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पहले ‘निधि’ बेचते थे, अब पैठ बेच रहें!
-एक हाथ कमीशन दूसरे हाथ काम, का राजधानी तक हो रहा खेल, वर्तमान और पूर्व माननीय, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, पूर्व महिला आयोग की सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता तक ठेकेदारों के हाथों 10-15 फीसद कमीशन में पैठ बेच रहे, नगरविकास और पंचायती राज मंत्री के साथ फोटो खिचवाते और प्रस्ताव की मंजूरी के लिए सिफारिश भी करते
-यह नेता लोग ठेकेदारों को ले जाकर मंत्रियों से मिलवाते भी हैं, शायद ही जिले का कोई ऐसा छोटा बड़ा भाजपाई न हो जिसका पैठ दोनों विभागों में न लगा हो, एनओसी के लिए विभागों में नेताओं के प्रस्ताव आने लगे
-जनहित के नाम पर भाजपाई और दोनों मंत्री सरकारी धन को लूटने में लगे हुए, नगर विकास मंत्री चाहते हैं, कि नेता सीधे हमारे संपर्क में रहे इस लिए काम के प्रस्ताव को मंजूर कर रहे हैं, और पंचायती राज मंत्री इसी बहाने अपने कोष को बढ़ाने में लगे हुए, इनका कहना है, कि पार्टी को चंदा दो और चाहे जितना काम ले जाओ
-सबसे बड़ी समस्या उन नगर पंचायतों के चेयरमैन और ईओ के लिए हो रही है, जो उनका अधिकार छीन कर नेताओं को दे दिया जा रहा है, एक तरह से इनकी कमाई पर नगर विकास मंत्री छूरी चला रहे, इसे लेकर असंतोष का माहौल व्याप्त, कहते हैं, कि जब उनके नगर पंचायत का सारा काम भाजपाई और ठेकेदार करा लेगें तो हम क्या करेगें
-सबसे अधिक चांदी उन वरिष्ठ कहे जाने वाले भाजपाईयों की है, जिनका पैठ बदनाम ठेकेदार ले जा रहे हैं, प्रस्ताव मंजूर हो गया तो नेताजी जिनकी कमाई का कोई जरिया नहीं उन्हें बैठे बैठाए 15 फीसद कमीशन मिल गया
-ऐसा लगता है, कि मानो इन लोगों को लग गया कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा, इस लिए अधिक से अधिक पैठ बेचकर अपने आर्थिक स्थित को मजबूत करना चाहते हैं, ऐसे पूर्व विधायक पैठ बेच रहे हैं, जिन्हें भाजपा में आए अभी अधिक दिन नहीं हुए, आते ही इन्होंने अपना पुराना खेल यह और इनके कथित प्रतिनिधि ने चालू कर दिया
-विकास और जनहित के नाम पर जिस तरह नेताओं के पैठ पर प्रस्ताव बेचे जा रहे हैं, उसका खामियाजा भाजपा को ही भुगतना पड़ेगा, नेता लोग ठेकेदार की गाड़ी और उनके खर्चे पर मंत्रियों के यहां जाते हैं, और मंत्री के साथ फोटो खिचवाते हैं, और उसे सोशल मीडिया पर वायरल करना नहीं भूलते
बस्ती। आप लोग यह जानना चाहते थे, कि हारने के बाद भी नेता कैसे फारचूनर खरीदता और राजाओं जैसा राज करता? आज हम आपको बताते हैं, कि क्यों नहीं नेताओं पर हारने का कोई फर्क पड़ता और क्यों नहीं उनका खजाना खाली होता? इस लिए फर्क नहीं पड़ता और इस लिए खजाना खाली नहीं होता, क्यों कि नेता हारने के बाद वही काम करते हैं, जो जीतने के पहले किया करते थे, इनके रुतबे में अवष्य फर्क पड़ता है, लेकिन इनकी आय पर कोई फर्क नहीं पड़ता? बल्कि आय में इजाफा ही होता। कारण, यह पहले से अधिक विकास के नाम पर पैठ का सहारा लेकर काम लाते हैं, और उसे बेच देते हैं, पहले निधि बेचते थे और हारने के बाद ठेकेदारों के हाथों पैठ बेचते हैं, यह सिर्फ पैठ ही नहीं बेचते बल्कि मंत्रियों से जनहित में प्रस्ताव को स्वीकृति कराने के लिए सिफारिश भी करते है। एक अपुष्ट आकड़ों के मुताबिक मार्च 25 तक लगभग 50 करोड़ का काम वर्तमान एवं पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व और वर्तमान जिलाध्यक्ष, पूर्व महिला आयोग की सदस्य और भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेताओं के पैठ पर नगर विकास और पंचायती राज मंत्री से स्वीकृति हो चुका है। यही कारण है, कि जो लोग सपा या फिर अन्य पार्टी को छोड़कर भाजपा में आए वे भाजपा को मजबूत करने नहीं आए बल्कि अपनी आर्थिक स्थित मजबूत करने आए। इन सभी नेताओं का पैठ डूडा, नगर पंचायतों, नगर पालिका और जिला पंचायत कार्यालय में टहल रहा। एक हाथ कमीशन दूसरे हाथ काम, का राजधानी तक हो रहा खेल, वर्तमान और पूर्व माननीय, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, पूर्व महिला आयोग की सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता तक ठेकेदारों के हाथों 10-15 फीसद कमीषन में पैठ बेच रहे, नगर विकास और पंचायती राज मंत्री के साथ फोटो खिचवाते और प्रस्ताव की मंजूरी के लिए सिफारिश भी करते है। यह नेता ठेकेदारों को ले जाकर मंत्रियों से भी मिलवाते हैं, षायद ही जिले का कोई ऐसा छोटा बड़ा भाजपाई होगा जिसका पैठ दोनों विभागों में न लगा हो, एनओसी के लिए विभागों में नेताओं के प्रस्ताव आने लगे। जनहित के नाम पर भाजपाई और दोनों मंत्री सरकारी धन को लूटने में लगे हुए, नगर विकास मंत्री चाहते हैं, कि नेता सीधे हमारे संपर्क में रहे इस लिए काम के प्रस्ताव को मंजूर कर रहे हैं, ताकि उनका जनाधार बढ़ सके और पंचायती राज मंत्री इसी बहाने अपने कोष को बढ़ाने में लगे हुए, इनका कहना है, कि पार्टी को चंदा दो और चाहं जितना काम ले जाओ। सबसे बड़ी समस्या उन नगर पंचायतों के चेयरमैन और ईओ के लिए हो रही है, जो उनका अधिकार छीन कर नेताओं को दे दिया जा रहा है, एक तरह से इनकी कमाई पर नगर विकास मंत्री छूरी चला रहे, इसे लेकर असंतोष का माहौल व्याप्त है। कहते हैं, कि जब उनके नगर पंचायत का सारा काम भाजपाई और ठेकेदार करा लेगें तो हम क्या करेगें? कामों की डुप्लीकेसी भी होती है। सबसे अधिक चांदी उन वरिष्ठ कहे जाने वाले भाजपाईयों की है, जिनका पैठ बदनाम ठेकेदार ले जा रहे हैं, प्रस्ताव मंजूर हो गया तो नेताजी जिनकी कमाई का कोई जरिया नहीं उन्हें बैठे बैठाए 15 फीसद कमीशन मिल जाएगा। ऐसा लगता है, कि मानो इन लोगों को लग गया कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा, इस लिए अधिक से अधिक पैठ बेचकर अपने आर्थिक स्थित को मजबूत करना चाहते हैं, ऐसे पूर्व विधायक पैठ बेच रहे हैं, जिन्हें भाजपा में आए कुछ ही दिन हुए हैं, आते ही इन्होंने अपना पुराना खेल यह और इनके कथित प्रतिनिधि ने चालू कर दिया। पैठ बेचने का काम यह लोग इतनी सावधानी और चुपचाप करते हैं, कि किसी को पता ही नहीं चल पाता। विकास और जनहित के नाम पर जिस तरह नेताओं के पैठ पर प्रस्ताव बेचे जा रहे हैं, उसका खामियाजा भाजपा को ही भुगतना पड़ेगा, नेता ठेकेदार की गाड़ी और उनके खर्चे पर मंत्रियों के यहां जाते हैं, और मंत्री के साथ फोटो खिचवाते हैं, और उसे सोशल मीडिया पर वायरल करना और ठेकेदारों को मंत्रियों से मिलवाना नहीं भूलते, ताकि बार-बार उन्हें सिफारिष न करना पड़े। कहना गलत नहीं होगा कि एक तरह से ठेकेदारों के चंगुल में अनेक भाजपाई फंस गए हैं, संतकबीरनगर के हरिहरपुर नगर पंचायत का एक नेता हैं, जिसे ठेकेदारों का सरगना कहा जाता है। जो ठेकेदार बसपा और सपा में थे, आज वही बदनाम ठेकेदार भाजपा में रहकर सरकारी धन को नेताओं के साथ मिलकर लूट रहे है। जो पूर्व विधायक पैठ बेच रहे हैं, उन सभी के बारे में जनता जान रही हैं, अगर इन लोगों को टिकट मिल भी गया तो इस बार भी इनका जीतना मुस्किल होगा, क्यों कि जनता ऐसे नेताओं को कभी नहीं जीताइएगी जो उनके और विकास के नाम पर सरकारी धन का लूटपाट मचाए हुए है? एक वरिष्ठ भाजपा नेता जिन्हें भाजपा की रीढ़ की हडडी माना जाता है, उनके पैठ पर न जाने कितने लोग करोड़ों रुपया का काम लाए, बकौल नेता, मिठाई खिलाने को कौन कहे, यह तक नहीं बताया कि उन्हें कितने का काम मिला, यह कई बार अपना दर्द अपनों के बीच बयां भी कर चुके है। इसी लिए कहा जाता है, कि ठेकेदार किसी का भी नहीं होता, उसका भी नहीं होता जिसके चलते मलाई काटता। किष्षू नामक ठेकेदार को कौन नहीं जानता, इन्होंने न जाने कितने ठेकेदारों और नेताओं को ठगा। फिर भी आज की तिथि में भाजपाइयों के यह सबसे चहेते और कमाउपूत ठेकेदार बने हुए है। इन्हें भी नरेंद्र भाटिया की तरह यह कहा जाता है, कि ‘कोई भी ऐसा सगा नहीं जिसे किष्शु ने ठगा नहीं’। जो नेता पद पर रहते हुए करोड़ो-करोड़ का ठेका बांटते थे, आज वही नेता पैसे के लालच में ठेकेदारों के हाथों पैठ बेच रहे है। यह लोग न तो जनता और न विकास और न सरकार की छवि बनाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं, बल्कि करोड़ों कमाने के लिए भागदौड़ कर रहे है। जनता को दिखाने के लिए कभी खाद तो कभी किसानों की समस्या तो कभी अस्पतालों के भ्रष्टाचार का मुद्वा उठाकर डीएम, कमिष्नर और सीएम को पत्र लिख देते है। ताकि जनता यह समझे कि नेताजी जनता के लिए कितना चिंतित है। इनके कथित प्रतिनिधि जब कथित रुप से अवैध नर्सिगं होम चलाएगें और अवैध कारोबार करेगें तो इसका प्रभाव सामाजिक और चुनाव पर पड़ना लाजिमी है।
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