- 29°C Noida, Uttar Pradesh |
- Last Update 11:30 am
- 29°C Greater Noida, Uttar Pradesh
मरीज ने श्रीकृष्णा मिशन हास्पिटल वाले को ही ठग लिया!
-ग्राम झड़ीना थाना गढ़मुक्तेष्वर जिला हापुड़ निवासी और श्रीकृष्णा मिशन में काम करने वाले निखिल त्यागी ने मरीज दलजीत मिश्र, पुत्र अनुराग मिश्र और अनूप मिश्र ने मुकदमा दर्ज कराया
-इससे पहले भी ठगी के आरोप में इन तीनों पर दो और मुकदमा हो चुका है, अनुराग मिश्र अपने आप को बीडीए का बाबू बताता
-ठगों के पिता ने इलाज के दौरान त्यागी से कहा कि मेरा बेटा लोहे की टंकी दुकान आवंटित करवाता है, और बहुत से लोगों को आंवटित करवा चुका, झांसे में आकर पहले 63800 रुपया आनलाइन दिया और उसके बाद किष्तों में एक लाख 20 हजार बीमार पिता को दिया
बस्ती। जिले में ठगी का सिलसिला नहीं थम रहा है, अब तो मरीज बनकर अस्पताल वाले को ही लोग ठगने लगें। ऐसा ही एक मामला श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल का सामने आया। यहां पर इलाज कराने आए एक बुजुर्ग ने अस्पताल के ही ग्राम झड़ीना थाना गढ़मुक्तेष्वर जिला हापुड़ निवासी और श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल में काम करने वाले निखिल त्यागी को मरीज दलजीत मिश्र, पुत्र अनुराग मिश्र और अनूप मिश्र ने लोहे की टंकी की दुकान आवंटित कराने के नाम पर दो लाख से अधिक ठग लिया। इलाज करा रहे पिता दलजीत मिश्र ने कहा कि मेरे दोनों पुत्र लोहे की टंकी दुकान आवंटित करवाने का काम करते हैं, और अनुराग मिश्र बीडीए में बाबू के पद पर काम करता है, और यह अब तक कई लोगों को दुकान आंवटित करवा चुका है। त्यागीजी मरीज के झांसे में आ गए और पहले 63800 खाते में दिया, फिर कई किष्तों में एक लाख बीस हजार दिया। जब दुकान की बात की गई तो पिता और दोनों पुत्र टालमटोल करने लगे, इसके बाद मिशन के लोगों ने एक मीटिगं किया और बीडीए में जाकर पता करने का निर्णय लिया, जब यह लोग बीडीए में गए तो लोगों ने बताया कि उसे तो काफी पहले नौकरी से निकाल दिया गया हैं, और उसके खिलाफ धोखाघड़ी के दो और मुकदमें भी दर्ज है। जब पैसा वापस मांगा तो जान से मारने की धमकी दी गई। उसके बाद से पिता और दोनों जालसाज पुत्र फरार चल रहे है। यह मुकदमा एसपी के आदेश पर लिखा गया, तीनों ठग नगर थाने के खुटहना के रहने वाले है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब ठगी और जालसाजी के आरोप में मुकदमा न दर्ज होता हैं, उसके बाद भी पढ़े लिखे लोग ठगी का शिकार हो रहे है। ठगी भी एक दो लाख की नहीं बल्कि करोड़ों की हो रही है। मोहल्ले वाले ही मोहल्ले वाले को ठग ले रहे है। खासबात यह है, कि इस ठगी के कारोबार में पूरा परिवार का शामिल होना रहा। बस्ती जैसे छोटे से षहर में अगर कोई करोड़ों रुपया ठगकर चला जाता है, तो इसके लिए दोष किसे माना जाए ठगने वाले को या फिर ठगी का शिकार होने वाले को। अनेक ऐसे ठगी के मामले होते हैं, जिसमें पुलिस एफआईआर तक नहीं लिखती, अधिकतर ठगी के मामले का एफआईआर एसपी से मिलने के बाद ही दर्ज हुआ।
0 Comment