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‘चलिए’, कुछ तो ‘ईमानदार’ नेता ‘निकले’

‘चलिए’, कुछ तो ‘ईमानदार’ नेता ‘निकले’

-जनता ने ईमानदार की श्रेणी में अम्बिका सिंह, राजमणि पांडेय, दयाशंकर मिश्र एवं पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद को रखा

-भैया एक बात बोले बुरा तो नहीं लगेगा, वह नेता कौन जो ईमानदार हो, कहीं एकाध होगें बाकी सब सुभान अल्लाःनरेंद्र उपाध्याय

-पूर्व के नेताओं में अंबिका सिंहजी और राजमणि पांडेजी और हर्रैया से दयाराम मिश्रजी ईमानदार में, बेईमान नेता जो थाने से, ब्लॉक से, अस्पमाल से, पीडब्लूडी की सड़कों से धन उगाही करता हो, वह बेईमान की लिस्ट में आता, जो हर्रैया में हो रहा, ऐसे कई नेता है, जो कमीषन के नाम पर ब्लॉक का सारा धन लूट रहे, समझने वाले समझ जाएःबृजराज शुक्ल

-ईमानदार नेता कोई मिला नहीं, तौ अब कैसे समझाउं कि हमाम में सभी नगेंःकमलेश दूबे

-नेता का अर्थ क्या माना जाए माननीय सांसद या विधायक, सब एक जैसे हैं, कोई कम तो कोई ज्यादा, राम प्रसाद चोर, ऐसा कोई नेता नहीं जो जनता को ठगा नहीं, भैयाजी यही नेताजी कर परिभाषाः अरुण मिश्र, सुखदेव उपाध्याय, अरविंद शुक्ल

-नेता ईमानदार न हो न हो, उनके टटटू सबसे ज्यादा ईमानदार होते हैं, खासकर चह लोग जो सरकार में न होते हुए भी अपने मालिक का चाटना बंद न करके पूर्व और वर्तमान के नेताओं की बुराई में लगे रहते, जब कि भविष्य में नेताजी का चाट-चाटकर करोड़पति बनने का सपना देखते रहते, और वह ईमानदार भी बनतेःरोहित सिंह

-ईमानदार साथ देता, बेईमान स्वार्थ के लिए धोखा देता, ऐसा नेता कोई बचा नहीं, जिसमें बेईमानी किया नहीं, बोजैसा ईमानदार पार्टी वैसा ईमानदार नेता, बोलवाकर बुलडोजर चलवाना चाहतेःसुषील शुक्ल, सत्यव्रत सिंह, अखिलेश शुक्ल मंटू

-कम समय में जिस नेता ने ज्यादा संपत्ति बनाई वही बेईमानःराम कृष्ण, जो नेता अपने कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों की मदद नहीं, उससे बड़ा दोगला नहींःअजय पटेल

-वही जो मीडिया के माध्यम से बोले थे, कि आवष्यकता पूरा करने के लिए चोरी करनी पड़तीःचौधरी विवेक, कौन है, इस जग में ईमानदार जो भी अपना घर छोड़ता, सुबह 10 बजे वह सोचता है, कि कुछ व्यवस्था हो जाए, कोई कलम चलाता तो कोई फरुआ चलाताःआदर्श पाठक

-जो भी गरीबों की बात करते-करते खुद अमीर हो गया हो, इनमें सभी दलों के सांसद, विधायक और प्रमुख षामिलःगिरीश पांडेय, क्या चाह रहें भैया किसी का घर खुद जाएःराकेश उपाध्याय मंडल अध्यक्ष

बस्ती। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर नेताओं के ईमानदार और बेईमान होने के बारे जनता की रायशुमारी ली जा रही है। पहले जब बेईमान नेताओं के बारे में पूछा गया तो शायद ही किसी ने खुल कर लिखा हो, कहते हुए सब मिलेगें कि भला नेता बहुत बड़ा बेईमान और चोर है, पूरे जिले को लूट लिया, लेकिन जब कौन नेता बेईमान है, के बारे में पूछा गया तो मानो सभी को सांप सूंघ गया हो। सभी ने ईशारों-ईशारों में बता दिया, कहने का मतलब आज भी जिले के लोग बेईमान को बेईमान बताने को तैयार नहीं है। ऐसा लगा कि मानो अगर सच बता देगें तो दूसरे दिन उनके घर पर बुलडोजर चल जाएगा। पता नहीं क्यों बस्ती के लोग सच बोलने से डरते है। इसी डर ने नेताओं को बेईमान और चोर बना दिया। चाय और पान की दुकान पर हजार-हजार गाली देगें, लेकिन सार्वजनिक रुप से बेईमान को बेईमान नेता नहीं कहेंगे। वैसे पूरा जिला बेईमान और भ्रष्ट नेताओं से भरापटा है। लेकिन जब ईमानदार नेताओं के बारे में पूछा गया तो भी खुलकर नहीं बताया। इस लिए नहीं बताया कि कहीं उसके आका न नाराज हो जाए। बहरहाल, जिले के लोगों के लिए यह अच्छी बात है, कि अभी भी जिले में कुछ ईमानदार नेता बचे हुए है। हैरानी हो रही है, कि इन ईमानदार नेताओं में आजकल के किसी भी नेता का नाम शामिल नहीं है। जिल लोगों को ईमानदार की श्रेणी में रखा गया, भले ही आज उनके पास पैसा न हो, लेकिन मान और सम्मान बहुत है। यही मान और सम्मान बेईमान नेताओं को नहीें मिलता। जनता ने ईमानदार की श्रेणी में अम्बिका सिंह, राजमणि पांडेय, दयाशंकर मिश्र एवं पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद को रखा है।

आइए हम आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने कुछ कहने का साहस किया।:नरेंद्र उपाध्याय लिखते हैं, कि भैया एक बात बोले बुरा तो नहीं लगेगा, वह नेता कौन जो ईमानदार हो, कहीं एकाध होगें बाकी सब सुभान अल्ला, बृजराज शुक्ल कहते हैं, कि पूर्व के नेताओं में अंबिका सिंहजी और राजमणि पांडेजी और हर्रैया से दयाराम मिश्रजी ईमानदार हैं, बेईमान नेता जो थाने से, ब्लॉक से, अस्पताल से, पीडब्लूडी की सड़कों से धन उगाही करता हो, वह बेईमान की लिस्ट में आता, जो हर्रैया में हो रहा, ऐसे कई नेता है, जो कमीशन के नाम पर ब्लॉक का सारा धन लूट रहे, समझने वाले समझ जाए, अरुण मिश्र, सुखदेव उपाध्याय, अरविंद शुक्ल कहते हैं, कि नेता का अर्थ क्या माना जाए माननीय सांसद या विधायक, सब एक जैसे हैं, कोई कम तो कोई ज्यादा, राम प्रसाद चोर, ऐसा कोई नेता नहीं जो जनता को ठगा नहीं, भैयाजी यही नेताजी की परिभाषा, कमलेश दूबे कहते हैं, कि ईमानदार नेता कोई मिला नहीं, तौ अब कैसे समझाउं कि हमाम में सभी नगें।

रोहित सिंह कहते हैं, कि नेता ईमानदार न हो न हो, उनके टटटू सबसे ज्यादा ईमानदार होते हैं, खासकर चह लोग जो सरकार में न होते हुए भी अपने मालिक का चाटना बंद न करके पूर्व और वर्तमान के नेताओं की बुराई में लगे रहते, जब कि भविष्य में नेताजी का चाट-चाटकर करोड़पति बनने का सपना देखते रहते, और वह ईमानदार भी बनते। सुशील शुक्ल, सत्यव्रत सिंह, अखिलेश शुक्ल मंटू लिखते हैं, कि ईमानदार साथ देता, बेईमान स्वार्थ के लिए धोखा देता, ऐसा नेता कोई बचा नहीं, जिसमें बेईमानी किया नहीं, वह जैसा ईमानदार पार्टी वैसा ईमानदार नेता, बोलवाकर बुलडोजर चलवाना चाहते?।

अजय पटेल कहते हैं, कि कम समय में जिस नेता ने ज्यादा संपत्ति बनाई वही बेईमान।राम कृष्ण कहते हैं, कि जो नेता अपने कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों की मदद न करे, उससे बड़ा दोगला नहीं। चौधरी विवेक कहते हैं, कि वही जो मीडिया के माध्यम से बोले थे, कि आवष्यकता पूरा करने के लिए चोरी करनी पड़ती। आदर्श पाठक कहते हैं, कि कौन है, इस जग में ईमानदार जो भी अपना घर छोड़ता, सुबह 10 बजे वह सोचता है, कि कुछ व्यवस्था हो जाए, कोई कलम चलाता तो कोई फरुआ चलाता। गिरीश पांडेय कहते हैं, कि जो भी गरीबों की बात करते-करते खुद अमीर हो गया हो, इनमें सभी दलों के सांसद, विधायक और प्रमुख शामिल, राकेश उपाध्याय मंडल अध्यक्ष कहते हैं, क्या चाह रहें भैया किसी का घर खुद जाए।

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