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Swami Vivekanand: स्वामी विवेकानंद ने क्यों कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको
Swami Vivekanand: स्वामी विवेकानंद का देशप्रेम किसी से छिपा नहीं है. अपने विचारों से देश की दशा बदलने वाले स्वामी विवेकानंद ने क्यों कहा था उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य न मिल जाए.
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए. स्वामी विवेकानंद ने ये अनमोल बात राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने और देश को तरक्की के मुहाने पर ले जाने के उद्देश्य से कही थी.
देश की उन्नति और तरक्की के लिए प्रयासरत स्वामी विवेकानंद उस शक्ति को उठाना चाहते थे जो भी किसी देश के विकास का आधार है यानी की युवा.
उठो - अर्थात तमाम सुख, सुविधा के साधनों का बहाना न करो. जिस घर की चार दीवार में तुम सिमटकर रह गए हो उसे लांघ कर बाहर आओ और दुनिया से आंख मिलाओ.
जागो - उठ गए लेकिन इसके बाद अपना आलस त्यागकर, उस सोई हुई शक्ति को जगाओ जो तुम्हे आजादी के मंजिल तक ले जा सके. अर्थात बिना किसी डर के आत्मविश्वास से भरपूर हो जाओ. जब हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाई गई थी तो वह भी असंभव कार्य को पूरा करने में कामयाब हुए थे.
विवेकानंद कहते हैं कि सिर्फ उठना जागना ही काफी नहीं है क्योंकि लक्ष्य पाना है तो निरंतर प्रयास करना होगा. बड़े लक्ष्य में तमाम बाधाएं, परेशानियां आती है लेकिन अगर चट्टान की तरह अपने इरादें मजबूत कर लें तो पानी की तरह ये बाधा बह जाती है.
स्वामी विवेकानंद का ये विचार गुलामी के दिनों में जितना प्रेरणादायी था, आज भी युवाओं को प्रेरित करने के लिए कारगर माना जाता है.
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