्ची का इलाज और दवा देती रही, हर माह 10-11 हजार की दवांए देती थी, लेकिन डाक्टर को यह तक नहीं मालूम कि वह दो साल से किस बीमारी का इलाज कर रही है। सिर्फ दवा पर दो लाख 20 हजार खर्चा हो गया। पीड़ित बच्ची के परिवार वालों का कहना है, कि डाक्टर रेनू राय ने दो साल तक लूटा, लेकिन यह नहीं बताया कि बच्ची को बीमारी क्या हैं? जब खून की जांच करवाया तो पता चला कि बच्ची को थर्ड स्टेज का कैंसर है। बच्ची दिन प्रति दिन सीरिएस होती जा रही थी, लेकिन डाक्टर ने यहां तक नहीं कहा कि मेंदाता या फिर मुंबई ले जाइए। कमेंट किया कि पीएमसी वाले अगर बच्ची को कुछ हो गया तो आप लोगों को इसका जबाव देना होगा, लिखा कि डाक्टर साहिबा बहुत जल्दी आप से मुलाकात होगी। यह वही पीएमसी की डाक्टर साहिबा हैं, जहां पर कप्तानगंज सीएचसी के एमओआईसी डा. अनुप कुमार चौधरी की पत्नी की डिलीवरी डा. रेनू न करके अपनी दाई से करवाया, जिसके चलते बच्चे की मौत हो गई। इस मामले में पूरा पीएमसी फंसा हुआ है, और डीएम एवं सीएमओ के जांच के घेरें में है। डा. अनूप पहले ही कह चुके हैं, कि अगर जांच में किसी भी तरह की हेराफेरी या फिर डा. रेनू राय को बचाया गया तो वह न्यायालय जाएगें, क्यों कि उनके पास इस बात के सारे साक्ष्य हैं, कि उनके बच्चे की मौत पीएमसी के डाक्टर एवं स्टाफ की लापरवाही के कारण हुई। वैसे रेनू राय को जांच और कार्रवाई से बचाने के लिए डाक्टर बिरादरी के लोग लगे हुए है। क्यों कि अगर यह दोषी पाई गई तो इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकता है, इनका लाइसेंस भी निरस्त हो सकता है। अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय लिखते हैं, कि ऐसे डाक्टर का लाइसेंस निरस्त होना चाहिए, एफआईआर भी दर्ज होना चाहिए। जिस तरह जिले के नामी गिरामी नर्सिगं होम वाले पैसा कमाने के लिए मरीजों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उसे देखते हुए आम जनमानस में लापरवाह डाक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग हर ओर से हो रही है। कार्रवाई तो बहुत पहले हो जाना चाहिए, लेकिन सीएमओ कार्यालय न जाने क्यों दोषी डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता, सौदेबाजी करता, मैनेज करने का प्रयास करता है। चूंकि डाक्टरों के पास धन की कोई कमी नहीं होती इस लिए यह लोग सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदारों के मुंह में इतना रुपया डूस देते हैं, कि आवाज ही नहीं निकलती, कार्रवाई करना तों बहुत दूर की बात है। कहना गलत नहीं होगा कि आज जो जिले में मेडिकल टेररिज्म फैला हुआ है, उसके लिए पूरी तरह सीएमओ कार्यालय के लालची अधिकारियों और बाबूओं को जिम्मेदार माना जा रहा है। आज भी ऐसे कई ऐसे नर्सिगं होम हैं, जहां के डाक्टर तो मात्र एमबीबीएस हैं, लेकिन हार्ट स्पेसलिस्ट का बोर्ड लगाकर मरीजों को ठग रहे है। खुले आम यह लोग अनैतिक कारोबार कर रहे हैं, और लाइसेंस निर्गत करने वाला सीएमओ कार्यालय मोटी रकम लेकर खामोश ही नहीं बल्कि लाइसेंस भी जारी कर देता है।

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