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पराली नहीं जलायें: पराली से खाद बनाएं सैटेलाइट से हो रही निगरानी

पराली नहीं जलायें: पराली से खाद बनाएं सैटेलाइट से हो रही निगरानी

बिजनौर

 कृषि निदेशक गिरीश चन्द्र ने जानकारी देते हुए बताया कि धान की कटाई प्रारम्भ हो चुकी है। धान की पराली एवं फसल अवशेषों को जलाने के बजाये, किसान भाई इसे सड़ाकर खाद के रूप में प्रयोग करें। जिससे भूमि में जीवांश कार्बन में वृद्धि होगी और सूक्ष्म जीव सुरक्षित रह सकेंगें। पराली जलाने वालों पर निगाह रखने के लिए सेटेलाइट की मदद ली जा रही है। इसमें लगे सेंसर अग्नि जनित स्थल की रोड मैपिंग कर मैसेज के जरिये सम्बन्धित क्षेत्र के सचल दस्तों को संदेश भेजते हैं। इसके बाद दिये गये अक्षांश व देशांतर पर जाकर जांच के बाद उत्तरदायी कृषक/कृषकों के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। पराली जलाने पर कृषक को जुर्माना भरने के साथ दण्डात्मक कार्यवाही का सामना पड़ सकता है।


उन्होंने बताया कि जनपद में राजस्व, कृषि, ग्राम्य विकास, गन्ना, पंचायत राज, नगरपालिका एवं नगर पंचायतों की जिम्मेदारी है कि फसल अवशेष व कूूड़ा करकट को न जलाने के लिए सम्बन्धित को प्रेरित व प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अवहेलना करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही का भी संदेश प्रचारित कराने का कष्ट करें। जनपद में पराली जलाने की घटनायें वर्ष 2021 में 43, वर्ष 2022 में 25 एवं वर्ष 2023 में 21 धटनायें घटित हुई हैं। विकास खण्ड अफजलगढ़ (23), कोतवाली (17) तथा नजीबाबाद (12) में फसल अवशेष जलाने की सर्वाधिक घटनायें हुई हैं। उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध किया है कि फसल अवशेषों को संसाधन में तब्दील कर जनपद, राज्य व देश को प्रदूषण मुक्त करने में योगदान करने का कष्ट करें।

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