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फंस गए न्याय बेचने वाले छोटे साहब! जांच शुरु
-एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह की शिकायत पर मुख्य सचिव ने कमिश्नर को बनाया जांच अधिकारी
-कमिश्नर ने हरीश सिंह से अखबार का नाम, किस वादी से वसूली गई उसका नाम और मोबाइल नंबर और पता उपलब्ध कराने को कहा
-ताकि इन सभी का बयान दर्ज कर कथित कदाचारी एवं भ्रष्टाचारी तत्कालीन अपर आयुक्त राजीव पांडेय के खिलाफ कार्रवाई की जा सके
बस्ती। पद पर रहते हुए न्याय बेचने वाले तत्कालीन छोटे साहब यानि अपर आयुक्त प्रशासन एवं वर्तमान एडीएम न्यायिक बदंायू राजीव पांडेय, एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह की जाल में फंस गए हैं, इनकी शिकायत पर मुख्य सचिव ने कमिश्नर बस्ती मंडल को जांच अधिकारी बनाया, कमिष्नर ने शिकायतकर्त्ता से अखबारों में प्रकाशित खबर की कतरन और उसका नाम, किस वादी/प्रतिवादी से वसूला गया, उनका नाम मोबाइल नंबर और पता उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। ताकि बयान दर्ज हो सके। अगर कोई अन्य साक्ष्य हो तो उसे भी उपलब्ध कराने को कहा गया है। यह शिकायत 17 मार्च 25 को की गई।
हरीश सिंह का कहना है, कि खुले आम न्याय बेचने वाले अपर आयुक्त राजीव पांडेय भले ही जिले से चले गए, लेकिन उनकी गूंज आज भी कमिश्नरी कार्यालय में गूंज रही है। धड़-पकड़ और लाखों रुपये की वापसी के बाद अब पैसा देने वाले भी खुलकर सामने आ रहे हैं, और कह रहे हैं, किस तरह छोटे साहब ने वादी और प्रतिवादी से पैसा लेकर न्याय को बेचा। छोटे साहब के हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। वरना कोई भी न्यायिक अधिकारी 48 लोगों से 50 लाख ना लेते। बहरहाल, जिस तरह इस कांड का पटाक्षेप हुआ वह इतिहास में लिखा जाएगा। यह भी लिखा जाएगा, कि किस तरह लोगों ने पैसा वापस पाने के लिए छोटे साहब का घेराव किया, और किस तरह वसूलने के लिए उनके आवास के बाहर घटिया डालकर पड़े रहे, और तब तक उनकी घटिया नहीं हटी जब तक कि छोटे साहब गांव से पैसा मंगाकर वापस नहीं कर दिया। इतनी जलालत शायद ही किसी भष्टाचारी को सहनी पड़ी हो। मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव कार्मिक/नियुक्ति को लिखे पत्र में एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के प्रतिनिधि पेपर की कटिगं लगाकर तत्कालीन अपर आयुक्त बस्ती मंडल राजीव पांडेय के कदाचार और भ्रष्टाचार की जांच कराकर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी। कहा कि इन्होंने न्याय के नाम पर 48 वादी/प्रतिवादी से लगभग 50 लाख की वसूली की। जिन फाइलों पर वसूली की गई, उन फाइलों पर आर्डर करने के लिए यह ज्वाइन करने के बाद बस्ती वापस आए। जिसकी जानकारी होने पर कमिश्नर ने त्वरित एक्षन लेते हुए फाइलों को इनके आवास से वापस मंगा लिया। इसकी जानकारी होने पर वादी/प्रतिवादी ने इनके आवास के सामने पहुंच गए, और रातभर धरने पर बैठे रहे। अधिकांश लोगों को इन्होंने बुला-बुलाकर पैसा वापस किया। होली के दिन कुछ लोग तो इनके आवास के सामने खटिया डालकर इंतजार करते रहे। लिखा कि राजीव पांडेय के इस कदाचार और भ्रष्टाचार से सरकार की छवि खराब हो रही। क्यों कि सभी लोग यही कहने लगे कि न्याय बिकता है, खरीदार होना चाहिए।
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