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कलयुगी शिक्षक बेटाः राशन कार्ड के लिए मां को ही बदल दिया!
बस्ती। बनकटी ब्लॉक के सूरापार निवासी और प्रधान रह चुके स्व. मोतीलाल शर्मा का परिवार क्यों इतना चर्चा का विषय बना हुआ हैं? क्यों इस परिवार के बारे में लोग जानना चाहते है? तीन बार से प्रधानी इन्हीं के परिवार में है। पहले स्व. मोतीलाल शर्मा प्रधान हुए, उसके बाद 2015 से लगातार दो बार इनकी पत्नी मीरा देवी प्रधान है। यह परिवार तब चर्चा में आया, जब सूरापार निवासी राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ने इनके पुत्र सरद कुमार शर्मा और रजनीष कुमार शर्मा की शिकायत करते हुए कहा इन दोनों भाईयों के नाम आन्वी कांस्टक्षन एंड सप्लायर्स नामक फर्म हैं, फर्म एक है, लेकिन प्रोपराइटर दोनों भाई हैं। शिकायत में इस फर्म को फर्जी बताते हुए भुगतान करने की बात कही गई। जांच तत्कालीन बीडीओ धनेश यादव ने किया, जिसमें फर्म को ही अस्तित्वहीन बताया। जब कि इस फर्म को सूरापार में ही बंधा और नाला निर्माण के नाम पर फर्जी तरीके से लगभग 65 लाख का भुगतान किया गया। इसकी शिकायत ज्वांइट कमिश्नर राज्यकर गोरखपुर को जीएसटी की चोरी के आरोप में किया गया। हाल ही प्रधान मीरा देवी तब चर्चा में आई जब इन्होंने अपने नाम कुरियार में दारु का लाइसेंस लिया। अब एक नया मामला सामने आया हैं, हालांकि मामला पुराना है। शिकायतकर्त्ता की ओर से एक शिकायत 2021 के अंत में बीएसए और डीएसओ से की गई, जिसमें प्रधान के पुत्र सरद कुमार शर्मा जो कुदरहा ब्लॉक के बेलवाडाड़ प्राथमिक विधालय में हेड मास्टर है। कहा गया कि इन्होंने अपनी माता मीरा देवी का नाम बदलकर पात्र गृहस्थी का राषन कार्ड बनवाकर उसका लाभ ले रहे है। यह राशन कार्ड जब इनके पिताजी प्रधान थे तो तब बना था। जाचोंपरांत डीएसओ ने तो कार्ड को निरस्त कर दिया, लेकिन न तो एफआईआर दर्ज करवाया और न ही लिए गए राशन की रिकवरी ही कराई गई। अब आ जाइए बीएसए पर। इनसे भी शिकायत की गई, और धोखाघड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की गई। लेकिन बीएसए ने आजतक कोई कार्रवाई नहीं किया। अब आप समझ ही गए होगें कि यह परिवार क्यों चर्चा में रहता है? यह तो सही है, कि इस परिवार ने प्रधानी होने का खूब उचित/अनुचित लाभ उठाया। करोड़पति परिवार होने के बावजूद अगर उस परिवार की प्रधान दारु का कारोबार करे, और शिक्षक बेटा सिर्फ राशन का अनुचित लाभ लेने के लिए माता को ही बदल दे, तो समाज ऐसे परिवार के लोगों को क्या कहेगा? अगर यह परिवार गरीबों के राशन पर डाका डालता है, तो समाज में बदनामी तो होगी ही। अगर एक सरकारी शिक्षक माता का नाम बदलकर राशन कार्ड का लाभ लेता है, तो यह कितने शर्म की बात है। ऐसे शिक्षकों से बच्चे क्या शिक्षा लेगें? यह शिक्षक को सोचना होगा। समाज में शान के साथ सिर उठाकर चलना है, या फिर झुका कर, इसका भी निर्णय शिक्षक को ही करना होगा।
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