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सम्मानित होना है, तो हरीश सिंह जैसा बनना होगा

सम्मानित होना है, तो हरीश सिंह जैसा बनना होगा

-भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर आवाज उठाने वाले एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह को कौटिल्य फाउंडेशन भारत के अध्यक्ष राजेंद्रनाथ तिवारी ने शाल पहनाकर सम्मान पत्र दिया

-जिले के यह पहले व्यक्ति ने जिन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए आप हैं, प्रतिभावान के रुप में सम्मानित किया गया

-इस सम्मान से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का और अधिक बल मिलेगाःहरीश सिंह

बस्ती। कोैटिल्य फाउंडेशन भारत के अध्यक्ष राजेंद्रनाथ तिवारी ने बताया कि आप हैं, प्रतिवान के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वालें को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। यह सम्मान पत्र उन लोगों को दिया जाएगा, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कहा कि ऐसे को सम्मानित करते के पीछे संस्था का मकसद उन लोगों को प्रेरित करना जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का मन बनाया है। कहा कि इससे उन लोगों का मनोबल बढ़ेगा, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ बिना किसी लाभ के लड़ाई लड़ रहे है। कहा कि इसी कड़ी में संस्था ने एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह को कौटिल्य फाउंडेशन भारत, भ्रष्टाचार उजागर करने में ईमानदारी के प्रति इनके समर्पण एवं वातावरण सृजन के लिए प्रति भावना सम्मान से अलंकृत किया गया। संस्था इन्हें अलंकृत करके गौरवन्वित हो रहा है। इस मौके पर हरीश सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ तभी लड़ाई लड़ी और जीती जा सकती है, जब ईमानदारी होगी। यह कहना गलत हैं, कि वर्तमान में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया हैं, कि कार्रवाई होना मुस्किल है। इन्होंने तत्कालीन सीएमओ आरएस दूबे का उदाहरण देते हुए कहा कि इनके खिलाफ लड़ाई लड़ना आसान नहीं था, कहा कि यह सही है, कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए इस लिए कोई आगे नहीं आता है, क्यों कि शिकायतकर्त्ता को जांच अधिकारी इतना परेशान कर देते हैं, कि वह लड़ाई लड़ना ही छोड़ देता है। कहते हैं

अगर जांच अधिकारी शिकायतकर्त्ता से भ्रष्टाचार का सबूत मांगेगे तो वह कहां से लाएगा, साक्ष्य और सबूत एकत्रित करना जांच अधिकारी का दायित्व है। कहा कि जब भी कोई भ्रष्टाचार की शिकायत करें तो शपथ-पत्र लगाकर करें। क्यों कि जब भी किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि की जांच होगी तो षपथ -पत्र पर ही होगा। बिना शपथ-पत्र के न्यायालय भी कोई कार्रवाई नहीं करता। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार की लड़ाई में उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता हैं, लेकिन शिकायतकर्त्ता को हर कठिनाई का सामना डट कर करना पड़ेगा। यह भी सही है, कि आज के वातावरण में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ना आसान नहीं होता, क्यों कि ऐसे लोगों के मददगार नेता से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी होते है। कहते हैं, कि ईमानदारी से लड़ी गई कोई भी लड़ाई बेकार नहीं जाती। समय लग सकता है, परेशानी हो सकती है, लेकिन जीत अवष्य मिलेगी। इस मौके पर अशोक पांडेय, राम शंकर यादव एवं विष्वनाथ पांडेय जैसे अनेक मॉजूद रहे।

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