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तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी, मगर यह आकड़े झूठे, दावा किताबी!

तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी, मगर यह आकड़े झूठे, दावा किताबी!


-शायर अदम गोंडवी का यह शेर योगीजी के पौधरोपण के विश्व रिकार्ड पर एक तमाचा

-20 करोड़ की आबादी और 33 करोड़ पौधरोपण, आखिर सब पौधे गए कहां, आबादी से अधिक पौध लगाकर विश्व रिकार्ड तो बना लिया, लेकिन 80 फीसद पौध लगाने के बाद कोई देखने तक नहीं जाता

-एक विभाग में 13 कर्मचारी, विभाग के पास कोई जमीन नहीं, लेकिन प्रशासन ने 300 पौध आवंटित कर दिया, आखिर यह पौध किसके खेत में लगेगा?

-प्रशासन ने एक प्रधानाचार्य को 15 हजार पौध लगाने को दिया, 12 बजे तक प्रधानाचार्य ने एक भी पौध किसी को लगाने को नहीं दिया

-वन विभाग और प्रशासन मिलकर जनपद और प्रदेश में कौन सी हरियाली लाना चाहते, विभागों में आवंटित पौधे सूख रहे, और आम व्यक्ति को 40 रुपये में सागौन का एक पौध खरीदना पड़ रहा

-पीएम मोदी का नारा एक पेड़ मां के नाम, लोगों ने तो लगाकर सोशल मीडिया पर डालकर कर्मकांड अवष्य किया, इस अभियान में सरकारी आदेश को छोड़कर जनता में कोई उत्साह नहीं दिखा

बस्ती। आखिर सरकार क्यों फर्जी आकड़ों के सहारे पौधरोपण का विष्व रिकार्ड बनाना चाहती है? क्या दुनिया को यह नहीं मालूम कि इन आकड़ों में कितनी सच्चाई है? सरकार इसी तरह के फर्जी आकड़ों दिखा-दिखा कर पूरे प्रदेश में विकास की गंगा बहा रही है। पूरी दुनिया को मालूम हैं, कि शतप्रतिशत पौध कभी जिंदा रह ही नहीं सकते, फिर भी विभाग 100 फीसद पौध को कागजों में जिंदा दिखाकर वाहवाही बटोर रहा है। सवाल उठ रहा है, कि आखिर योगीजी कैसे यह स्वीकार कर ले रहें हैं, कि उनके नौकरशाह ने पौधरोपण और उसके जिंदा रहने के जो आकड़े बताए वह सही है? क्या योगीजी को फर्जी आकड़ों के सहारे विश्व रिकार्ड बनान पसंद है? योगीजी भी अच्छी तरह जानते हैं, कि जो आकड़े उन्हें बताए जा रहे हैं, वे फर्जी हैं, लेकिन विष्व रिकार्ड बनाने के चक्कर में वह प्रदेश की जनता को जो धोखा दे रहे है, और जनता की गाढ़ी कमाई का पौधरोपण में बर्बाद कर रहे हैं, उसका हिसाब जनता उनसे 2027 में अवष्य लेगी। योगीजी जनता सब देख रही है। इसी को देखते हुए शायर अदम गोंडवी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि ‘तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी, मगर यह आकड़े झूठे, दावा किताबी’। शायर अदम गोंडवी का यह शेर योगीजी के पौधरोपण के विश्व रिकार्ड पर एक तमाचा है। 20 करोड़ की आबादी और 33 करोड़ पौधरोपण, आखिर सब पौधे गए कहां, आबादी से अधिक पौध लगाकर विष्व रिकार्ड तो बना लिया, लेकिन 80 फीसद पौध लगाने के बाद कोई देखने तक नहीं जाता। एक विभाग में 13 कर्मचारी, विभाग के पास कोई जमीन नहीं, लेकिन प्रशासन ने 300 पौध आवंटित कर दिया, आखिर यह पौध किसके खेत में लगेगा? इसी तरह प्रशासन ने एक प्रधानाचार्य को 15 हजार पौध लगाने को दिया, 12 बजे तक प्रधानाचार्य ने एक भी पौध किसी को लगाने को नहीं दिया। वन विभाग और प्रशासन मिलकर जनपद और प्रदेश में कौन सी हरियाली लाना चाहते, विभागों में आवंटित पौधे सूख रहे, और आम व्यक्ति को 40 रुपये में सागौन का एक पौध खरीदना पड़ रहा। पीएम मोदी का नारा एक पेड़ मां के नाम, लोगों ने तो लगाकर सोशल मीडिया पर डालकर कर्मकांड अवष्य किया, इस अभियान में सरकारी आदेश को छोड़कर जनता में कोई उत्साह नहीं दिखा। जब-जब वन विभाग कि क्रियाकलापों पर किसी ने सवाल खड़ा किया, तब-तब प्रशासन बीच में आ गया। न जाने क्यों प्रशासन वन विभाग के अधिकारियों का इतना बचाव करता हैं। इसी का फायदा उठाकर विभाग के अधिकारी हर साल करोड़ों रुपये का कभी पोधरोपण तो कभी पौधों की सुरक्षा के नाम पर गोलमाल कर रहा है। बावजूद प्रशासन खामोश। आज तक आप लोगों ने कभी भी वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नहीं सुना होगा। इस विभाग और इस विभाग के अधिकारियों को प्रशासन का सबसे अधिक चहेता वाला माना जाता है। कहा भी जा रहा है, कि एसी कमरे में बैठकर जब न्याय और नियम बनेगें तो वह व्यवहारिकता के धरातल से दूर रहेगी। जनपद में अब तक जितने पौध लगाए जा चुके हैं, अगर वे आधे भी जिंदा रहते हैं, तो आज हम लोग जंगल में रह रहे होते। जिले के क्षेत्रफल के कई गुना अधिक पौधरोपण हो चुका है, पौधरोपित करते और जियो टैंकिगं के समय तो पौधे जिा रहते हैं, लेकिन उसके बाद 10 फीसद भी जिंदा नहीं रहते। चहेता विभाग होने के कारण प्रशासन पौधों की जांच नहीं करवाता, वरना सभी नंगे नजर आते। अधिक पौध वे जीवित मिलेगें जिसे व्यक्तिगत लगाया गया है। पौधरोपण अभियान के मामले में सीएम से लेकर पीएम तक जनता को धोखा दे रहे है। जलजमाव वाले स्थानों पर लाखों पौधे लगा दिए गए। बनकटी ब्लॉक के ग्राम बेहिल में पिछले साल दो टाली पौध सूखते हुए मिल चुके है।

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