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करोड़ों का घोटाला हुआ, इस लिए जानकारी नहीं मिलेगी!

करोड़ों का घोटाला हुआ, इस लिए जानकारी नहीं मिलेगी!

-जिला पंचायत के एएमए ने माना कि उनके यहां भारी पैमाने पर घोटाला हुआ

-आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में एएमए ने चंद्रेश प्रताप सिंह को लिखकर दिया कि खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है, कि भ्रष्टाचार की जानकारी नहीं दी जा सकती

-जिला पंचायत के एएमए पहले ऐसे प्रदेश के अधिकारी होगें, जिन्होंने जिला पंचायत में सरकारी धन से कराए गए कार्यौ की जानकारी देने से लिखित में इंकार कर दिया

बस्ती। यूंही नहीं मीडिया सालों से चिल्ला रही है, कि जिला पंचायत को अध्यक्ष, एएमए, ईजीनियर, जेई और ठेकेदार मिलकर लूट रहे है। कहना गलत नहीं होगा कि इसी लॅूटपाट के चलते भाजपा को एक सांसद और चार विधायक से हाथ धोना पड़ा, उसके बाद भी जिम्मेदारों को यह बात समझ में नहीं आ रही है, कि अगर जिला पंचायत में इसी तरह लूटपाट होता रहा, तो 2027 में जिले से भाजपा का सफाया हो जाएगा। हो सकता है, संजय चौधरी का भी विधायक बनने का सपना टूट जाए। क्यों कि चुनाव लड़ने की तैयारी तो यह कर भी रहें है। कहा जाता है, कि अगर भाजपा ने इन्हें टिकट दे भी दिया तो इनकी छवि देख जनता इन्हें आसानी से स्वीकार नहीं करेगी। अनैतिक पैसे और पार्टी के बल पर इन्हें वोट मिल सकता है, लेकिन छवि के बल पर नहीं। वैसे ही इन्हें टिकट इस लिए नहीं मिल सकता, क्यों कि इन्होंने जिसे धोखा दिया, वह इनकी मंषा पर पानी फेर सकता है। बहरहाल, अभी चुनाव में काफी समय हैं।

अब हम आप बताते हैं, कि चंद्रेश प्रताप सिंह के द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में एएमए ने क्या जबाव दिया। पहले हम आप को मांगी गई जानकारी के बारे में बता दें, आप को खुद लग जाएगा, कि सूचना देने में क्यों आनाकानी की गई। सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई, जिसमें साल 21-22 से 24-25 तक 15वां वित्त से 24-25 राज्य वित्त सहित अन्य मदों में कुल प्राप्त धनराषि का विवरण, 21-22 से 24-25 तक प्राप्त धन का व्यय विवरण, परियोजनावार, जिला पंचायत अध्यक्ष के सरकारी आवास पर साज-सज्जा, रखरखाव आदि पर खर्च किए गए का विवरण, ठेकेदार का नाम, पता, फर्म सहित किन समाचार पत्रों में टेंडर प्रकाषित हुआ। जिला पंचायत के द्वारा बिल्डिगं, हाल, भवन, अध्यक्ष कार्यालय बैठक जो ध्वस्तीकरण कराया गया, उसका विवरण, जिला पंचायत हाल बिल्डिगं के ध्वस्तीकरण का आदेश, आदेष देने वाले अधिकारी का नाम व पता एवं वित्तीय साल 21-22 से 24-25 में क्रय की गाड़ियों का विवरण, प्रबंधन में व्यय का विवरण की छायाप्रति शामिल है। जाहिर सी बात है, कि जो जानकारी मांगी गई हैं, अगर एएमए ने दे दिया तो क्या होगा? इसे आसानी से समझा जा सकता है। अब जरा एएमए का जबाव देख लीजिए। उन्होंने सूचना देने के बजाए ऐसा जबाव दिया हैं, जिससे पता चलता है, कि जिला पंचायत में किस हद तक सरकारी धन का दुरुपयोग संगठित गिरोह की तरह किया गया। लिखा कि सूचना विस्तृत होने के कारण उसके संकलन/तैयार कराने में संसाधनों का अभाव हैं, सूचना उपलब्ध कराने जिला पंचायत की दक्षता प्रभावित होगी, अन्य कार्य बाधित होगें, ऐसे में अधिनियम की धारा में दी गई व्यवस्था के तहत सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकती।

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