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‘कमिश्नर’ साहब बताइए, अवैध ‘कालोनियों’ पर ‘बुलडोजर’ कब चलेगा?

‘कमिश्नर’ साहब बताइए, अवैध ‘कालोनियों’ पर ‘बुलडोजर’ कब चलेगा?

-यह भी बताइए कि किसके आदेश पर लगभग 40 सील किए गए भवन का सील तोड़ा, और क्यों नहीं इसकी जानकारी बीडीए के सदस्यों को दी गई

-कमिश्नर साहब क्यों नहीं आज तक वित्तीय आडिट हुआ? क्या घोटाले को छिपाने के लिए आडिट नहीं करवाया जा रहा?

-कमिश्नर यह भी बताइए कि क्यों नहीं अभी तक 17 अवैध कालोनियों पर बुलडोजर चला?जब कि पिछले कई सालों से हर बैठकों में आपकी ओर से ध्वस्तीकरण करण के आदेश दिए जाते

-कमिश्नर साहब जब हम सदस्यों को बीडीए की नई नीति के बारे में जानकारी नहीं हैं, जो जनता को कैसे होगी? क्यों नहीं असका प्रचार-प्रसार कराया गया

बस्ती। चौंकिए मत! यह बम एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह ने नहीं बल्कि रामनगर के ब्लॉक प्रमुख एवं बीडीए के सदस्य यशंकात सिंह ने बीडीए की बैठक में फोड़ा। बैठकों में चाय समोसा खाकर चले आने का आरोप लगने के बाद पहली बार इन्होंने बीडीए के सदस्य होने का एहसास कमिष्नर, डीएम, एडीएम और बीडीए के अधिकारियों को दिलाया। एक के बाद एक बम फोड़ते देख सभी अधिकारी सकते में आ गए, और सोच में पड़ गए कि आज इन्हें क्या हो गया? चूंकि अधिकारी होमवर्क करके गए नहीं थे, और न वे इसके लिए तैयार भी थे, इस लिए असहज नजर आए। कमिष्नर साहब कहते रहे गए कि प्रमुखजी समोसा खा लीजिए, लेकिन नहीं खाया, पानी अवष्य पी लिया। कहा कि बीडीए का खाने का लायक कुछ भी नहीं है। इनके बगल में बैठे एक अन्य बीडीए के सदस्य प्रेम सागर तिवारी भी तेवर देख दंग रह गए। जिस तरह बैठक से पहले हरीष सिंह होमवर्क करके जाते हैं, ठीक उसी तरह पहली बार यशकांत सिंह भी पूरा होमवर्क करके गए थे। सबसे अधिक असहज एडीएम दिखे। डीएम साहब ने अधिकतर सवालों का समर्थन किया और कहा भी सवाल वाजिब है।

अधिकारी अनेक सवालों का जबाव तक नहीं दे सके, और बगले झांकने लगे। अभी चाय समोसा का दौर चल ही रहा था, कि इसी बीच यशकंात सिंह सवालों की झड़ी लगानी शुरू कर दिया। कहा कि कमिश्नर याहब यह बताइए कि किसके आदेश पर लगभग 40 सील किए गए भवन का सील तोड़ा, और क्यों नहीं इसकी जानकारी बीडीए के सदस्यों को दी गई? इस पर कमिष्नर ने कहा कि जितने भी भवन सील किए जाए और खोले जाए, उसकी जानकारी सदस्यों को अवष्य दी जाए, और हर 15 दिन में इसकी लिखित जानकारी अधिकारियों को भी दी जाए। जब इन्होंने कमिश्नर साहब से यह पूछा कि क्यों नहीं आज तक वित्तीय आडिट हुआ? क्या घोटाले को छिपाने के लिए आडिट नहीं करवाया जा रहा? इस पर सन्नाटा छा गया। यह सही है, कि घोटाला होने के कारण वित्तीय आडिट नहीं करवाई जा रही है। गोलमोल में जबाव देकर पल्ला झाड़ लिया। सबसे बड़ा बम दोगते हुए पूछा कि कमिश्नर साहब यह भी बताइए कि क्यों नहीं अभी तक 17 अवैध कालोनियों पर बुलडोजर चला?जब कि पिछले कई सालों से हर बैठकों में आपकी ओर से ध्वस्तीकरण के आदेश दिए जाते रहें, इस पर भी अधिकारी खामोश रहे, और बगले झाकते रहे। बस इतना कहा गया कि कमेटी बना दी गई, चूकि समय कम होने के कारण इस महत्वपूर्ण बिंदु पर विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी। कमिष्नर साहब से पूछा कि जब हम सदस्यों को बीडीए की नई नीति के बारे में जानकारी नहीं हैं, जो जनता को कैसे होगी? क्यों नहीं इसका प्रचार-प्रसार कराया गया? इस पर डीएम ने हामी भरते हुए कहा कि आप के सुझाव पर कार्यषाला के जरिए व्यापारी संगठनों सहित अन्य को जानकारी दी जाएगी, पोस्टर एवं बैनर के जरिए भी जानकारी दी जाएगी। कमिश्नर साहब ने भी कहा कि जब तक लोगों को नई नीति की जानकारी नहीं होगी, तब तक लोग अंधकार में रहेगें। आपत्ति लगने के कारण लंबित मानचित्र को एक माह के भीतर स्वीकृति करने की व्यवस्था करने को कहा गया, ताकि भवन स्वामियों को कठिनाईयों का सामना न करना पड़े। यह भी सही है, कि जानकारी के अभाव में बीडीए के लोग भवन स्वामियों का शोषण करते है। पहली बार यशंकात सिंह चौड़े होकर बैठक से बाहर निकले। बीडीए के अधिकारी भी इनके सवालों से दंग रह गए।

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