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साधू संतों के प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े होती जा रही मजबूत

साधू संतों के प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े होती जा रही मजबूत


बनकटी।बस्ती। साधु-संतों की कहीं जाने वाली सरकार में हर जगह भ्रष्टाचार की जड़ इतनी गहरी हो चुकी है कि इससे पार पाना मुश्किल सा लग रहा है यदि मनरेगा की बात करें तो पड़ताल में फर्जी तरीके से करोड़ों का बंदरबाट हो रहा है। यदि सचिव से बात किया जाए तो कहती हैं। अरे पत्रकार साहब रूकिए न! हम आप ही की व्यवस्था करवा रहे हैं। यदि उनके ऊपर बीडीओ की बात किया जाए तो कार्रवाई करने की बात कहते हैं। इनके द्वारा इस तरीके से कार्रवाई किया गया कि मनरेगा में गरीबों से पचास करोड़ का हक छीन कर जिले में पहला रिकॉर्ड बन लिया। अब ब्लाक से ऊपर जिले की बात करें तो डीसी मनरेगा अपना ट्रांसफर होने की बात कह कर मामले को टाल जाते हैं।अब आगे सुनिए जिनके ऊपर पूरे जिले का दारोमदार है। जब साक्ष्य के साथ सचल दूरभाष पर बात किया गया तो इनके द्वारा एफिडेविट दिलवाले की बात कही जाती है।

बता दें घुघसा ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर बजट का बंदरबाट किया जा रहा है। ग्रामीणों ने कैमरे के सामने बताया कि पुलिया से पश्चिम सूरत के खेत तक नाला खुदाई कार्य पहली फरवरी से चौदह फरवरी तक के मस्टरोल में चल रहा था।जिसमें नाबालिग भी है। लगातार पड़ताल में एक भी मजदूर कार्य करते हुए दिखाई नहीं पड़े। हर दिन रोजगार सेवक राजेश चौधरी द्वारा फर्जी मस्टरोल रात्रि में 9.30 पर लगाया गया है। 11 फरवरी को नाबालिग बच्चों के साथ 12 मजदूरों के अलावा पड़ताल में किसी भी व्यक्ति को कार्य करते हुए नहीं देखा गया। लेकिन आदत के अनुसार फर्जी तरीके से रोजगार सेवक द्वारा 12 फरवरी तक हाजिरी लगाई गई है। इस मनरेगा में 1फरवरी को 288 मजदूर ,दो फरवरी को 287, तीन फरवरी को 287,चार फरवरी को 288, पांच फरवरी को 288, छः फरवरी को 288,सात फरवरी को 288,आठ फरवरी को 288,नौ फरवरी को 288,दस फरवरी को 278, ग्यारह फरवरी को 012 तथा बारह फरवरी को 286 मजदूर कार्य करते हुए दिखाया गया है। किसी के द्वारा खबर प्रकाशित होने की जानकारी होने पर 13 फरवरी को  बीडीओ द्वारा हाजिरी नहीं लगवाने के लिए सचिव पवन पांडेय को भेज कर मना करवा दिया गया। नहीं तो टोटल फर्जी मजदूरों की संख्या 3174 है जिसका भुगतान 8 लाख 15 हजार 754 रूपये का होगा।इसी तरह पहले भी न जाने कितने लाखों रूपए का फर्जी तरीके से भुगतान हो चुका है।इन लोगों के द्वारा लाखों रूपए में बना बनाया संचालित गौशाला को तुड़वा कर जमींदोज कर दिया गया। इस तरह से न जाने कितने सरकारी धन का बंदर बांट बीडीओ द्वारा किया जा रहा है। आवश्यकता में केन्द्र सरकार का प्रथम प्रयास  आवश्यक आवश्यकता शौचालय निर्माण का भुगतान विगत दो बरसों से नहीं हुआ है। इनके कार्य काल में गरीब उपभोक्ता दर- दर भटकने को मजबूर हो गए हैं। इस बावत डीसी मनरेगा का फोन रिसीव न होने पर  जिलाधिकारी से बात किया गया तो उन्होंने कहा शुक्ला जी किसी से एफिडेविट दिलवा दीजिए जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके ऊपर अवश्य कारवाई होगी।

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