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इस मामले का SC के पास भी नहीं है इलाज! खड़े कर दिए हाथ, CJI डीवाई चंद्रचूड़ को कहनी पड़ी ये बात

इस मामले का SC के पास भी नहीं है इलाज! खड़े कर दिए हाथ, CJI डीवाई चंद्रचूड़ को कहनी पड़ी ये बात

Superstition Plea In Supreme Court: अंधविश्वास, जादू-टोना और इसी तरह की अन्य प्रथाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई जिसमें कोर्ट से निवेदन किया गया इसको लेकर सरकारों को आदेश जारी किया जाए.

Supreme Court On Superstition: सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन शुक्रवार (02 अगस्त) को अंधविश्वास, जादू-टोना और इसी तरह की प्रथाओं को लेकर डाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिका में केंद्र और राज्यों को इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतें सभी सामाजिक बुराइयों का जवाब नहीं हैं. मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि यह 'न्यायिक रूप से प्रबंधनीय' नहीं है और इस बात पर जोर दिया कि ऐसी समस्याओं से निपटना नागरिक समाज और सरकार पर निर्भर है.

‘हर बुराई का जवाब याचिका नहीं हो सकता’

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "इसका जवाब है शिक्षा, साक्षरता का प्रसार... आप जितने अधिक शिक्षित होंगे, यह अनुमान लगाया जाता है कि आप उतने ही अधिक तर्कसंगत बनेंगे. वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए अदालत का निर्देश कैसे मदद कर सकता है? रिट समाज में सभी बुराइयों का जवाब नहीं हो सकता."

समाज को भी आगे आना चाहिए’

अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद को अकेले ही निर्णय लेना है और कहा, 'नागरिक समाज और सरकार के लोकतांत्रिक अंगों को भी कदम उठाने चाहिए.' दरअसल, कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51ए के अनुसार नागरिकों में वैज्ञानिक सोच और सुधार विकसित करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी.

‘हर मामलों पर अदालतें विचार नहीं कर सकतीं’

पीठ ने उपाध्याय से कहा, 'आप केवल अदालतों का रुख करके समाज सुधारक नहीं बन सकते. बदलाव लाने के कई अन्य तरीके भी हैं. न्यायालयों की अपनी सीमाएं हैं और हम उन सभी मामलों पर विचार नहीं कर सकते जो हमें गंभीर लगते हैं.' जब कोर्ट ने याचिका पर विचार करने में अनिच्छा दिखाई तो उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस ले ली.

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