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कमीशन’ न देने की सजा ‘ठेकेदार’ को मिली ‘जेल’

कमीशन’ न देने की सजा ‘ठेकेदार’ को मिली ‘जेल’

-मुख्यमंत्री के जिले में पीडब्लूडी के जेई ने ठेकेदार को इस लिए पीटा और जेल भेजवाया क्यों कि ठेकेदार लल्लन दूबे ने कमीशन देने असमर्थता जताई, जेल जाते-जाते ठेकेदार ने कहा कि उसे सच बोलने की सजा दी गई

-कहा कि सीएम के जिले में बेईमानों की सुनी जाती है, ईमानदारों की नहीं, अगर सुनी गई होती तो जेई के खिलाफ मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज होता, न कि मार खाने वाले ठेकेदार के खिलाफ

-बेईमान अवर अभियंताओं की पुलिस ने भी सुनी एफआईआर दर्ज किया और मिनटों में अरेस्ट कर जेल भी भेज दिया, मानो ठेकेदार लल्लन दूबे कोई बहुत बड़ा अपराधी हो, ठेकेदारों की उन अधिकारियों ने भी नहीं सुनी जिसको यह लोग 10 फीसद कमीशन देतें

-कहा कि कैसे कोई ठेकेदार इंजीनियर्स को 10 फीसद कमीशन देगा, जब उसे 35 से 40 फीसद बिलो में टेंडर मिला, लेकिन जेई को तो पांच फीसद कमीषन भी चाहिए और सड़को की गुणवत्ता भी अच्छी चाहिए

-हर्रैया जैसी व्यवस्था तो पूरे प्रदेश में होनी चाहिए, जहां के ठेकेदार खुश, नेता खुश, जनता खुश और अधिकारी खुश, न जेई के जांच का झंझट और न भुगतान को कोई लफड़ा

बस्ती। कहा भी जाता है, कि पूर्वांचल के किसी ठेकेदार को अगर फुल रेट में टेंडर और जेई के जांच पड़ताल और मार खाने से बचना हैं, तो उन्हें हर्रैया के ठेकेदारों से कुछ सीखना चाहिए। यहां के ठेकेदार जितना खुश रहते हैं, और पैसा कमाते हैं, उतना जिले के अन्य चारों विधानसभाओं के ठेकेदार नहीं कमाते। इनमें इतनी एकता रहती है, कि मजाल है, कोई ठेकेदार एक फीसद भी बिलो रेट डाल दे, ऐसी एकता तो षायद ही किसी जिले के विधानसभा के ठेकेदारों में देखने को मिलती हो। यही कारण है, कि सड़कों की गुणवत्ता भी अन्य विधानसभाओं की अपेक्षा यहां पर अच्छी होती है, क्यों कि यहां के ठेकेदारों ने ऐसी व्यवस्था बनाई हैं, कि जिसमें सब खुश रहे। ऐसी व्यवस्था तो पूरे प्रदेश में होनी चाहिए। ठेकेदार खुष, नेता खुश, जनता खुश और अधिकारी खुश। जो व्यवस्था सीएम के जिले में नहीं हैं, वह व्यवस्था हर्रैया विधानसभा में है। न जेई के जांच का झंझट और न भुगतान का कोई लफड़ा, इसके लिए हर्रैया के ठेकेदार सहित सभी लोग बधाई के पात्र है। अब आ जाइए, सीएम के जिले गोरखपुर की व्यवस्था पर। मुख्यमंत्री के जिले में पीडब्लूडी के जेई ने ठेकेदार को इस लिए पीटा और जेल भेजवाया क्यों कि ठेकेदार लल्लन दूबे ने कमीशन देने असमर्थता जताई, जेल जाते-जाते ठेकेदार ने कहा कि उसे सच बोलने की सजा दी गई। कहा कि सीएम के जिले में बेईमानों की सुनी जाती है, ईमानदारों की नहीं, अगर सुनी गई होती तो जेई के खिलाफ मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज होता, न कि मार खाने वाले ठेकेदार के खिलाफ। बेईमान अवर अभियंताओं की पुलिस ने भी सुनी, एफआईआर भी दर्ज किया और मिनटों में अरेस्ट कर जेल भी भेज दिया, मानो ठेकेदार लल्लन दूबे कोई बहुत बड़ा अपराधी हो, ठेकेदारों की उन अधिकारियों ने भी नहीं सुनी जिसको यह लोग 10 फीसद कमीशन देतें है। कहा कि कैसे कोई ठेकेदार इंजीनियर्स को 10 फीसद कमीशन देगा, जब उसे 35 से 40 फीसद बिलो में टेंडर मिला, लेकिन इंजीनियर्स को तो हर हाल में दस फीसद कमीशन भी चाहिए भले ही ठेकेदार अपने बच्चे का फीस न भर सकें। इन्हें कमीशन के साथ सड़को की गुणवत्ता भी अच्छी चाहिए। अब जरा अंदाजा लगाइए ेिक ठेकेदार संघ ने धरना प्रदर्शन किया, कहा कि जेई ने ठेकेदार को मारा और उनके खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर दिया गया। जब कि ठेकेदार की तहरीर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जेई कहते हैं, कि ठेकेदार बदतमीजी और जबरदस्ती कर रहा था, सरकारी कार्य में बाधा डाल रहा था। दुनिया का कोई भी ठेकेदार क्या ऐसा होगा जो जेई से बदतमीजी करेगा, क्या ऐसा करके कोई ठेकेदार अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारेगा? बताते हैं, कि जैसे ही ठेकेदार ने कमीशन देने में असमर्थता जताया वैसे ही जेई आपे से बाहर हो गया। पहले मारापीटा और उसके बाद एफआईआर दर्ज करवाकर जेल भेजवा दिया। ठेकेदार समूह देखता रहा गया, और एक निर्दोष ठेकेदार जेल चला गया। कहते हैं, कि अगर कोई ठेकेदार दाह संस्कार में भी रहता है, तो उसे फोन करके जेई कहते हैें, कि पहले कमीषन दे जाओ फिर दाह संस्कार में जाना। यही है, योगीजी के जिले के जेई की सच।

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