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जब पांच हजार महीना लेगें तो झोला छाप डाक्टरों की सख्यां बढ़ेगी ही!

जब पांच हजार महीना लेगें तो झोला छाप डाक्टरों की सख्यां बढ़ेगी ही!

-चौकानें वाले आकड़े सामने आए जिसमें पेशेवर डाक्टरों से चार गुना अधिक झोला छाप इलाज कर रहे, सरकार इनके साथ कड़ाई से पेश नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते मरीजों के मरने की संख्या बढ़ रही

-महिला अस्पताल के सामने डा. एके चौधरी के संरक्षण में चल रहा अवैध ओजस्व अल्टासाउंड सेंटर

-भाजपा के पूर्व मंडल महामंत्री विकास सिंह ठाकुर ने डीएम को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की

बस्ती। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि जिले सहित पूरे देश में पेशचर डाक्टरों की तुलना में झोला छाप की संख्या चारगुना अधिक है। इसका खुलासा आईएमए के राष्टीय अध्यक्ष डा. दिलिप भानुशाली ने कानपुर में कही। कहा कि पूरे देश में झोला छाप डाक्टरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, जिसके चलते मरीजों की जाने भी जा रही है, सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। कहा कि इनके रोकथाम के लिए कानून सख्त होना चाहिए, ताकि किसी मरीज की जान न जा सके। सवाल उठ रहा है, जब पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. एके चौधरी झोला छाप डाक्टरों से मरीज मारने के लिए हर महीना पांच हजार लेगे तो संख्या बढ़ेगी ही। झोला छाप डाक्टरों से सबसे बड़ा खतरा मरीजों के जान की रहती है। भले ही इनका इलाज सस्ता होता और यह सरल होते हैं, लेकिन इन पर विष्वास नहीं किया जा सकता है। यह केस को खराब कर देते है। बहरहाल, एके चौधरी साहब न तो झोला छाप डाक्टर को समाप्त कर पा रहे हैं, और न अवैध अल्टासाउंड के संचालन को ही रोक पा रहे है। कहने का मतलब जितने भी मौते या भ्रूण हत्याएं हो रही है, वह चौधरी साहब के चलते हो रही है। इन्हें इससे कोई मतलब नहीं की कोई मरीज मर रहा या जी रहा है। इन्हें तो सिर्फ अपनी सुविधा से मतलब।

महिला अस्पताल के सामने डा. एके चौधरी के संरक्षण में अवैध ओजस्व अल्टासाउंड सेंटर का संचालन हो रहा है। इसकी शिकायत भाजपा के पूर्व मंडल महामंत्री विकास सिंह ठाकुर ने डीएम को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है। कहा  िकइस सेंटर में खुले आम लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्याएं हो रही है। इस सेंटर का संबध गड़गोड़िया स्थित राज हास्पिटल कसाईबाड़ा से है। जांच यहां होता है, और एर्बासन राज हास्पिटल में होता। इसी तरह न्यू शांति हास्पिटल पचपेड़िया पेटोल पंप के सामने चलता है। यहां पर भी राज हास्पिटल जैसा कार्य होता है। उक्त दोनों अस्पतालों में न तो डाक्टर्स हैं, और न पर्सनल इंचार्ज। एएनएम और जेएनएम के भरोसे दोनों अस्पताल चल रहे है। दोनों अज्ञपतालों और ओजस्व अल्टासाउंड की जांच जनहित में आवष्यक है।

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