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खरे’ परिवार पर ‘करोड़ों’ का ‘आरोप’ लगाने वाले ‘क्यों’ नहीं ‘दर्ज’ कराते ‘केस’?

खरे’ परिवार पर ‘करोड़ों’ का ‘आरोप’ लगाने वाले ‘क्यों’ नहीं ‘दर्ज’ कराते ‘केस’?

-कोई कहता उधार के नाम करोड़ों दिया तो कोई कहता नौकरी के नाम पर 50 लाख दिया, कौन सी नौकरी के नाम पर इतनी बड़ी दी नहीं बताया, लेकिन कोई यह नहीं बता रहे हैं, कि पैसा कारोबार में लगाने को दिया

-कोई यह नहीं कहता है, कि उसे 70-80 लाख के बदले तीन करोड़ से मिला, कोई यह भी नहीं कहता, कि उसे 20 लाख के बदले 36 लाख मिला, जिसे अधिक मिला वह और अधिक पाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहा, और जिसे मूलधन भी नहीं मिला, वह उफ तक नहीं कर रहाऊ

-अगर अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड टंप जीतने के बाद कंपनी के कारोबार पर रोक न लगाते तो आज कोई किसी पर आरोप नहीं लगाता, और चुपचाप मुनाफा कमाते रहते

-बकाया वसूली के लिए कोई धरने पर बैठता तो कोई सोशल मीडिया पर लाइव आकर चिल्लाता, तो कोई सुसाइड करने की धमकी देता, अपनी बर्बादी के लिए कथित पीड़ित दिव्यांशु  खरे को दोषी मान रहें

-दिव्यांशु  खरे खुद लाइव आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर करोड़ों हड़पने का आरोप लगाते हुए लगभग तीन माह पहले ही एफआईआर दर्ज की तहरीर कोतवाली में दे चुके

-चूंकि कारोबार के लिए सभी लोगों ने दिव्यांशु खरे के खाते से लेन-देन किया, इस लिए सबसे अधिक जबावदेही दिव्याशु खरे की ही बनती, भले ही इन्होंने सबसे अधिक तीन करोड़ लगाया, मुनाफा भी उसी हिसाब से कमाया के नाम पर पैसा मांगता

बस्ती। देखा जाए तो आज सबसे अधिक अनूप खरे का परिवार चर्चा का विषय बना हुआ है। भले ही करोड़ों के लेन-देन में अनूप खरे की कोई भूमिका न हो, लेकिन नामचीन होने के नाते अवष्य इनका नाम सामने आ रहा है। अनूप खरे का आज भी कहना है, कि लेन-देन के इस मामले में उनका दूर-दूर तक कोई रिष्ता नहीं हैं, जो भी लेन-देन/कारोबार हुआ, वह उनके भतीजे दिव्यांशु खरे और आरोप लगाने वालों के बीच हुआ। इसकी पुष्टि दिव्याशु खरे भी करते हैं, और कहते भी हैं, कि इस मामले में उनके चाचा का कोई भी रोल नहीं, चाचा की छवि खराब करने के लिए ही उनके साथ चाचा का नाम लिया जा रहा है, ताकि दबाव में आकर इच्छित धनराशि वसूल की जा सके। आज तक लोगों को यह समझ में नहीं आया कि इतनी बड़ी रकम का लेन-देन उधार/ब्याज पर किया गया, या फिर आनलाइन टेडिगं के नाम पर मुनाफा कमाने के लिए दिव्याषुं खरे के खाते में दिए गए। इस बात का खुलासा आज तक किसी आरोपी ने भी नहीं किया। सवाल उठ रहा है, कि बकौल आरोपी जब दिव्यांशु खरे ने उनका करोड़ों हड़प लिया, तो लगभग दो साल होने को हैं, क्यों नहीं अभी तक एफआईआर लिखवाया, एफआईआर लिखवाने की तो बात ही छोड़ दीजिए, तहरीर और एक शिकायत तक नहीं किया, क्यों नहीं किया? यह चर्चा का विषय बना हुआ। सवाल यह भी उठ रहा है, कि क्यों दिव्यांशु खरे की ओर से लगभग तीन माह पहले आरोप लगाने वाले रत्नाकर श्रीवास्तव उर्फ आदर्श श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह के खिलाफ तहरीर दी गई? क्यों नहीं यही तहरीर दिव्यांशु खरे के खिलाफ दी गई, जब यही सवाल अभिषेक सिंह से किया गया तो उन्होंने कहा कि वापसी होने की उम्मीद में उन लोगों ने अभी तक कानून का सहारा नहीं लिया, लेकिन अब लेने जा रहे है।   

कोई कहता, कि उधार के नाम करोड़ों दिया तो कोई कहता कि नौकरी के नाम पर 50 लाख दिया, कौन सी नौकरी के नाम पर इतनी बड़ी रकम दिया, यह नहीं बताते। लेकिन कोई यह भी नहीं बता रहा है, कि पैसा, कारोबार में लगाने को दिया, या फिर ब्याज पर दिया। ब्याज की बात तो आदर्ष श्रीवास्तव और नमन श्रीवास्तव के हाथ से लिखे उस हिसाब से होता है, जिसमें ब्याज के रकम को देने की बात कही गई। कोई यह नहीं कहता है, कि उसे 70-80 लाख के बदले तीन करोड़ क्यों और कैसे मिला? कोई यह भी नहीं कहता, कि उसे 20 लाख के बदले 36 लाख क्यों और कैसे मिला? जिसे अधिक मिला वह और अधिक पाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया, और जिसे मूलधन भी नहीं मिला, वह उफ तक नहीं कर रहा। कहा जाता है, कि अगर अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड टंप जीतने के बाद कंपनी के कारोबार पर रोक न लगाते तो आज कोई किसी पर आरोप नहीं लगाता, और चुपचाप मुनाफा कमाते रहते। आज भी एक दो लोग हैं, जिन्हें कंपनी के फिर से चालू होने की उम्मीद है। इसी आस में वह पैसा वापस नहीं मांग रहे हैं। हालत यह हो गई कि बकाया वसूली के लिए कोई धरने पर बैठ रहा तो कोई सोशल मीडिया पर लाइव आकर चिल्ला रहा, तो कोई गोली मारकर सुसाइड करने की धमकी देकर वसूलना चाहता। कहना गलत नहीं होगा कि आजकल लोग घर जाकर या फिर आपस में मिल बैठकर हिसाब नहीं करना चाहते, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए अपनी बर्बादी का ठीकरा एक दूसरेे पर फोड़ना चाहतें। जब करोड़ों का लेन-देन किया गया और मुनाफा कमाया गया तो कोई नहीं जान पाया, और जब डूबा तो पूरी दुनिया जान गई। आज कथित पीड़ित, दिव्यांशु खरे को ही अपनी बर्बादी का कारण मान रहा है। दिव्यांशु  खरे खुद लाइव पर आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर करोड़ों हड़पने का आरोप लगाते हुए लगभग तीन माह पहले ही एफआईआर दर्ज की तहरीर कोतवाली में दे चुके। चूंकि कारोबार के लिए सभी लोगों ने दिव्यांशु खरे के खाते से लेन-देन किया, इस लिए सबसे अधिक जबावदेही दिव्यांशु खरे की ही बनती, भले ही इन्होंने सबसे अधिक पैसा लगाया, लेकिन मुनाफा भी उसी हिसाब से कमाया होगा, लेकिन आरोपों से यह नहीं बच सकते हैं, अगर दिव्यांशु खरे लाइव पर आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर आरोप न लगाते तो शायद नमन श्रीवास्तव भी दो बार लाइव पर आकर दिव्यांषु खरे पर हमला न बोलते, और न अभिषेक सिंह, सीएमएस स्कूल के गेट पर यह कहते हुए धरने पर बैठते कि जब तक उनका पूरा पैसा नहीं मिल जाता, वह यहां से नहीं जाएगें, यह अलग बात हैं, कि धरने पर बैठने का इन्हें एक रुपये का भी लाभ नहीं हुआ। इसी धरने पर बेैठकर इन्होंने अनूप खरे पर नौकरी के नाम पर 50 लाख लेने का आरोप लगाया था। देखा जाए तो कुल मिलाकर सबसे अधिक बदनामी खरे परिवार की ही हो रही है। इस पूरे मामले को हवा देने में एक नामचीन श्रीवास्तव का नाम भी सबसे अधिक सामने आ रहा है। कहा जाता है, कि यह व्यक्ति खरे परिवार को सामने करके अपना बदला लेना चाहता है। क्यों कि इन्हें लगता है, कि उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज हुआ, उसमें अनूप खरे का बहुत बड़ा हाथ है। यह सही है, कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फ्राड के आरोप में केस दर्ज हुआ, उसने कभी सपने भी नहीं सोचा था, कि उसके खिलाफ भी कोई मुकदमा दर्ज करा सकता हैं, क्यों कि इनके पास पावर और मनी दोनों है।

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