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नई समितियों के गठन में एआर कार्यालय में हो रहा खेल

नई समितियों के गठन में एआर कार्यालय में हो रहा खेल

-केंद्रीय सहकारिता मंत्री और शासन के उ,ेष्यों को विफल कर रहे पुरानी समितियों के सचिव

-धान और गेहूं में गोलमाल चलता रहे इसके लिए नई समितियों का गठन ही नहीं कर रहे, जबकि पुरानी समितियों का विभाजन करके हर न्याय पंचायत में बी-पैक्स समिति का गठन

-निर्देश के तहत हर न्याय पंचायत में एक नई बी. पैक्स का गठन होना, यह गठन गांव के 15-20 किसान मिलकर करते, एक कोआर्डिनेटर बनाते, जो नई समिति के पंजीकरण का प्रस्ताव एआर को देता

-पुरानी समिति के सचिव नहीं चाहते कि पुरानी समितियों का विभाजन होकर उनके क्षेत्र में किसी नई समिति का गठन हो, इस लिए इन्होंने एआर से मिलकर खेल खेल रहें

-अगर पुरानी समितियों का विभाजन करके नई समिति बनेगी तो नई समिति का अंश बढ़ेगा, पुरानी समितियों कर परिसंपत्ति भी नई समिति में शामिल होगी, नई समितियों के सदस्यों को सुविधा मिलेगी

बस्ती। केंद्रीय सहकारिता मंत्री का हर न्याय पंचायत में बी. पैक्स गठित करने के सपने को एआर और पुराने सचिव अपने लाभ के लिए चकनाचूर करने में लगे हुएं है। क्यों कि अगर हर न्याय पंचायत में नई समिति गठित हो जाएगी तो पुराने समिति के सचिवों की दुकानें बंद हो जाएगी। पुराने समिति के सचिव और एआर नहीं चाहते कि उनके क्षेत्र में कोई नई समिति का गठन हो, अगर गठन हो जाएगा तो पुरानी समितियों के सचिव का वर्चस्व समाप्त हो जाएगा, धान/गेहू खरीद में लूटपाट कम हो जाएगा। इसी लिए एआर ने इन्हें ही नई समिति के गठन का अधिकार दिया, पंजीकरण का प्राविधान सहकारी अधिनियम में दिया गया है। इस अधिनियम के तहत हर न्याय पंचायत के 15-20 किसान मिलकर एक कोर्डिनेटर चुनते और वह कोआर्डिनेटर नई समिति के पंजीकरण का प्रस्ताव एआर को भेजते और एआर अपनी संस्तुति के साथ डीआर को भेजते। लेकिन एआर और पुरानी समिति के सचिव नीजि लाभ के लिए पुरानी समिति का विभाजन करके नई समिति का गठन ही नहीं होने दे रहे है। सहकारिता मंत्री और षासन का एआर को नई समितियों का गठन करने का आदेश दिए लगभग नौ माह हो गए, लेकिन मंडल में नाम मात्र की नई समिति का गठन हो सका। अगर पुरानी समितियों का विभाजन करके नई समिति बनेगी तो नई समिति का अंश बढ़ेगा, पुरानी समितियों की परिसंपत्ति भी नई समिति में षामिल होगी, नई समितियों के सदस्यों को सुविधा मिलेगी, धान और गेहूं की खरीद में पारदर्शिता आएगी। जितना अधिक समितियों रहेगी क्षेत्र के किसानों को उतनी अधिक सुविधा मिलेगी, इसी सोच को लेकर सहकारिता मंत्री ने हर न्याय पंचायत में बी.पैक्स की नई समिति का गठन करने का फरमान जारी किया। सहकारिता मंत्री हो चाहे पीएम हो चाहें सीएम हो जब तक भ्रष्ट एआर, डीआर और सचिव रहेंगे तब तक किसी का भी उद्वेष्य पूरा नहीं होगा। नई समिति का गठन करने के मामले में अगर एआर और डीआर रुचि लेते तो अब तक मंडल में न जाने कितनी नई समिति का गठन हो जाता। यह तीनों का गठजोड़ जब तक रहेगा, मंडल भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो सकता। सवाल उठ रहा है, कि जब नई समितियों का गठन गांव के ही किसानों को करना है, तो फिर एआर ने क्यों पुरानी समितियों के सचिवों को नई समिति गठन करने का फरमान जारी किया। कहा जाता है, कि अगर पुराने समिति के सचिव गठन करेगें तो उन्हें लाभ होगा, लेकिन अगर कोआर्डिनेटर के द्वारा गठन होगा तो किसानों को लाभ होगा, जो कि सरकार की भी मंशा है।

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