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बाप-पूत’ वोट मांगने ‘जाएंगे’ तो युवा ‘फटे पुराने’ जूते के ‘माला’ से स्वागत ‘करेगें’!

बाप-पूत’ वोट मांगने ‘जाएंगे’ तो युवा ‘फटे पुराने’ जूते के ‘माला’ से स्वागत ‘करेगें’!

-एक भी नेता बेटे की कसम खाकर नहीं कह सकता कि हमने जो 100 मी. की सड़क निधि से बनवाया, उसमें झटका नहीं लगेगा

-जिस दिन युवाओं ने बेईमान और भ्रष्ट नेताओं से यह पूछना शुरु कर दिया कि बताइए आप के 100 एकड़ जमीन कहां से आई और कहां से फारचूनर और डिफेंडर आया उस दिन क्रांति आएगीसमाज के नाम पर वोट की भीख मांग कर रंक से राजा बनने वाले नेताओं को समाज जिस दिन चाहेगी घुटनों के बल ला देगी, हम युवाओं को बताएगें कि यह लोग कैसे अपार संपत्तियों के मालिक बने-न जाने कितने युवाओं को बेईमान नेताओं को चुनाव लड़ते और जीताते जेल जाना पड़ा, न जाने कितने युवाओं का इन लोगों जीवन बर्बाद कर दिया, और उन्हें पैदल कर सड़क पर ला दिया, भीख तक मंगवा दिया-

हमारा और हमारे बाप-दादाओं का शोषण कर आज यह बेईमान लोग एसी में सो रहें, और कार्यकर्त्ता तिरपाल, झुग्गी झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रहा, खाने तक की व्यवस्था नहीं, जिन युवाओं का सम्मान जिंदा वह बेईमान नेताओं का दरबारी नहीं करेगा, कभी जीहजूरी नहीं करेगा

-सरदार पटेल स्वाभिमान यात्रा का जो रथ को जिन नेताओं ने रोकने का काम किया, उन नेताओं का पर्दाफाश युवा करेगा, रथ रोकने का प्रयास करने वाले बेईमान नेता घर गए खाना खाया और एसी कमरे में सो गए

-बहुजन समाज न कभी कमजोर हुआ और न कभी होगा, इसे कमजोर करने वाले नेताओं ने युवाओं का जीवन अंधकारमय कर दिया, यह लोग अपने बेटे, बेटी और परिवार के लिए जीते, इनका जमीर मर चुका, अगर जिंदा होता तो रथ का स्वागत करते

-जिस समाज के लोगों ने अपने खून से सींचकर इन्हें मंत्री बनाया, सांसद बनाया, विधायक बनाया, प्रमुख बनाया, उसी समाज के लोगों की ओर से खुली चुनौती देंतेे हुए कहा कि इन नेताओं के दरवाजें पर मत जाना भले ही चाहें भूखों मर जाना

-जिन नेताओं का जमीर मर जाता है, वह शाम छह बजे ही अपना मोबाइल बंद कर सोने चला जाता, राजनीति में चोरी बेईमानी नहीं होती, अगर जनता ने मौका दिया है, तो उसके लिए 18 घंटा काम करना पड़ेगा

-गरीबों का खून चूस और शोषण करके जो लंबा-लंबा कोठी और आशियाना बनाते 100 एकड़ जमीन खरीदते, होटल और विधालय बनाते, ऐसे लोग जब दरवाजे पर आए तो सवाल जबाव अवष्य करना और पूछना कि क्यों 40 फीसद कमीशन लेते

-जो लोग इस बार मंत्री बनने का ख्वाब देख रहें हैं, अगर इनका यही हाल रहा तो जनता इन्हें चपरासी बनने के लायक नहीं छोड़ेगी, मंत्री और विधायक बनना तो दूर की बात

बस्ती। पहली बार युवा नेता बृजेष चौधरी ने अपने 32 मिनट के लाइव वीडियो में उन लोगों पर करारा चोट किया जिन लोगों ने सरदार पटेल स्वाभिमान रथ यात्रा को हर्रैया और छावनी में रोकने का प्रयास किया। नाम तो नहीं लिया, मगर, ईषारा पिता और पुत्र पर ही रहा। इन दोनों के बारे में ऐसी टिपणी इससे पहले विरोधियों ने भी नहीं किया होगा। यहां तक कहा गया कि ‘बाप-पूत’ अगर वोट मांगने ‘जाएंगे’ तो युवा ‘फटे पुराने’ जूते के ‘माला’ से स्वागत ‘करेगा’। कहा कि जो लोग इस बार मंत्री बनने का ख्वाब देख रहें हैं, अगर इनका यही हाल रहा तो जनता इन्हें चपरासी बनने के लायक नहीं छोड़ेगी, मंत्री और विधायक बनना तो दूर की बात। जिस दिन युवाओं ने बेईमान और भ्रष्ट नेताओं से यह पूछन शुरु कर दिया कि बताइए आप ने 100 एकड़ जमीन कहां से खरीदी और कहां से फारचूनर और डिफेंडर आया, उस दिन क्रांति आ जाएगी एक भी नेता ऐसा नहीं जो बेटे की कसम खाकर यह कह सके कि हमने जो 100 मी. की सड़क निधि से बनवाया, उसमें झटका नहीं लगेगा। समाज के नाम पर वोट की भीख मांग कर रंक से राजा बनने वाले नेताओं को समाज जिस दिन चाहेगी उस दिन घुटनों के बल ला देगी। हम युवाओं को बताएगें कि यह लोग कैसे अपार संपत्तियों के मालिक बने। इन लोगों ने न जाने कितने उन युवाओं का जीवन बर्बाद कर दिया, और न जाने कितने युवाओं को सड़क पर लाकर पैदल कर दिया, भीख तक मंगवा दिया, जिन लोगों ने चुनाव लड़ाया और जीताया, ऐसे लोगों को जेल तक जाना पड़ा। कहा कि हमारा और हमारे बाप-दादाओं का शोषण कर आज यह बेईमान लोग एसी में सो रहें, और कार्यकर्त्ता तिरपाल, झुग्गी झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रहा, खाने तक की व्यवस्था नहीं, जिन युवाओं का सम्मान जिंदा हैं, वह बेईमान नेताओं का दरबारी नहीं करेगा, और न कभी जीहजूरी ही करेगा। सरदार पटेल स्वाभिमान यात्रा का रथ जिन नेताओं ने रोकने का काम किया, उन नेताओं का पर्दाफाश युवा करेगा, रथ रोकने का प्रयास करने वाले बेईमान नेता घर गए खाना खाया और एसी कमरे में सो गए। कहा कि बहुजन समाज न कभी कमजोर हुआ और न कभी होगा, इसे कमजोर करने वाले नेताओं ने युवाओं का जीवन अंधकारमय कर दिया, यह लोग अपने बेटे, बेटी और परिवार के लिए जीते, इनका जमीर मर चुका, अगर जिंदा होता तो रथ का स्वागत करते। जिस समाज के लोगों ने अपने खून से सींचकर इन्हें मंत्री बनाया, सांसद बनाया, विधायक बनाया, प्रमुख बनाया, उसी समाज के लोगों की ओर से खुली चुनौती देंतेे हुए कहा कि इन नेताओं के दरवाजें पर मत जाना भले ही चाहें भूखों मर जाना। कहा कि जिन नेताओं का जमीर मर जाता है, वह शाम छह बजे ही अपना मोबाइल बंद कर सोने चले जातें, राजनीति में चोरी बेईमानी नहीं होती, अगर जनता ने मौका दिया है, तो उसके लिए 18 घंटा काम करना पड़ेगा। गरीबों का खून चूसकर और शोषण करके जो लंबा-लंबा कोठी और आशियाना बनाया, 100 एकड़ जमीन खरीदा, होटल और विधालय बनाया, ऐसे लोग जब दरवाजे पर आए तो सवाल जबाव अवष्य करना और पूछना कि क्यों 40 फीसद कमीशन लेते हैं? अससंदीय भाषा का जिस तरह प्रयोग किया गया, कोई भी समाज उसको मान्यता नहीं देता। कहा भी जाता है, कि नेता चाहें पक्ष का हो या फिर विपक्ष का किसी को भी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिसे सुनकर स्वंय को बुरा लगे। कौन नहीं जानता कि नेता, चोर और बेईमान होते हैं, और कौन नहीं जानता कि नेता कमीशन नहीं लेते है। अगर कमीशन नहीं लेते तो हजारों करोड़ के मालिक न होते, फारचूनर और डिफेंडर से नहीं चलते। यह भी सही है, कि कोई भी नेता ईमानदार बनकर अपार संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। ऐसा भी नहीं कि ईमानदारी से जनता का सेवा और क्षेत्र का विकास नहीं किया जा सकता। देखा जाए तो विकास पुरुष की परिभाषा ही बदल गई। विकास पुरुष उसे नहीं कहा जाता और माना जाता है, जिसने ईमानदारी से काम किया हो, विकास पुरुष वही लोग अपने आपको कहते हैं, जिसने विकास के नाम पर लूटखसोट किया।

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