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‘ढ़हने’ के ‘कगार’ पर ‘रेडक्रास’ के ‘डा. प्रमोद चौधरी’ का ‘किला’
-221 दिन में भी ही दरक गई रेडक्रास सोसायटी के सभापति डा. प्रमोद कुमार चौधरी और उनकी टीम की दिवार
-दुनिया के सबसे बड़े समाज सेवा संस्था का जिले में बुरा हाल, रेडक्रास सोसायटी के इतिहास में पहली बार कार्यकारिणी समिति को भंग के लिए लाया गया अविष्वास प्रस्ताव
-डीएम से मिलकर कार्यकारिणी के राज्य प्रबंध समिति के सदस्य हरीश कुमार सिंह, कार्यकारिणी के सदस्य कुलवेंद्र सिंह मजहबी, अशोक कुमार सिंह, एजीएम सदस्य संतोश सिंह, इमरान अली, उमेश कुमार श्रीवास्तव एवं राहुल श्रीवास्तव ने नई कार्यकारिणी की बैठक कर नए पदाधिकारियों को चुनने का प्रस्ताव दिया
बस्ती। कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया की सबसे बड़ी समाज सेवा संस्था रेडक्रास सोसायटी की जिले में बुरा हाल है। रेडक्रास सोसायटी के इतिहास में पहली बार मात्र 221 दिन पुरानी कार्यकारिणी समिति को भंग करने के लिए सात सदस्यों के द्वारा अविष्वास प्रस्ताव लाया गया। कहने का मतलब 221 दिन में ही दरक गई रेडक्रास सोसायटी के सभापति डा. प्रमोद कुमार चौधरी और उनकी टीम की दिवार। यह दिवार इतना कमजोर साबित होगा, यह किसी को भी नहीं मालूम था। जिस तरह राज्य प्रबंध समिति के सदस्य हरीष कुमार सिंह, कार्यकारिणी के सदस्य कुलवेंद्र सिंह मजहबी, अशोक कुमार सिंह, एजीएम सदस्य संतोश सिंह, इमरान अली, उमेश कुमार श्रीवास्तव एवं राहुल श्रीवास्तव ने डीएम से मिलकर नई कार्यकारिणी की बैठक कर नए पदाधिकारियों को चुनने का प्रस्ताव दिया, उससे सबसे अधिक बदनामी रेडक्रास सोसायटी की हो रही हैं, और इसके लिए पूरी तरह रेडक्रास सोसायटी के सभापति और सचिव को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। अविष्वास प्रस्ताव की जानकारी राज्यपाल, चेयरमैन एवं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और प्रदेश सचिव रामानंद कटियार को भी दी गई।
कहा भी जाता है, कि समाज सेवा करने वाली संस्था राजनीति से नहीं चलती। संस्था को चलाने के लिए सबका साथ, सबका विष्वास और आम सहमति की आवष्कता होती है। जो कि रेडक्रास सोसायटी के कार्यकारिणी के लोगों में अभाव रहा। चुनाव के पहले और चुनाव के दिन से ही जिस तरह हराने और जीताने का डर्टी गेम खेला गया, उसी का परिणाम आज अविष्वास के रुप में देखा जा रहा है। अविष्वास लाने का अहम कारण राज्य प्रबंध समिति सदस्य हरीश सिंह को नियम विरुद्व उन्हें हटाकर दूसरे को मतदान के लिए नामित करने का निर्णय को बताया जा रहा है। यह सही है, कि एक व्यापारी को सफल राजनेता बनने में सालों लग जाते हैं, लेकिन वहीं पर एक राजनेता कुछ ही दिनों में कुशल रणनीतिकार अवष्य बन जाता है। कारोबारी अगर कारोबार करने में लगा रहे तो उसी में उसका फायदा रहता है। आज जो डा. प्रमोद कुमार चौधरी को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और आगे भी पड़ने वाला हैं, उसके लिए रेडक्रास सोसायटी का चुनाव माना जा रहा है। यह बात जितनी जल्दी डाक्टर प्रमोद चौधरी समझ ले और गलतियों को सुधार लें उतना ही उनके लिए भविष्य में अच्छा होगा। अब तो लोग इनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग उठने लगी। अगर 221 दिन में अविष्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो सवाल सभापति और सचिव पर उठेगा ही। इस अविष्वास प्रस्ताव में जिन सदस्यों ने हस्ताक्षर किया, उन लोगों का कहना है, कि यूनीफार्म रुल्स के अनुसार सात मार्च 25 को चुनाव संपन्न हुआ। 18 मार्च 25 को डा. प्रमोद कुमार चौधरी को सभापति, लक्ष्मीकांत पांडेय को उपसभापति एवं राजेश कुमार ओझा को कोषाध्यक्ष को सभी का सम्मान करने, मूल सिद्वातों, मानवता, निष्पक्षता, सार्वभौमिकता एवं समाज सेवा के प्रति के प्रति समर्पण और निष्ठा की शपथ दिलाई गई। कहा गया कि वह लोग इस लिए अविष्वास प्रस्ताव ला रहे हेैं, क्यों कि उपरोक्त पदाधिकारी रेडक्रास सोसायटी के नियम एवं नीतियों के विपरीत कार्य कर रहे हैं, जिससे रेडक्रास सोसायटी बस्ती अपने उद्धेष्य और कार्यो में विफल है। कहा गया कि कई बार सभापति साहब से व्यक्तिगत एवं कार्यक्रमों के जरिए किए जा रहे गलत क्रियाकलापों का विरोध किया। मगर, कोई सुधार नहीं हुआ।
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