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घूसकांड में 8 महीने जेल और 3 साल सस्पेंड रहे आईपीएस मनीष अग्रवाल को मिली पोस्टिंग, अभियोजन स्वीकृति के बावजूद बहाली

    IPS Manish Agarwal :

    घूसकांड में 8 महीने जेल और 3 साल सस्पेंड रहे आईपीएस मनीष अग्रवाल को मिली पोस्टिंग, अभियोजन स्वीकृति के बावजूद बहाली

    IPS Manish Agarwal :आईपीएस मनीष अग्रवाल, जो रिश्वत कांड में गिरफ्तार हुए थे, को तीन साल के निलंबन के बाद बहाल किया गया है। उन्हें जयपुर पुलिस मुख्यालय में पुलिस अधीक्षक नियम के पद पर पोस्टिंग दी गई है। केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति भी दे दी है।

    ट्रांसफर सूची में शामिल
    फरवरी 2021 में रिश्वत कांड के आरोप में गिरफ्तार हुए थे मनीष
    मनीष अग्रवाल को पिछले तीन साल से निलंबित रखा गया था
    केंद्र सरकार ने मनीष अग्रवाल के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दे दी है
    मनीष अग्रवाल ने जम्मू कश्मीर कैडर से राजस्थान कैडर में आए थे


    जयपुर: भजनलाल सरकार की ओर से रविवार 22 सितंबर की देर रात को जारी हुई आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट में वर्ष 2010 बैच के मनीष अग्रवाल का भी नाम है। ये मनीष अग्रवाल वही हैं जो फरवरी 2021 में रिश्वत कांड में गिरफ्तार होकर जेल गए थे। जब वे दौसा जिले के एसपी थे। तब भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाली कंपनियों से लाखों रुपए की वसूली लेने के आरोप में एसीबी ने दो आरएएस अफसरों को गिरफ्तार किया था। एसडीएम पिंकी मीणा को 10 लाख और एसडीएम पुष्कर मित्तल को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए एसीबी ने ट्रेप किया था। इस रिश्वत कांड में एसपी रहे मनीष अग्रवाल की अहम भूमिका सामने आई थी। 2 फरवरी 2021 को एसीबी ने आईपीएस मनीष अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया था। करीब 8 महीने तक जेल में रहने के बाद वे जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आए थे।

    जुलाई 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक मनीष अग्रवाल दौसा जिले के एसपी रहे। रिश्वत कांड के बाद उनका ट्रांसफर एसडीआरएफ में कमांडेंट के पद पर कर दिया। उसके बाद फरवरी 2021 में एसीबी ने आईपीएस मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया। बाद में राज्य सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। 8 महीने जेल में रहने के बाद वे जमानत पर बाहर आए। करीब तीन साल तक वे सस्पेंड रहे और पिछले दिनों (मई 2024 में) भजनलाल सरकार ने आईपीएस मनीष अग्रवाल को बहाल किया था। अब उन्हें पुलिस मुख्यालय जयपुर में पुलिस अधीक्षक नियम के पद पर पोस्टिंग दी गई है।

    एसीबी की ओर से आईपीएस मनीष अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज करने और गिरफ्तार करने के बाद वे कई अन्य विवादों में भी घिरे रहे। एसीबी में दर्ज केस में चालान पेश करने से पहले अभियोजन स्वीकृति मिलना जरूरी है। अखिल भारतीय स्तर के अफसरों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति केंद्र सरकार देती है जबकि राज्य स्तरीय कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मिलना जरूरी है। आईपीएस मनीष अग्रवाल के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति दी जा चुकी है। एसीबी की ओर से उनके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच राज्य सरकार ने आईपीएस मनीष अग्रवाल को पोस्टिंग दे दी।

    40 वर्षीय आईपीएस मनीष अग्रवाल यूपी के रहने वाले हैं। आईपीएस में चयनित होने के बाद उन्हें जम्मू कश्मीर कैडर आवंटित हुआ था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे करीब दो साल तक जम्मू कश्मीर में सेवाएं देते रहे। इस दरमियान जम्मू कश्मीर में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस भी दर्ज हुआ। बाद में आईपीएस मनीष अग्रवाल ने राजस्थान कैडर की एक महिला अफसर के साथ विवाह करके उन्होंने अपना कैडर बदलवा लिया। वे जम्मू कश्मीर से राजस्थान कैडर में आ गए। कैडर बदलने के कुछ ही समय बाद आईपीएस मनीष अग्रवाल ने तलाक ले लिया।


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