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मत खड़ा करना मरीजों की आहें और बददुओं पर महल

मत खड़ा करना मरीजों की आहें और बददुओं पर महल!

-मेडिकल कालेज टांडा और सीएचसी मरवटिया के गरीब मरीजों का खून चूस-चूस कर डा, नवीन कुमार चौधरी और डा. अर्चना चौधरी ने करोड़ों का बनाया ओमवीर हास्पिटल

-फंसता देख डाक्टर दंपत्ति किसी भी शर्त पर समझौता करने को तैयार, कोई भी कीमत देने को तेैयार

-पीड़ित परिवार ने डाक्टर से मिलने और समझौता करने से किया इंकार, कहा अब देर हो गई

-कहां गए डाक्टर को क्लीन चिट देने वाले आईएमए और लिफाफा लेकर डाक्टर के पक्ष में खबरें लिखने और चलाने वाले पत्रकार

बस्ती। कल तक मृतक पल्टू के परिवार को मौत का जिम्मेदार बताने वाले डाक्टर नवीन चौधरी आज क्यों मृतक के परिवार से मिलने और किसी भी शर्त पर समझौता करने को तैयार होने का मैसेज पहुंचा रहे है। मृतक के पुत्र वीरेंद्र प्रताप ने स्पष्ट कह दिया है, कि मिलने जुलने और समझौता करने का समय उसी दिन समाप्त हो गया, जिस दिन डाक्टर और आईएमए ने डाक्टर को दोषी न मानकर हम लोगों को ही दोषी मानने वाला बयान जारी किया। कहा कि हम लोग अनाथ हो गए, पापा ही एक मात्र कमाने और परिवार का भरण पोषण करने वाले थे, पापा एलडीए में संविदा पर कार्यरत रहें, अभी उनकी नौकरी 12 साल बाकी है। एलडीए में मृतक आश्रित पर नौकरी देने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। भईया की कमाई भी बहुत अच्छी नहीं हैं, खेती भी बहुत नहीं है। बहन की शादी करना बाकी। बताया कि पापा के जाने से हम लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया हैं, क्यों कि मैं भी अभी पढ़ाई कर रहा हूं। कहने का मतलब डाक्टर की लापरवाही ने एक ऐसे परिवार को मुसीबत में डाल दिया, जिसकी भरपाई होना कठिन है। आज भले ही डाक्टर का परिवार कोई भी कीमत देने को तैयार हैं, यहां तक कह रहे हैं, कि जो भी सजा देनी हो दे दे हमारे नर्सिगं होम पर बुलडोजर चला दें, चाहें तो सार्वजनिक रुप से थप्पड़ भी मार लें, लेकिन माफ कर दें। डाक्टर दंपत्ति को आज महसूस हो रहा होगा, पैसा ही सबकुछ नहीं होता और न पैसे से हर चीज खरीदी जा सकती है। जो व्यवहार डाक्टर अर्चना चौधरी ने पीड़ित परिवार के साथ किया, वह बताता है, कि डाक्टर दंपत्ति पैसे के नशे में कितना चूर है। अगर यह पैसा दोनों ने ईमानदारी और मेहनत से कमाया होता तो उन्हें इंसान और पैसे की कद्र होती। पैसे के नशे में चूर होकर संचालिका डा. अर्चना चौधरी ने वीरेंद्र प्रताप से कहा था, कि अगर किसी अधिकारी के पास गए या फिर शिकायत किया तो पूरे परिवार को जान से मरवा दूंगी, यह भी कहा कि ऐसे ही हास्पिटल मैं नहीं चला रही हूं। बहुत सी ऐसी घटनाएं देख चुकी हूं, मेरा कोई कुछ नहीं कर पाया। परिवार की सुरक्षा चाहते हो इस घटना को यानि पिता की मौत को भूल जाओ। जाहिर सी बात हैं, कि इस तरह की धमकी और चेतावनी एक आम नागरिक नहीं दे सकता, डा. अर्चना चौधरी जैसी घमंडी और पैसे के नशे में चूर महिला ही दे सकती है। डा. अर्चना चौधरी ने जो भी बातें कहीं वह सब लिखा पढ़ी में है। यह बातें इन्होंने 17 जुलाई 25 को मौत के बाद कही गई। एक सप्ताह पहले जो बाते कहीं गई, आज उसमें कितना परिवर्तन हो गया, वह देखने वाला है। जो दंपत्ति एक सप्ताह पहले वीरेंद्र प्रताप के पूरे परिवार को जान से मरवा देनी की धमकी दे रहा था, आज वही रहम की भीख मांग रहा है। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि किसी को हराम की कमाई गई पैसे पर इतना घमंड नहीं करना चाहिए, कि एक दिन वही पैसा मुसीबत बन जाए। अब आप समझ गए होगें कि क्यों कहा जा रहा है, कि किसी मरीज के आहें और बददुओं पर महल नहीं खड़ा चाहिए, नहीं तो एक दिन महल भरभराकर गिर जाए। वैसे भी ओमवीर हास्पिटल को डाक्टर दंपत्ति ने टांडा और मरवटिया के मरीजों का खून चूस-चूसकर खड़ा किया। अब तो सभी को पता चल गया कि डा. नवीन चौधरी मेडिकल कालेज महामाया और डा. अर्चना चौधरी सीएचसी मरवटिया से मरीज लाकर अपने अस्पताल में आपरेषन और इलाज करते/करती रही। अधिकांश मरीज आयुष्मान कार्ड वाले रहे। टांडा से जितने भी मरीज लाए जाते हैं, उसमें कैष वाले अधिक होते हैं, चूंकि कैश में डाक्टर जितना चाहते हैं, ले लेते हैं, लेकिन आयुष्मान में तो वही मिलेगा जो पैकेज में होगा, जैसे गाडब्लेडर के लिए 31000 और किडनी स्टोन के लिए 45000 का भुगतान होता है।

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