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‘ईओ’ अंगद गुप्त पर ‘दर्ज’ हो सकता ‘मुकदमा’

‘ईओ’ अंगद गुप्त पर ‘दर्ज’ हो सकता ‘मुकदमा’

-अशोक स्तंभ का दुरुपयोग करने के आरोप में ईओ अंगद गुप्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए भानु प्रकाश चतुर्वेदी ने एसपी को दी तहरीर

बस्ती। ऐसा लगता है, मानो ईओ पालिका अंगद गुप्त का विवादों से पुराना नाता है। इन्होंने जब से नगर पालिका का कार्यभार संभाला, किसी न किसी रुप में विवादों में रहे। मानो विवादों में रहना और मनमानी तरीके से काम करना इनकी आदत सी हो गई है। जिस तरह इन्होंने मनमाने तरीके से हाउस और वाटर टैक्स बढ़ाया, उससे लग गया कि यह वही करना चाहते हैं, जो पालिका वासियों के हित में न हो। इसे लेकर इनका व्यापारी वर्ग से नांेकझोक भी हो चुका है। पालिका के लोगों का कहना है, कि अगर चेयरपर्सन की ओर से इनके मनमानी रर्वैये पर रोक नहीं लगाया गया तो नुकसान पालिका वासियों के साथ चेयरर्पसन की भी होगी। सभासदों को भी इस मामले में खुलकर सामने आना होगा, क्यों कि वार्डो में उनकी ही जबावदेही बनती है, जनता उनसे ही पूछेगी कि जब ईओ मनमानी कर रहे थे, तो उस समय क्यों नहीं विरोध किया? और नहीं बोर्ड की बैठक में आवाज उठाया। दिक्कत यह है, कि जब तक सभासद ठेका पटटी आवासों के कमीशन से अपने आपको अलग नहीं करेगें, तब तक यह किसी गलत कामों का विरोध नहीं कर सकते हैं, इनका जो विरोध होता हैं, उसमें भी इनका लाभ और हानि छिपा रहता है। कहा भी जाता है, कि अगर सभासद लोग अपने आप आ जाए तो किसी चेयरपर्सन और ईओ की गलत काम करने की हिम्मत न पढ़े। सच तो यह है, कि पालिका के सभासदों ने अभी तक अपनी ताकत का एहसास ही नहीं कराया, जिस दिन एहसास करा देगें, उस दिन किसी ईओ की हिम्मत गलत नियुक्ति करने की नहीं पड़ेगी। इसे बिडंबना ही कहा जाएगा, सभी सभासदों को यह अच्छी तरह मालूम था, कि ईओ ने मोहित कुमार नामक सफाई कर्मी की नियुक्ति सारे नियम कानून तोड़कर किया, लेकिन आज तक किसी ने विरोध नहीं किया? क्यों नहीं किया यह जनता अच्छी तरह जान और समझ चुकी है। बहरहाल, यह नगर पालिका वासियों का दुभागर््य हैं, उन्होंने ऐसे लोगों को चुना जो गलत कामों का विरोध तक नहीं कर सकते।

अब हम आपको ईओ साहब की एक और मनमानी बताने जा रहे हैं, अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा है, तो यह मनमानी ईओ साहब को भारी पड़ सकती है, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकता है, क्यों कि मामला राष्टीय अपमान से जुड़ा हुआ है। इन्होंने अपने चेंबर के टेबुल पर अषोक स्तंभ के प्रतीक को रखकर राष्टीय चिन्हृ ‘अनुचित प्रयोग निषेध’ अधिनियम 2005 का घोर उल्लघंन किया है। देश के राष्टपति, उप राष्टपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, न्यायपालिका और भारतीय सेवा के अधिकारी को छोड़कर कोई भी इसका उपयोग नहीं कर सकता। न जाने कितने सभासद कितनी बार इनके चेंबर में गए होंगें, लेकिन किसी ने यह बताने का प्रयास नहीं किया होगा कि जो आपने अपने टेबुल पर अशोक स्तंभ का प्रतीक रखा है, उसके रखने का आप को कोई अधिकार नही। या फिर हो सकता है, कि इसकी जानकारी सभासदों को भी न हो। बहरहाल, अषोक स्तंभ का दुरुपयोग करने के आरोप में ईओ अंगद गुप्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए भानु प्रकाश चतुर्वेदी ने एसपी को दी तहरीर है। तहरीर कोतवाली को भी दी गई है।

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