Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
राज्य

डाक्टर साहब आरोप तो आपकी पत्नी पर, आप क्यों सफाई दे रहें?

डाक्टर साहब आरोप तो आपकी पत्नी पर, आप क्यों सफाई दे रहें?

-डाक्टर साहब आपने आरोप को तो निराधार बता दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि वैशाली का आपरेशन किसने किया, मीडिया ने भी यह सवाल आपसे न जाने क्यों नहीं किया

-अगर यही सफाई आप और आपकी पत्नी मिलकर मीडिया को देती तो आरोप को निराधार माना जा सकता, डाक्टर साहब सवाल अभी भी बना हुआ है, कि आपरेशन आपकी पत्नी डा. अल्का शुक्ला ने किया या फिर किसी और ने, अगर डा. अल्का शुक्ला ने किया तो क्या उन्हें आपरेशन करने का अधिकार?

-डाक्टर साहब जिस तरह हर चिकित्सक बेईमान और चोर नहीं होता, उसी तरह हर पत्रकार भी चोर और बेईमान नहीं होता, इसी तरह हर शिकायतकर्त्ता डाक्टर्स को ब्लैक मेल करने के लिए शिकायत नहीं करता, अगर ऐसा होता तो कप्तानगंज सीएचसी के एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी, डा. रेनू राय के खिलाफ शिकायत न करते

-डाक्टर सााहब आपका यह कहना बिलकुल सही है, कि जिन डाक्टर्स पर आरोप लगाए जाते हैं, उन्हें सबूत एकत्रित करके शिकायतकर्त्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, निराधार शिकायत को रोकने के लिए चिकित्सकों को कानून का सहारा लेना ही पड़ेगा

-आपका यह भी कहना सही हैं, कि जब पीड़ित डाक्टर्स डटकर खड़ा नहीं होगा, तब तक आईएमए भी कुछ नहीं कर सकता, आईएमए अपना काम ईमानदारी से कर रहा, आवष्यकता पड़ने पर सहयोग के लिए इसके पदाधिकारी सामने आते भी

-कहा कि अगर वैशाली का तत्काल आपरेशन नहीं किया गया होता तो बच्चादानी फट सकती थी, जिसके चलते जज्जा और बच्चा दोनों की मौत हो जाती, जितना भी बेहतर हो सकता था, उतना बेहतर इलाज किया गया

-कहा कि किसी भी चिक्तिसक का प्रथम उद्वेष्य मरीज की जान बचाना होता है, लेकिन कोई भी चिकित्सक जिंदगी बचाने की गारंटी नहीं दे सकता, वैशाली के इलाज और आपरेशन में कोई भी लापरवाही नहीं हुई, ओटी से जज्जा और बच्चा दोनों हसंते हुए निकले और उन्हें हंसते हुए भेजा गया

-यह कहना गलत हैं, कि हमने परिजन से कोई पैसा लिया, बल्कि आपरेशन फ्री किया और जाते समय बचा हुआ पांच हजार भी वापस कर दिया, ताकि बेहतर इलाज कराने में मदद हो सकें

-कहते हैं, कि चूंकि जिले में चिकित्सकों का अभाव है, और जो अच्छे चिकित्सक हैं, मीडिया उन्हें टारगेट बनाकर वसूली करती या परिजन को चढ़ाकर शिकायत करवाती, ताकि वसूली की जा सके

-सवाल के लहजे में कहते हैं, कि बताइए आज तक क्या एक भी चिकित्सक के खिलाफ जांच में आरोप साबित हुआ या फिर दोशी पाए गए, इससे पता चलता है, कि आरोप लगाने का मकसद चिकित्सकों को बदनाम करना और उनसे वसूली करना

-उच्चतम न्यायालय भी कहता हैं, कि आरोप लगाने वाले को यह साबित करना होगा कि आरोप सही है, चूंकि यहां के चिकित्सक अभी पूरी तरह से नियम कानून से वाकिफ नहीं हैं, इस लिए उन्हें टारगेट बनाया जाता

-सभी चिकित्सकों से अपील है, कि वह जरा भी न डरे और न दबे, मुस्तैती से डंटे रहे और सामना करते हुए कानूनी प्रक्रिया को अपनाए और मुकदमा दर्ज करने के लिए कानूनी सलाह ले

-इसी तरह समाज के लोगों से भी अपील है, कि वह किसी के बहकावे आकर शिकायत न करें, नहीं तो इसका खामियाजा समाज को ही भुगतना पड़ेगा, फिर कोई डाक्टर गंभीर मरीज का इलाज नहीं करेगा

बस्ती। यह पहली बार हुआ कि आरोप पत्नी पर लगा और सफाई पति ने दिया। जी हां हम बात कर रहें हैं, डा. अल्का शुक्ला और उनके पति डा. जीएम शुक्ल की। मृतका वैशाली के पति दिनेश कन्नोैजिया ने अपनी पत्नी की मौत का कारण लाइफ लाइन मेडिकल सेंटर के डा. अल्का शुक्ला को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को लिखा। जब यह मामला मीडिया में उछला तो सफाई देने डा. अल्का शुक्ला के पति डा. जीएम शुक्ल एक दो मीडिया के सामने आए। जिस तरह इन्होंने सफाई दिया, उससे लगता है, कि आपरेशन और इलाज के मामले में अस्पताल की कोई गलती नहीं है। लगभग दस मिनट से अधिक की बातचीत में इन्होंने एक बार भी यह नहीं कहा कि आपरेशन किसने किया, और न मीडिया ने भी यह सवाल किया कि डाक्टर साहब यह तो बताइए कि आपरेशन किसने किया? क्या आप की पत्नी डा. अल्का शुक्ला ने किया या फिर किसी और ने? पत्रकार ने भी न जाने क्यों यह सवाल नहीं किया, जब कि इसी सवाल में सारा सच छिपा हुआ है। यहां पर गलती डा. जीएम शुक्ल की नहीं बल्कि साक्षात्कार लेने वाले पत्रकार की मानी जा रही है। मीडिया जगत में इस तरह के साक्षात्कार को मैनेज कहा जाता है। जिसमें सिर्फ सामने वाला बोलता है, और पत्रकार हां में हां मिलता। अगर यही सफाई डा. जीएम शुक्ल प्रेसवार्ता करके देते तो दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाता। लेकिन सभी को मालूम हैं, कि डा. जीएम शुक्ल ने क्यों नहीं अपनी पत्नी डा. अल्का शुक्ला का नाम लिया और क्यों नहीं पत्नी को सफाई देने के लिए बुलाया? अब यह बात छिपी नहीं रही कि डा. अल्का शुक्ला मेडिकल कालेज में बाल रोग विशेषज्ञ के रुप में तैनात हैं, और इनके पास न तो गाइनी की डिग्री है, और न यह बाहर आपरेशन ही कर सकती है। यह मेडिकल कालेज के अनुबंध से बंधी हुई है। इसी लिए डा. जीएम शुक्ला ने एक बार भी पत्नी का नाम नहीं लिया। बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि डा. जीएम शुक्ल न सिर्फ एक अच्छे सर्जन हैं, बल्कि एक अच्छे इंसान भी है। अगर यह अच्छे इंसान न होते तो परिजन को पैसा वापस न करते।

डाक्टर साहब जिस तरह हर चिकित्सक बेईमान और चोर नहीं होता, ठीक उसी तरह हर पत्रकार भी चोर और बेईमान नहीं होता, इसी तरह हर शिकायतकर्त्ता डाक्टर्स को ब्लैक मेल करने के लिए शिकायत नहीं करता, अगर ऐसा होता तो कप्तानगंज सीएचसी के एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी, डा. रेनू राय के खिलाफ शिकायत न करते। डाक्टर सााहब आपका यह कहना बिलकुल सही है, कि जिन डाक्टर्स पर आरोप लगाए जाते हैं, उन्हें सबूत एकत्रित करके शिकायतकर्त्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, निराधार शिकायत को रोकने के लिए चिकित्सकों को कानून का सहारा लेना ही पड़ेगा। आपका यह भी कहना सही हैं, कि जब तक पीड़ित डाक्टर्स डटकर खड़ा नहीं होगा, तब तक आईएमए भी कुछ नहीं कर सकता, आईएमए अपना काम ईमानदारी से कर रहा, आवष्यकता पड़ने पर सहयोग के लिए इसके पदाधिकारी सामने भी आते है। कहा कि अगर वैशाली का तत्काल आपरेशन नहीं किया गया होता तो बच्चादानी फट सकती थी, जिसके चलते जज्जा और बच्चा दोनों की मौत हो जाती, जितना भी बेहतर हो सकता था, उतना बेहतर इलाज किया गया। कहा कि किसी भी चिकित्सक का प्रथम उद्वेष्य मरीज की जान बचाना होता है, लेकिन कोई भी चिकित्सक जिंदगी बचाने की गारंटी नहीं दे सकता, वैशाली के इलाज और आपरेशन में कोई भी लापरवाही नहीं हुई, ओटी से जज्जा और बच्चा दोनों हसंते हुए निकले और उन्हें हंसते हुए बेहतर इलाज के लिए भेजा भी गया। कहते हैं, कि यह कहना गलत हैं, कि हमने परिजन से कोई पैसा लिया, बल्कि आपरेशन फ्री में किया और जाते समय बचा हुआ पांच हजार भी वापस कर दिया, ताकि बेहतर इलाज कराने में मदद हो सकें। कहते हैं, कि चूंकि जिले में चिकित्सकों का अभाव है, और जो अच्छे चिकित्सक हैं, मीडिया उन्हें टारगेट बनाकर वसूली करती या परिजन को चढ़ाकर शिकायत करवाती, ताकि वसूली की जा सके। सवाल के लहजे में कहते हैं, कि बताइए आज तक क्या एक भी चिकित्सक के खिलाफ जांच में आरोप साबित हुआ या फिर दोशी पाए गए, इससे पता चलता है, कि आरोप लगाने का मकसद चिकित्सकों को बदनाम करना उनकी छवि खराब करना और उनसे वसूली करना है। उच्चतम न्यायालय भी कहता हैं, कि आरोप लगाने वाले को यह साबित करना होता कि आरोप सही है, चूंकि यहां के चिकित्सक अभी पूरी तरह से नियम कानून से वाकिफ नहीं हैं, इस लिए इन्हें टारगेट बनाया जा रहा है। इन्होंने सभी चिकित्सकों से अपील है, कि वह जरा भी न डरे और न दबे, मुस्तैदी से डटे रहे और सामना करते हुए कानूनी प्रक्रिया को अपनाए और मुकदमा दर्ज करने के लिए कानूनी सलाह लें। इसी तरह इन्होंने समाज के लोगों से भी अपील है, कि वह किसी के बहकावे में आकर शिकायत न करें, नहीं तो इसका खामियाजा समाज को ही भुगतना पड़ेगा, फिर कोई डाक्टर गंभीर मरीज का इलाज नहीं करेगा। स्पष्ट कहा कि यह जो कानून बना है, वह छोला छाप डाक्टर्स को पकड़ने के लिए बना है, न कि क्वालीफाइड डाक्टर्स को प्रताड़ित करने के लिए। कहा कि वह भी इस मामले में कानूनी सलाह लेंगे और कानूनी कार्रवाई करके समाधान निकालने का प्रयास करेगें। मौत का कारण यूटीआई और सेप्सिस को बताया।

You can share this post!

देखते-देखते गंगा किनारे बना मंदिर नदी में समाया!

अमित चौधरी बन गए ‘हृवाइट कालर क्रिमिनल’

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments