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निलंबित रिश्वतखोर लेखपाल ने रखा था निजी सहायक सम्पत्ति की भी हो जांच।
हापुड़ की गढ़मुक्तेश्वर तहसील में भ्रष्टाचार का जबरदस्त बोलबाला है। रिश्वतखोरी अपने चरम पर है। दो महीने पहले मेरठ की विजिलेंस टीम द्वारा एक लेखपाल पर कार्रवाई भी हुई थी लेकिन उसके बावजूद भी रिश्वतखोरी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अपने घरों को भरने के लिए रिश्वतखोर किसान व जनता को लूट रहे हैं। ताजा मामला गुरुवार को सामने आया जब गढ़मुक्तेश्वर तहसील में तैनात लेखपाल साबिर अली एक किसान से उसकी भूमि से जुड़े दस्तावेजों में नाम दर्ज करने के लिए अपने निजी सहायक दीपक के माध्यम से रिश्वत लेता हुआ नजर आया।
रिश्वत लेने पर सस्पेंड:
दस हजार रुपए की रिश्वत लेने की वीडियो जैसे सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो अधिकारियों की नींद टूटी जिन्होंने लेखपाल साबिर अली को प्रथम दृष्टया निलंबित कर दिया और जांच के लिए टीम का गठन कर दिया।
उगाही करता है निजी सहायक:
वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारी हरकत में आए लेकिन आपको बता दें कि निजी सहायक के माध्यम से लेखपाल ने खुलेआम रिश्वत ली जो कि कैमरे की निगाह से बच नहीं सका। शासन की मंशा के विपरीत लेखपाल ने निजी सहायक रखा हुआ है जिससे गोपनीयता भंग हो रही है। गढ़ तहसील में तैनात लेखपाल साबिर अली ने अपना निजी सहायक रखा हुआ था जो कि उगाई करता फिरता है।
निजी सहायक रखने से गोपनीयता हुई भंग:
आखिर अधिकारियों को यह कैसे पता नहीं चला कि लेखपाल साबिर अली का निजी सहायक भी है। वीडियो वायरल होने के बाद लेखपाल को निलंबित कर दिया गया लेकिन उससे पहले शिकंजा क्यों नहीं कसा गया? निजी सहायक को रखने से विभाग की गोपनीयता पर भी सवाल खड़ा हो रहा है।
रिश्वतखोर की रिश्वत का हिसाब रखता है निजी सहायक:
सूत्रों ने बताया कि यह लेखपाल बहुत बड़ा रिश्वतखोर है जो बिना पैसों के काम ही नहीं करता। यह खुलेआम वसूली करता है और अपने निजी सहायक को आगे कर देता है। रिश्वत के रुपयों में से यह अपने निजी सहायक को कमीशन देता है। इतना ही नहीं किससे कितना रुपया रिश्वत का आया इसका लेखा-जोखा भी लेखपाल का निजी सहायक ही रखता है।
लेखपाल के खिलाफ जांच हेतु टीम का गठन:
लेखपाल साबिर अली के खिलाफ फिलहाल जांच के लिए टीम का गठन कर दिया है। जांच रिपोर्ट जल्द ही अधिकारियों को सौंपी जाएगी। एसडीएम साक्षी शर्मा का कहना है कि वीडियो वायरल होने के बाद साबिर अली को निलंबित कर दिया और मामले के लिए टीम का गठन किया है।
नियमों के विपरीत रखा निजी सहायक:
सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा जिस तरह से निजी सहायक रखे जा रहे हैं उसके खिलाफ शासन पहले ही आदेश जारी कर आगाह कर चुका है लेकिन इसके बाद भी नियमों को धूल चटाई जा रही है। अधिकारियों की नाक के नीचे लेखपाल ने निजी सहायक रखा था। मामले में लेखपाल की संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए।
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