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फर्जी डिग्री’ चाहिए, तो ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ चले ‘जाइए’

फर्जी डिग्री’ चाहिए, तो ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ चले ‘जाइए’

-अधिकांश फर्जी अस्पतालों, अल्टा साउंड और पैथालाजी में जो डिग्री लगी हुई हैं, वह ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ में ही अपलोड की गई

-चूंकि यहां पर जिले भर के आवेदन अपलोड किए जाते हैं, जितने भी डिग्री अपलोड होता है, उसकी एक कापी यह चोरी से अपने पास रख लेते

-फिर उसी डिग्री को जिसे आवष्यकता पड़ती है, उसे भारी रकम लेकर लगा देते, यह विभाग भी जानता, ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर और मेडीवर्ल्ड का खुलासा हो चुका

बस्ती। यूंही नहीं बार-बार कहा जाता हैं, और दावा किया जाता है, कि अगर अस्पतालों, अल्टा साउंड और पैथालाजी के लिए जारी लाइसेंस की पत्रावलियों की जांच हो जाए तो उसमें आधे से अधिक फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया गया। फर्जी को असली और कोई नहीं बल्कि इसके नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी एवं सीएमओ करते है। भले ही सीएमओ नहीं बल्कि डीएम लाइसेंस जारी करते हैं, लेकिन पत्रावली और जांच रिपोर्ट नोडल ही लगाते है। बिना इनके आख्या के कोई लाइसेंस जारी ही नहीं हो सकता। इसी लिए जिले की जनता बार-बार इस फर्जीवाड़े के लिए नोडल को ही जिम्मेदार मान रही है। एक तरह से चाहें पूर्व के हो या फिर वर्तमान के नोडल हो सभी ने मिलकर तो पैसा कमाया, लेकिन बदनाम डीएम को किया। दावा किया जा रहा है, कि अगर इसकी उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो न जाने कितने नोडल जेल में नजर आएगें। नोडल के रुप में यह मलाई काट ही रहे हैं, जांच अधिकारी के रुप में पैसा कमा रहे हैं। इन लोगों की बचाव नीति के चलते आजतक एक भी अस्पताल के खिलाफ विधिक कार्रवाई नहीं हुई। सीएमओ कार्यालय में पैसा कमाने की जो नीति बनाई जाती है, वह मरीजों के जान की कीमत पर बनाई जाती है। यहां पर तो कार्रवाई करने और न करने के नाम पर लूट मची हुई, अगर न मची होती तो अब तक मेडीवर्ल्ड, पीएमसी, ओमबीर, नूर अस्पताल और फातिमा जैसे न जाने कितने अस्पतालों के संचालक खुले आम घूम नहीं रहे होते। सीएमओ की टीम लाइसेंस से अधिक उन मामलों में धन उगाही करती है, जिन मामलों में शिकायतें की गई, और प्रथम दृष्टया फर्जी पाया गया। एफआईआर न करने के नाम पर सबसे अधिक धन की उगाही की जाती है।

आइए, हम आप को उस ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ के बारे में बताते हैं, जहां पर जिले भर के अस्पतालों, अल्टा साउंड और पैथालाजी के लाइसेंस के लिए आनलाइन पंजीकरण किया जाता है। दावा किया जा रहा है, कि जिले में जितने भी फर्जी डिग्री लगे हुए हैं, उसका सूत्रधार ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ है। ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर और मेडीवर्ल्ड, नूर अस्पताल का खुलासा हो चुका। बताते हैं, कि जितने भी डिग्री अपलोड होता है, उसकी एक कापी यह चोरी से अपने पास रख लेते, फिर उसी डिग्री को जिसे आवष्यकता पड़ती है, उसे भारी रकम लेकर लगा देते, यह विभाग भी जानता। सबसे अधिक व्यस्त कम्प्यूटर सेंटर में इसी को ही माना जाता है। अगर छापा पड़ जो न जाने इनके कम्प्यूटर में फर्जी डिग्री मिल सकती है। शिकायतें और सवाल इस ‘मिलेनियम कम्प्यूटर्स’ से नहीं हैं, शिकायत हैं, उन नोडल से जो डिग्रियों का सत्यापन किए ओके का रिपोर्ट लगा देते हैं, अगर सत्यापन किए होते तो मेडीवर्ल्ड वाले रफीउदीन का ढिग्री न लगाते, और न अस्पताल का पंजीयन निरस्त करना पड़ता। सच पूछिए तो कार्रवाई तो नोडल के खिलाफ ही होनी चाहिए।

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