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मदरसे में झंडा फाड़ा गया, रुधौली पुलिस खामोश रही!
-बशीर नामक मुस्लिम ने जब मदरसे में झंडा फहराकर देशभक्ति का पैगाम देना चाहा तो कुछ मुस्लिमों ने उसे मारापीटा और झंडा फाड़कर फंेक दिया, पुलिस आई झंडा फहराया गया
-हनुमानगंज चौकी पर खबर दी गई, 112 को बुलाया गया, थाने पर जानकारी दी गई, लेकिन रुधौली थाने की पुलिस तमाशबीन बनी रही
-इससे बदमाशों का मन बढ़ना ही था, उसके बाद मुस्लिमों ने साढ़े दस बजे छितही चौराहे पर बशीर को रोका और उसे झंडा फहराने की सजा अधमरा करके दिया, तब जाकर पुलिस ने मामूली
-बशीर को मारते हुए लडडन ने कहा कि बहुत हिंदुओं के साथ रहता है, आज मारकर इसकी बोटी-बोटी काटकर फेंक देगें, बशीर को मरा जानकर चले गए
-गांव के बदमाश मुस्लिम इस लिए बशीर से नाराज थे क्येंकि यह अयोध्या अपने हिंदू दोस्तों के साथ कांवर उठाने चला गया था, यह हमेशा अपने कंधें पर भगवा वस्त्र डाले रहता, अस्पताल के बिस्तर पर भी यह भगवा गमछा डाले हुए
-अपर शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल दुर्गा प्रसाद उपाध्याय का कहना है, कि पुलिस ने झंडा फाड़ने के साढ़े सात बजे की घटना को संज्ञान में नहीं लिया, अगर सात बजे की घटना पर कार्रवाई कर देती तो झंडा फाड़ने वाले आरोपी साढ़े दस बजे फिर दुबारा घटना न करते और न बशीर को मार-मारकर अधमरा कर देते
-पुलिस को जहां दोषियों के खिलाफ देश द्रोह का मुकदमा कायम करना चाहिए, वहीं पर मामूली मारपीटकर का दर्ज कर दिया
-इसकी शिकायत बशीर की पत्नी जाहिदा खातून ने एसपी से करते हुए कहा कि अपराधी खुले आम टहल रहे समझौता करने की धमकी दे रहे हैं, और उनका पति जिंदगी और मौत के बीच जिला अस्पताल में जूझ रहा
-यह घटना रुधौली थाने के ग्राम परसा सूरत में 15 अगस्त 25 को घटी
बस्ती। कौन कहता है, कि मुस्लिमों में देश भक्ति का जज्बा नहीं होता, अगर ऐसा होता तो रुधौली थाना के ग्राम परसा सूरत निवासी मो. बशीर पुत्र मो. मुस्तकीम आज जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच न झूलता। बशीर की इतनी गलती थी, कि इसने अपने हिंदू दोस्तों रामकरन, शेलेंद्र और योगेंद्र सहित अन्य के साथ अयोध्या में कांवर उठाने चला गया था, तभी से ही गांव के सुहैल उर्फ लडडन पुत्र झीनक, मतीउरर्हमान उर्फ बड़कू पुत्र हॅफीजुल्लाह, अताउल्लाह पुत्र नूर मोहम्मद, मोबिन पुत्र जियाउलाह, बिलरा पुत्र रहीम, सददाम पुत्र असफाक, सफीएल्लाह पुत्र नूर मोहम्मद सहित अन्य यह कहने लगे थे, कि बशीर मुस्लिम से हिंदू बन गया हैं, इसे सबक सिखाना ही होगा और बताना होगा कि हम मुसलमान हैं, हिंदू नहीं जो कांवर लेकर जाएगें, और झंडा फहराएगें। यह लोग इस लिए बशीर से और जलते थे, कि बशीर हमेशा अपने कंधें पर भगवा गमछा डाले रहता था, यह भगवा गमछा 15 अगस्त 25 को मदरसे में भी उस समय बशीर के कंधें पर था, जब यह झंडा रोहण करने जा रहा था। अब जबकि बशीर जिला अस्पताल के बिस्तर पर है, तब भी यह अपने कंधें पर भगवा गमछा लपेटे हुए है। बशीर को मारते हुए लडडन ने कहा कि बहुत हिंदुओं के साथ रहता है, आज मारकर इसकी बोटी-बोटी काटकर फेंक देगें, बशीर को मरा जानकर चले गए।
गांव के मदरसे में 15 अगस्त 25 के दिन 7.30 बजे मो. बशीर जब झंडा रोहण करने लगा तभी गांव के सुहैल उर्फ लडडन पुत्र झीनक, मतीउरर्हमान उर्फ बड़कू पुत्र हॅफीजुल्लाह, अताउल्लाह पुत्र नूर मोहम्मद, मोबिन पुत्र जियाउलाह, बिलरा पुत्र रहीम, सददाम पुत्र असफाक, सफीएल्लाह पुत्र नूर मोहम्मद सहित आ गए, पहले तो बशीर को पुरानी खुन्नस के चलते जी भरके गाली दिया, उसके बाद मारा-पिटा। झंडा फाड़ दिया। पहले इसकी जानकारी हनुमानगंज चौकी को दी गई, फिर 112 बुलाया गया, उसके बाद थाने में जानकारी दी गई। पुलिस आई झंडा रोहण करवाया, लेकिन जिन लोगों ने झंडा फाड़ा और जिन लोगों ने झंडा फहराने वाले बशीर को मारापीटा उनके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं किया, जब कि देश द्रोह के आरोप में सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए था, पुलिस ने ऐसा क्यों किया यह तो पता नहीं चला लेकिन अगर पुलिस बदमाशों के खिलाफ 7.30 बजे की घटना को लेकर कार्रवाई कर देती तो 10.30 बजे की घटना न होती, और इस घटना के लिए पूरी तरह हनुमानगंज चौकी और रुधौली थाने की जिम्मेदारी मानी जा रही है। सबकुछ जानते हुए भी पुलिस ने न जाने क्यों देशद्रोहियों के खिलाफ देश द्रोही का मुकदमा न दर्ज करके मामूली धारा में दर्ज करती। ऐसे में पुलिस पर सवाल तो उठेगा ही, उठना लाजिमी भी है। तभी तो अपर शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल दुर्गा प्रसाद उपाध्याय का कहतें हैं, कि पुलिस ने झंडा फाड़ने के साढ़े सात बजे की घटना को संज्ञान में नहीं लिया, अगर साढ़े सात बजे की घटना पर कार्रवाई कर देती तो झंडा फाड़ने वाले आरोपी साढ़े दस बजे फिर दुबारा घटना न करते और न बशीर को मार-मारकर अधमरा कर देते। पुलिस को जहां दोशियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा कायम करना चाहिए, वहीं पर मामूली मारपीटकर का दर्ज कर दिया। पुलिस ने धार्मिक उन्माद फैलाने की घटना को भी नजरअंदाज कर दिया। अब इसकी शिकायत बशीर की पत्नी जाहिदा खातून ने एसपी से करते हुए कहा कि अपराधी खुले आम टहल रहे समझौता करने का दबाव बना रहें हैं, नहीं तो देख लेने की की धमकी दे रहे हैं। पत्नी का कहना है, कि मेरे पति को बदमाशों ने केवल हिंदू लड़कों के साथ कावंर लेकर अयोध्या जाने के कारण मार-मारकर अधमरा कर दिया। पत्नी सीएम योगी और मोदी से सवाल करती है, कि क्या एक मुस्लिम झंडा नहीं फहरा सकता या फिर कांवर लेकर नहीं जा सकता? अगर जा सकता है, तो क्यों उनके पति को मारपापिटा गया? और क्यों रुधौली थाने की पुलिस खामोश रही? क्यों नहीं भारतीय तिरंगा को फाड़ने वालों के खिलाफ देश द्रोह का मुकदमा पुलिस ने कायम नहीं किया? अगर कर देती तो आज झंढा फाड़ने और पति को मारने वाले खुले आम आजाद न घूमते और समझौता करने का दबाव न बनाते। पत्नी का भी कहना है, कि पुलिस अगर 7.30 बजे वाली घटना पर कार्रवाई कर देती तो 10.30 बजे की घटना न होती और तब उसका पति जिंदगी और मौत के बीच जिला अस्पताल में न जूझता।
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