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ज्योति यात्रा’ का मुख्य केंद्र रहा ‘12 फुट’ लंबी ‘मूंछ’

‘ज्योति यात्रा’ का मुख्य केंद्र रहा ‘12 फुट’ लंबी ‘मूंछ’

बस्ती। वैसे तो हर साल ज्योति यात्रा में कोई न कोई व्यक्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है। इस ज्योति यात्रा कार्यक्रम का जिले वाले इंतजार करतें है। जिस तरह इस कार्यक्रम की भव्यता हर साल बढ़ती जा रही हैं, और लोकप्रिय हो रहा हैं, उससे पता चलता है, कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरी टीम कितनी मेहनत करती है। विजय दष्मी के दिन निकलने वाले इस ज्योति यात्रा का हिस्सा बनने और सहयोग करने के लिए लोगों में होड़ लगी रहती है, हर वर्ग के लोग इस कार्यक्रम में बढ़चढ़कर न सिर्फ हिस्सा लेते हैं, बल्कि इसे सफल बनाने के लिए दिन रात मेहनत भी करते है। आज यह ज्योति यात्रा जिले की पहचान बनती जा रही है। इस ज्योति यात्रा में देश के कोने-कोने से कलाकार भाग लेने आते है। प्रशासन इस यात्रा को बढ़ाने की इजाजत नहीं दे रहा है। देखा जाए तो इस बार लोकप्रिय  राजस्थानी लोक कलाकार रामनाथ चौधरी (82) का नाक से अलगोजा बजाना आकर्षक का केंद्र रहा। हर कोई इनकी 12 फुट लंगी मूछं को अपने हाथ से पकड़ना चाहता। बताया गया कि अलगोजा एक राजस्थानी लोककला का बाद्ययंत्र है। इसके लिए इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कई बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य के हाथों से सम्मान मिल चुका है। रामनाथ चौधरी बस्ती के कंपनी बाग से 24वें वर्ष निकल रही ज्योति यात्रा में भाग लेने आए हैं।

बताया कि अलगोजा बजाने की कला उनके पिता से उन्हें विरासत में मिली। जयपुर के बाड़ा पद्मपुरा निवासी रामनाथ के नाक से अलगोजा बजाने का रिकॉर्ड है। भारत दौरे पर आए तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और हिलेरी क्लिंटन के समक्ष भी प्रदर्शन कर चुके हैं। उनके बुलावे पर रामनाथ चौधरी अमेरिका के दौरे पर गए। वे जर्मनी, इग्लैंड, दुबई, जापान सहित दो दर्जन देश में प्रदर्शन कर चुके हैं। भारत सरकार, जी 20 सहित कई संस्था उनके फोटो का योजनाओं में प्रयोग करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के गेटवे सहित कई प्रमुख संस्थान उन्हें प्रकाशित कर चुके हैं। देश के सातों संस्कृति केंद्रों व पर्यटन विभाग उनके कार्यक्रम को दिखाते हैं। वह कई फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। वह बस्ती में राजस्थान की कच्ची घोड़ी नृत्य में भाग लेने बस्ती में प्रदर्शन के लिए आये हैं। 82 वर्षीय रामनाथ चौधरी अपनी कला को छोटे बच्चों को सिखा रहे हैं। उनका कहना है कि लोककला के संरक्षण की जरूरत है।

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