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रुधौली के करमाकला में एक काम पर तीन-तीन बार हुआ भुगतान

रुधौली के करमाकला में एक काम पर तीन-तीन बार हुआ भुगतान

-यूंही नहीं पूर्व विधायक ने रुधौली के भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम को लिखा

-बीडीओ को पैसा मिलता रहे, भले ही चाहें कोई जितना भी गाली दे दें, हंस कर टाल जाते बस्ती। क्या रुधौली क्षेत्र के लोगों को यह लगता है, कि इस ब्लॉक का एक भी ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार से अछूता है। जिस ब्लॉक के बीडीओ से लेकर प्रमुख और प्रधान से लेकर सचिव और ग्राम सेवक तक भ्रष्टाचार में डूबे हों, उस ब्लॉक से क्या कोई ईमानदारी वाला हुआ भी होगा। जिस ब्लॉक के ग्राम पंचायत करमाकला में एक ही काम के लिए तीन-तीन बार भुगतान हो, उस ब्लॉक के बीडीओ के बारे में ना ही कुछ कहा जाए तो अच्छा होगा।  
 विकासखंड रुधौली में भ्रष्टाचारियों ने इस कदर हल्ला बोल मचा रखा है कि एक ही प्रोजेक्ट पर तीन-तीन बार भुगतान लेने का काम किया जा रहा है। ग्राम पंचायत करमा कला में स्थित नाला में वित्तीय वर्ष 22-23 में उदयभान के चक से रामजी के चक तक नाला खुदाई कार्य के नाम से भुगतान 352181 रुपया, जबकि इसी कार्य पर वित्तीय वर्ष 23-24 में राम जी के चक से नाला खुदाई कार्य के नाम पर 354890 रुपए का भुगतान दोबारा लिया गया। आपको बताते चलें इस कार्य को लेकर गांव के एक शिकायतकर्ता ने उच्च अधिकारियों से भ्रष्टाचार को लेकर गुहार लगाई थी, लेकिन जांच सिर्फ कागजों में रहकर सिमट गई। स्थानीय लोगों के मुताबिक ग्राम पंचायत करमा कला में पडरीकरमा कला बॉर्डर के नाम से एक नाला का निर्माण हुआ था जो आमी नदी में जाकर मिलाई गई थी, जिससे रहने वाले आसपास के किसानों को सिंचाई करने में मदद मिल सके। ग्राम पंचायत पडरी में 14 दिवसीय कार्य योजना अंतर्गत मनरेगा से बुधवार तक का कार्य किया गया। पहला आईडी मड़ही पुलिया से शिव शंकर के चक तक नाला खुदाई कार्य में 47 मजदूर, दूसरी आईडी कुसौना गांव के उत्तर तरफ नाला से नदी तक खुदाई कार्य में कुल 133 मजदूरों की हाजिरी लगाई गई, मौके पर हल्का-फुल्का साफ सफाई पाया गया, क्योंकि आगे नाला में पूरी तरीके से पानी भरा हुआ था और अगल-बगल के किसानों ने सिंचाई हेतु खेतों में पानी भी चला रखा है।  तो फिर सवाल उठ रहा है, कि मनरेगा का कार्य कैसे 14 दिन किया गया। उससे भी बड़ी बात यह है कि दोनों गांव का बॉर्डर होने की वजह से भुगतान भी दो प्रधान लेने की फिराक में हैं, एक दो बार ले चुके हैं, जबकि दूसरे प्रधान लेने की आस में है। जबकि मनरेगा एक्ट के तहत किसी भी कार्य योजना को लेकर उस वित्तीय वर्ष से अगले तीन वित्तीय वर्षों तक उस प्रोजेक्ट पर भुगतान नहीं दिया जा सकता है। तो कैसे नाम बदल बदल कर दोनों प्रधानों द्वारा भुगतान लिया गया बड़ा सवाल बना हुआ है। दोनों ग्राम पंचायत के कार्यों की जांच कर विधिक कार्यवाही करने के लिए मीडिया ने डीसी मनरेगा से अनुरोध किया है, दोषियों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता और फ्राड का मुकदमा पंजीकृत करने एंव रिकवरी कराने की मांग की है।

आपको बताते चलें अभी एक दिन पहले ही पत्राचार के माध्यम से रूधौली विधानसभा के पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने खंड विकास अधिकारी रुधौली के भ्रष्टाचार के कार्यों को लेकर जांच की मांग की थी। कुछ ग्राम प्रधानों का कहना है कि भ्रष्टाचार बढ़ाने की मुख्य वजह खंड विकास अधिकारी का क्षेत्र में न जाना है, यदि शिकायत के बाद ग्राम पंचायत में जांच हेतु जाते तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं मिलता। बुधवार को ब्लॉक सभागार में खंड विकास अधिकारी विनय द्विवेदी ने समस्त ग्राम विकास अधिकारियों की बैठक कर मनरेगा कार्य करवाने के आदेश दिए थे जिससे जेबें भी भरी जाए और भ्रष्टाचार को बढ़ावा भी दिया जा सकें। ग्राम पंचायत करमा कला पड़री, नगहरा, छतरियां, डड़वा भूसड़ी उर्फ रायनगर ने भी जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। विकासखंड रुधौली के कुल 75 ग्राम सभा होने के बावजूद भी मात्र 36 से 40 गांव ही मनरेगा कार्य करवा रहे हैं, बाकी बचे हुए गांव कमीशनखोरी के डर से मनरेगा कार्य नहीं कर रहे हैं। वहीं दो ग्राम पंचायत (छपिया व अंदेवरा) ऐसे भी हैं, जिन्होंने पूरे वित्तीय वर्ष में एक भी कार्य मनरेगा से नहीं करवाया। ताकि भ्रष्टाचार का आरोप ना लग सके।

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