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बंधुवा मजदूर की जिंदगी गुजार रहा प्रमुख रामकुमार

बंधुवा मजदूर की जिंदगी गुजार रहा प्रमुख रामकुमार

-आखिर चार साल में बहादुरपुर के असली प्रमुख रामकुमार को क्या मिला?

-असली प्रमुख नकली प्रमुख के यहां जानवरों को चारा खिला रहा, गोबर उठा रहा

-गांव की मजदूर की तरह रामकुमार नकली प्रमुख के घर पर जीवन यापन कर रहा

-असली प्रमुख को एक कमरा तक नसीब नहीं हुआ, कहां महल बनाने को कह रहे थे

-रामकुमार प्रदेश का पहला ऐसा एससी वर्ग का प्रमुख होगा, जिसके परिवार को नीजि लाभ के लिए कभी विधायक तो कभी नकली प्रमुख ने बंधक बनाया

-आज प्रमुख का परिवार खुलकर खुली हवा में सांस तक नहीं लेने पा रहा, उसकी जिंदगी नकली प्रमुख के रहमोकरम

बस्ती। आज भी लोगों को यकीन नहीं हो रहा है, कि बहादुरपुर ब्लॉक का असली प्रमुख रामकुमार और उसका परिवार नकली प्रमुख के घर में बंधुवा मजदूर की जिदंगी रहकर गुजार रहा है। प्रदेश का पहला ऐसा एससी वर्ग का अभागा प्रमुख होगा, जिसे भाजपा और सपा के लोगों ने नीजि लाभ के लिए एक नहीं दो बार बंधक बनाया। पहली बार विधायक महेंद्रनाथ यादव पर परिवार को अपने घर में बंधक बनाए रखने का आरोप लगा, मुकदमा भी दर्ज हुआ। दूसरी बार नकली प्रमुख पर बंधक बनाए रखने का आरोप लग रहा है। रामकुमार और उसके परिवार को लगा कि विधायक के यहां से आजाद होने के बाद उसका परिवार खुली हवा में सांस लेगा और अपनी जिदंगी अपने हिसाब से जीएगा, लेकिन उसे क्या मालूम था, कि उसके साथ वही होने जा रहा है, जो पहले हो चुका हैं। पहले सपा के और अब भाजपा के लोगों ने परिवार को एक तरह से बंधक बनाकर पिछले तीन सालों से रखे हुए है। असली प्रमुख और उनका परिवार नकली प्रमुख के घर पर बंधुवा मजदूर की तरह जिंदगी गुजार रहा है। इसका परिवार खुलकर अपनी जिंदगी भी नहीं गुजार सकता। आज भी यह एक कमरे को तरस रहा है, जबकि इसके नाम पर तीन-तीन नकली प्रमुख राजा बने बैठे है। कहा था, कि चार कमरे का मकान बनवाकर दूगां, एक कमरा भी बनवाकर नहीं दिया, बंधक अलग से बना दिया। नकली प्रमुख कहते हें, कि जैसे ही इसे संपन्न कर दिया, वैसे ही यह हाथ से निकल जाएगा। असली प्रमुख और उसके परिवार की हालत यह है, कि किसी से मिलने भी नहीं दिया जाता। जानवरों को चारा खिलाने और गोबर उठाने तक परिवार सिमट कर रह गया है। घर पर झाडू और पोछा लगाने का काम रामकुमार की पत्नी से लिया जा रहा है। जिस असली प्रमुख के अधिकार के लिए तत्कालीन बीडीओ ने प्रमुख के कमरे में तब तक के लिए ताला लगवा दिया था, जब तक कि असली प्रमुख न आ जाए। बीडीओ के हटते ही नकली प्रमुख और उसके आठ-दस लोगों ने प्रमुख के चेंबर पर कब्जा कर लिया। असली प्रमुख के हिस्से में जो 20 ग्राम पंचायत आया भी था, उसकी भी कमाई नकली प्रमुख छीन ले रहे है। जिले का यह पहला ऐसा ब्लॉक हैं, जहां पर लूटने खाने के लिए एक-एक नकली प्रमुख को 20-20 ग्राम पंचायत दिया गया, रामकुमार के हिस्से में भी 20 ग्राम पंचायतें आई, लेकिन उसका भी हिस्सा यह लोग मार ले रहे है। कहने का मतलब लूटने खाने के लिए ग्राम पंचायतों का बटवारा किया गया। रही बात प्रमुखी के चुनाव में पैसा लगाने वाले नकली प्रमुख का तो यह भी घाटे में चल रहे है। क्यों कि पैसा इन्होंने लगाया और मलाई पिता-पुत्र काट रहे है। नकली प्रमुखों के भ्रष्टाचार की पोल खोलकर सभी के हीरो बनने बनने वाले प्रधान संघ के अध्यक्ष सचिन दूबे भी न जाने क्यों हीरो बनने के बाद खामोश हो गए, अब तो वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई बात ही नहीं करना चाहते, इनकी नजर में कल तक ब्लॉक का लूटेरा ना जाने कैसे आज ईमानदार हो गए?

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