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शिवाजी’ आपके ‘लूटखसोट’ के दिन गए, बोरिया बिस्तर बांध ‘लीजिए’!

शिवाजी’ आपके ‘लूटखसोट’ के दिन गए, बोरिया बिस्तर बांध ‘लीजिए’!

-अब आप को न तो पत्रकार और न नेता कोई नहीं बचा पाएगा, आपकी सेवा संगिनी पद से समाप्त होने जा रही, क्यों कि डीएम और सीडीओ ने दी एमओआईसी कप्तानगंज को कार्रवाई करने की हरी झंडी

-संगिनी शिवाजी शुक्ला ने सीएचसी कप्तानगंज को लूट का अडडा बना दिया था, इनके लूट के रास्ते में जो कोई एमओआईसी या फिर कोई डाक्टर्स आता था, तो गालीगलौज करके इतना प्रताड़ित कर देती थी, कि वह अस्पताल ही छोड़कर चला जाता

-अब तक इस संगिनी पर चार-पांच एफआईआर दर्ज हो चुकें, इनके प्रति दिन की आमदनी पांच से छह हजार और अगर कहीं एक तो आपरेशन का केस मिल गया, उसे बस्ती प्राइवेट अस्पताल में ले जाती, तब इनकी कमाई एक दिन का 15 हजार हो जाता

-इतनी कमाई तो पांच-छह एओआईसी मिलकर भी नहीं कर पातें, अगर कोई एमओआईसी इनके गलत कामों को रोकता तो यह अपने साथी बहादुरपुर सीएचसी मे आशा के पद पर तैनात दुर्गेश नन्दनी से इतना आईजीआरएस और शिकायत करवा देंती कि बेचारा एमओआईसी परेशान हो जाता

-इनकी दादागिरी और दंबगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि सीएमओ भी इससे पंगा लेने में डरते, गालीगलौज से बात करना और अधिकारियों को अपमानित करना इनकी आदत बन गई

-यह सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक सीएचसी पर हलाल करने के लिए मुर्गा तलाशती, मनमाने तरीके से मरीजों की जांच करवाती, कमीशन लेती और डाक्टरों से अधिक कमीशन और अधोमानक दवाएं बाहर से लिखवाती, जो नहीं लिखता उसे गाली देती उसकी शिकायत करवाती और केस में फंसाने की धमकी देती

-जब वर्तमान एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी ने जब शिवाजी की अनैतिक गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहा, और सीएचसी में आने पर बैन लगा दिया, तो उनके पीछे शिवाजी और इनकी साथी दुर्गेश नन्दनी पीछे पड़ गई, चहेते यूट्यूटर वाले पत्रकारों का सहारा लिया

-डीएम और सीडीओ ने इन्हें तलब किया, मगर जब एमओआईसी ने दोनों अधिकारियों को सच्चाई बताई तो दोनों ने कहा कि आप कार्रवाई करिए आपके साथ, एमओआईसी ने डीएम और सीडीओ से स्पष्ट कि साहब या तो हम्हें हटा दीजिए या फिर संगिनी को बर्खास्त करिए

-अब संगिनी कहती फिर रही हैं, कि हम्हें अस्पताल आने दिया जाए हम कोई शिकायत नहीं करेगें और न ही आईजीआरएस डलवाएगें

-हालही में इसने एक मुस्लिम महिला की सफाई खुद किया, जिसके चलते अब वह कभी भी मां नहीं बन सकती, महिला बयान देने और एफआईआर दर्ज कराने की बात कह रही

बस्ती। सीएचसी कप्तानगंज की संगिनी शिवाजी शुक्ला को इतना दंबग माना जाता है, कि अगर किसी एमओआईसी या डाक्टर ने इनके अनैतिक कार्यो को करने से इंकार किया या फिर बाधा पहुंचाया तो उसे यह इतना प्रताड़ित और गाली गलौज करती है, कि एमओआईसी या डाक्टर्स को अस्पताल छोड़कर भाग जाना पड़ता। यानि संगिनी जैसा चाहती है, वैसा करती और डाक्टर्स से करवाती है, अगर किसी डाक्टर्स ने जांच करवाने या फिर नकली और अधोमानक मानक दवा लिखने से मना किया तो समझो उसकी खैर नहीं। बहादुरपुर सीएचसी में तैनात दुर्गेश नंदनी नामक आशा कार्य करती है, संगिनी इसी से डाक्टरों के खिलाफ आईजीआरएस से लेकर शिकायत करवाती है, और जो भी आनलाइन निस्तारण होता है, उन सभी में अंसतुष्ट लिख देती है, जिसके चलते एमओआईसी का वेतन बाधित हो चुका है। 23 साल में पहली बार इन्हें अनूप कुमार चौधरी नामक एक ऐसा एमओआईसी मिला, जिसने इन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, इनकी असली पहचान बता दिया, अस्पताल आने पर बैन लगा दिया और कहा कि जो कार्य तुम्हारा क्षेत्र में हैं, वह करो, अनावष्यक अस्पताल आने की कोई आवष्यकता नहीं। अब आप समझ सकते हैं, कि जिस संगिनी का 23 साल तक कोई एमओआईसी एक नोटिस तक नहीं थमाया हो, उसे अगर एमओआईसी अस्पताल आने पर बैन लगा देते हैं, तो उसपर क्या बीतेगी। एमओआईसी ने पहले तो इनके अहम को ठेस पहुंचाया, दूसरे इनकी डेली की आठ से दस हजार की कमाई को बंद करवाया। यानि यह पिछले तीन माह में नौ लाख का नुकसान उठा चुकी है। इतना पैसा तो शायद आधा दर्जन एमओआईसी मिलकर भी नहीं कमाते होगें। तीन माह हो गए इन्होंने अस्पताल से एक रुपया भी नहीं कमाया, और अब इनकी नौकरी जाने वाली है। डीएम और सीडीओ ने एमओआईसी को कार्रवाई करने के लिए हरी झंडी देते हुए कहा कि आप कार्रवाई करो हम आपके साथ है। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो शिवाजी शुक्ला कुछ ही दिनों की सीएचसी कप्तानगंज की मेहमान है। 23 साल का इनका साम्राज्य हिलने वाला है। सवाल उठ रहा है, कि क्या 10 हजार मानदेय पाने वाली संगिनी इतनीशक्तिशाली भी हो सकती है? कि उसके खिलाफ कार्रवाई करने में सीएमओ को पसीना आने लगे। इनका व्यवहार ही इनका सबसे बड़ा दुयमन बनने जा रहा है। प्रदेश में शायद ही कोई ऐसी संगिनी होगी जिसके खिलाफ पां-पांच एफआईआर दर्ज हो। एक और एफआईआर मुस्लिम महिला दर्ज करवाने जा रही है। इस महिला का इसने इतना गंदा सफाई किया कि महिला कभी मां नहीं बन सकती। यह सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक सीएचसी पर हलाल करने के लिए मुर्गा तलाशती रहती हैं, मनमाने तरीके से मरीजों की जांच करवाती, कमीशन लेती और डाक्टरों से अधिक कमीशन और अधोमानक दवाएं बाहर से लिखवाती, जो नहीं लिखता उसे गाली देती उसकी शिकायत करवाती और केस में फंसाने की धमकी देती। यह गांव की गर्भवती महिलाओं का आपरेशन कराने या फिर डिलीवरी कराने के लिए जिले के प्राइवेट अस्पतालों में ले जाती है। वर्तमान एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी ने जब शिवाजी की अनैतिक गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहा, और सीएचसी में आने पर बैन लगा दिया, तो इनके पीछे शिवाजी और इनकी साथी दुर्गेश नन्दनी पड़ गई, इनके चहेते यूट्यूटर वाले पत्रकारों भी एमओआईसी के विरोध में खबरें चलाने लगे। यह सरकारी काम छोड़कर वे सभी अनैतिक कार्य करती है, जिसमें इन्हें लक्ष्मी मिलने की संभावना रहती है, भले ही चाहिए जज्जा और बच्चा की मौत ही क्यों न हो जाए। गलती संगिनी शिवाजी शुक्ला और आशा दुर्गेश नन्दनी का नहीं बल्कि उन पत्रकारों का जो ऐसे पापियों का भोजन करते हैं, और पाप का भागीदार बनते हैं, जो समाज और सरकार दोनों के दुष्मन है। जब संगिनी ने देखा कि उलका साम्राज्य खतरे में हैं, या फिर घिसकने वाला है, तो कहती फिर रही है, कि हम्हें अस्पताल आने दिया जाए अब मैं किसी की शिकायत नहीं न तो करुंगी और न करवाउंगी और न ही किसी के साथ गाली गलौज ही करुगंी।

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