Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
राज्य

टार्च की रोशनी में परसरामपुर के सचिव करते, खाद की कालाबाजारी

टार्च की रोशनी में परसरामपुर के सचिव करते, खाद की कालाबाजारी


-चूंकि सचिव श्याम नरायन वर्मा यह अपने आपको एआर का खास कहते हैं, इस लिए इन्हें खाद का आवंटन अधिक होता

-कहते हैं, कि एक टक खाद पर 15 हजार देना पड़ता, 5000 एआर को, 5000 हजार पीसीएफ के डीएस को और पांच हजार दरोगा को देना पड़ता, इस लिए चाहें जहां शिकायत करो मेरा कुछ नहीं होगा

-सचिव नेवादा और परसरामपुर समिति पर 10-10 लाख के धान के घोटाले में फंस चुके, इनके खिलाफ एससीएसटी के तहत मुकदमा भी कायम, यह प्रधानी का चुनाव भी लड़ चुके, समिति का कोटा भी चलाते हैं, और इन पर उपभोक्ताओं को पांच से लेकर सात किलो अनाज कम देने का आरोप लग चुका

-गांव वाले और किसान परेशान और हैरान है, कि ऐसे घोटालेबाज के खिलाफ एआर क्यों नहीं करते, चहेता होने के नाते नहीं करते

-किसानों ने मुख्समंत्री को पत्र लिखकर और तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई

बस्ती। समिति के सचिवों के बेलगाम होने के पीछे किसान एआर को जिम्मेदार मानते है। कहते हैं, कि आखिर शिकायत करने के बाद भी एआर क्यों नहीं सचिवों के खिलाफ कार्रवाई करते। किसानों का आरोप है, कि जब एआर पांच हजार, पीसीएफ के डीएस पांच और दरोगा प्रति टक पांच हजार लेंगे तो कार्रवाई कैसे होगी। इसी तरह का आरोप परसरामपुर के बनवरियां के किसान जगदंबा प्रसाद पाठक लगाते हुए मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने की मांग की है। कहा कि वह विगत 25 दिनों में 15 बार समिति पर जा चुका हूं, सात बार सचिव से खाद के लिए बात किया, फिर भी एक बोरी खाद नहीं मिला। कहते हैं, कि जैसे ही खाद का टक आता है, रात में टार्च की रोशनी में ब्लैक कर देते हैं, कहते हैं, कि यह सबसे अधिक यूरिया प्लांट लगाने वाले कारोबारी को देते हैं, क्यों कि इन्हें पाच सौ में बेचते है। अधिकारियों से शिकायत करते रहो लेकिन कार्रवाई नहीं होती, क्यों नहीं होती आज तक क्षेत्र के किसानों को समझ में नहीं आया, जब कि यह समिति का कोटा भी चलाते हैं, और दमदारी से गरीबों को पांच से सात किलो अनाज कम देते है। खाद और अनाज की शिकायत लेकर जब दारोगा के पास जाओ तो कहते हैं, कि अधिकारी से कहा। बताया कि सचिव नेवादा और परसरामपुर समिति पर 10-10 लाख के धान के घोटाले में फंस चुके, इनके खिलाफ एससीएसटी के तहत मुकदमा भी कायम, यह प्रधानी का चुनाव भी लड़ चुके। यह काम कम और नेतागिरी अधिक करते हैं, यह सपा के बूथ अध्यक्ष भी है। यह खुले आम कहते हैं, कि चाहें जहां शिकायत कर लो मेरा कुछ नहीं होगा, क्यों कि मैं 15 हजार देकर एक टक खाद लाता हूं। खाद ब्लैक नहीं करुगां तो अधिकारियों और पुलिस को कहां से पैसा दूंगा। अगर किसान को एक बोरी खाद के लिए समिति पर 15 बार जाना पड़े और सात बार सचिव को फोन करना पड़े और उसके बाद भी खाद न मिले तो इसे क्या माना जाए। कहा जाता है, कि जब तक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझेगें तब तक धान, गेहूं और खाद घोटाला होता रहेगा, और हमारा जिला बदनाम होता रहेगा। परसरामपुर के एक किसान ने गुस्से में कहा कि मन करता हैं, कि सब लोग मिलकर सचिव को खूब धुने लेकिन यह सोचकर पीछे हट जाते हैं, कि एक बोरी खाद के लिए अगर मुकदमा झेलना पड़े तो अच्छा नहीं, लेकिन परसरामपुर का सचिव की दवा उसकी धुनाई हैं, क्यों कि विभाग और पुलिस वाले इस लिए कुछ नहीं करेगें क्यों कि पैसा जो लिया है।

You can share this post!

रेडियोलाजिस्ट पांच, अल्टासाउंड सेंटर पांच सौ!

आखिर नेताओं का पेट इतना बड़ा क्यों होता जो कभी भरता ही नहीं?

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments