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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मूल्य निगरानी आयोग’ का हो गठनःराजेंद्रनाथ तिवारी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मूल्य निगरानी आयोग’ का हो गठनःराजेंद्रनाथ तिवारी

 बस्ती। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक लिमिटेड, राजेंद्रनाथ तिवारी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर प्राइवेट अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं आम नागरिकों की लूट के बारे में सुझाव दिया कि सभी निजी अस्पतालों की दरों की निगरानी हेतु एक स्वतंत्र संस्था ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मूल्य निगरानी आयोग’ का गठन किया जाए। कहा कि देश के कई क्षेत्रों, विशेषकर नगरीय इलाकों में निजी अस्पतालों में लगातार भ्रष्टाचार, अनैतिक बिलिंग, अनावश्यक परीक्षण एवं इलाज के नाम पर जनता का आर्थिक शोषण हो रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान यह प्रवृत्ति और भी अधिक उजागर हुई, किंतु आज भी अनेक निजी अस्पताल बिना किसी नियंत्रण के, बीमा कंपनियों से सांठगांठ कर आम नागरिकों को लूटने में लगे हुए हैं। ऐसे में सभी निजी अस्पतालों की दरों की निगरानी हेतु एक स्वतंत्र संस्था ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मूल्य निगरानी आयोग’ का गठन होना अति आवष्यक हो गया है। अस्पतालों को अपनी सेवाओं के दर सूची (रेट कार्ड) सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य किया जाए। एक केंद्रीय हेल्पलाइन एवं ऑनलाइन पोर्टल स्थापित किया जाए, जहां नागरिक अस्पतालों की मनमानी की शिकायत दर्ज कर सकें। चिकित्सकों की योग्यता, अनुभव और सेवा शुल्क की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। आयुष्मान भारत योजना की बाध्यकारी क्रियान्वयन व्यवस्था निजी अस्पतालों में लागू की जाए, तथा उल्लंघन की दशा में संबंधित अस्पताल का पंजीकरण रद्द किया जाए।

श्रीतिवारी ने बताया कि जिस तरह आए दिन नीजि अस्पतालों में मरीजों के इलाज के दौरान संस्थाओं की लापरवाही से मौतें हो रही है, वह काफी चिंताजनक है। कहा कि मरीजों को समझ में नहीं आ रहा कि वह किस डाक्टर के पास इलाज और आपरेशन कराने जाए, अगर वह सरकारी अस्पताल में जाता है, तो वहां पर सुविधा का अभाव बताकर अपने नर्सिगं होम में जाने की सलाह देते है, और मरीज जब वहां पहुंचता है, तो उसकी चडडी और बनियाइन तक उतार ली जाती है। मरीजों को इलाज के लिए या तो कर्ज लेना पड़ रहा है, या फिर जमीन बेचना पड़ रहा हैं, अस्पताल वाले तो जेवर तक उतार ले रहे है। बताया कि जब से बीमा आया है, इसका प्रभाव आम मरीज पर पड़ने लगा। बताया कि डाक्टरों में अपने पेषे को लेकर गिरावट आई हैं, उसका सबसे बड़ा कारण डाक्टरों और मरीजों के बीच आत्मीय संबधों का अभाव है। डाक्टरों के बीच के भाईचारा का भी संबध अब पहले जैसा नहीं रहा। बताया कि जब से नान मेडिकल के लोगों का समावेश हुआ है, तब से व्यापार हो गया है। यह लोग मरीजों की बेहतर सेवा करने के लिए नर्सिगं होम नहीं खोल रहे हैं, बल्कि लाभ के लिए अस्पताल खोल रहे है। ऐसे व्यापारी किस्म के लोगों पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई मर रहा या तड़प रहा है। जब भी इनके यहां कोई घटना होती है, यह मैनेज कर लेते हैं, क्यों कि इन्हें व्यापार करना होता है, यही मैनेज एक मेडिकल से जुड़ा व्यक्ति नहीं कर सकता। इन नान मेडिकल के लोगों के पास पैसा, पावर, राजनैतिक पहुंच और सामाजिक ताना बाना सभी कुछ रहता है। सिर्फ वह भावना नहीं रहता जो एक मेडिकल से जुड़े लोगों में रहती है। मेडिकल वाले क्वालिटी बेस होते है। मिसाल के तौर पर भानपुर में अगर भाजपा नेता मनोज सिंह ने पब्लिक हास्पिटल को टेकओवर किया तो आप समझ सकते हैं, कि उस अस्पताल का क्या होगा, जिस व्यक्ति को मेडिकल का एबीसीडी तक का ज्ञान न हो अगर वह अस्पताल का संचालक बन जाएगा तो समझा जा सकता है, कि अस्पताल किस दिशा की ओर जाएगा। इसे सिर्फ व्यापार के लिए ही टेकओवर किया गया है।

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