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बीडीओ रामनगर के हटते ही भ्रष्ट प्रधानों को मिलेगा 2025 का खास तोहफा!

बीडीओ रामनगर के हटते ही भ्रष्ट प्रधानों को मिलेगा 2025 का खास तोहफा!

-नये साल का खास तोहफा पाने वालों की सूची में लगभग 50 से 55 प्रधानों का नाम सामने आ रहा

-पिछले चार सालों से अनैतिक लाभ लेने वाले प्रधानों की खुलेगी पोल, गांव वालों के सामने होगें नंगा

-नियम कानून को दरकिनार करके जिन प्रधानों ने पक्के कार्यो सहित पटरी मरम्मत और साफ-सफाई के नाम पर कुलदीप कुमार के कार्यकाल में लूटपाट किया, वे सभी हिसाब-किताब देने के लिए तैयार रहें

-जिस तरह कुछ प्रधानों ने चोरी और सीनाजोरी का फारमूला अपनाया, उसका खामियाजा तो उन्हें भुगतना ही पड़ेगा

बस्ती। रामनगर ब्लॉक के उन प्रधानों को नये साल का खास तोहफा मिलने वाला है, जिन लोगों ने चोरी और सीनाजोरी का फारमूला खासतौर पर वित्तीय साल 24-25 में और पिछले चार साल से अपनाते आ रहें हैं। सबसे अधिक चोरी और सीनाजोरी का फारमूला वित्तीय साल 24-25 में अपनाया। नये साल का खास तोहफा पाने वाले प्रधानों में 50 से 55 का नाम षामिल है। इन लोगों पर आरोप है, कि इन लोगों ने सारे नियम कानून तोड़कर करोड़ों रुपये का कच्चे और पक्के कार्य करवाए। गुणवत्ताविहीन कार्य कराने और फर्जी भुगतान लेने तक का आरोप है। इसमें पटरी मरम्मत और साफ-सफाई के नाम पर दो करोड़ से अधिक का बंदरबांट करने का भी मामला षामिल है। इन सभी की पोल गांव वालों के सामने खुलने वाली हैं, तब गांव वालों को पता चलेगा कि उसका प्रधान कितना ईमानदार और कितना बड़ा बेईमान है। इन प्रधानों ने ही अकेले लूटपाट नहीं किया, बल्कि इस लूटपाट में वर्तमान सहित  पूर्व के कई बीडीओ भी षामिल हैं/रहें हैंे।

इससे पहले हमने आप लोगों को दो करोड़ से अधिक का पटरी मरम्मत और साफ-सफाई के नाम पर कच्चे कार्य की स्वीकृति वर्तमान बीडीओ की ओर से दी गई, भुगतान भी करने की जानकारी मिल रही है, के बारे में बता चुके है। इनमें रामनगर ब्लॉक प्रधान संघ के अध्यक्ष पिंटू दूबे सहित लगभग 55 प्रधानों का नाम षामिल रहा। अब हम आप को उन ग्राम पंचायतों के प्रधानों का सच बताने जा रहे हैं, जिन्हें खंड विकास अधिकारियों ने 60-40 के अनुपात को तोड़कर अनैतिक लाभ पहुंचाया। ऐसे भी प्रधान रहें, जिन्हें कच्चे से अधिक पक्के कार्यो की मंजूरी दी, इनमें मैलानी उर्फ हिंदुनगर को ने अगर कच्चा कार्य लगभग 20 लाख का किया तो पक्का कार्य लगभग 21 लाख का किया। इनसे दो कदम आगे बेलगढ़ी के प्रधान निकले इन्होंने अगर 13.17 लाख का कच्चा कार्य करवाया तो 15.16 लाख का पक्का कार्य करवाया। 60-40 का अनुपात तोड़कर लाभान्वित होने वालों में ग्राम पंचायत सकटपुर के प्रधान भी षामिल है। इन्होंने कच्चा और पक्का बराबर कार्य किया, यानि कच्चा 18.08 लाख तो पक्का भी 18.08 लाख। सबसे अधिक चालाक तो ग्राम पंचायत अमरडीहा के प्रधान निकले, इन्होंने तो सभी को पीछे छोड़ दिया। अगर इन्होंने नौ लाख का कच्चा कार्य करवाया तो 11.47 लाख का पक्का कार्य करवाया। वैसे सबसे अधिक कच्चा और पक्का कार्य करावाने का रिकार्ड बरदियाखास के प्रधान के नाम रहा। इन्होंने कच्चा कार्य 57 लाख का तो पक्का कार्य 40 लाख का कराया। जमोहना के प्रधान के नाम अनूठा रिकार्ड रहा, इन्होंने अगर 94 हजार का कच्चा कार्य कराया तो 3.64 लाख का पक्का कार्य करवाया। इस मामले में परसाखुर्द बुजुर्ग उर्फ दरियापार जंगल के प्रधान अनलकी रहें, इन्होंने 16 लाख तो कच्चा काम करवा दिया, लेकिन इन्हें मात्र 94 हजार का पक्का कार्य की स्वीकृति दी गई। लगता है, कि इनकी ईमानदारी इनके रास्ते में आ गई। यही हाल षंकरपुर के प्रधान का भी रहा, कच्चा 15.50 लाख तो पक्का 2.89 लाख। षेखपुर चक दोस्त के प्रधान भी अनलकी रहें, इन्हें कच्चा को 12 लाख का तो पक्के का मात्र आठ हजार की स्वीकृति मिली। सिलवसिया और थुमहापांडेय के प्रधान पूरे ब्लॉक में सबसे अधिक अभाग्यशाली रहे। छह लाख का कच्चा कराया, लेकिन इन दोनों प्रधानों को एक रुपये का भी पक्के कार्य की स्वीकृति नहीं मिली। परसाकुतुब के प्रधान ने भी कच्चा और पक्का कार्य दोनों बराबर करवाया, कच्चा छह लाख तो पक्का भी छह लाख। क्या कोई बीडीओ इस बात का जबाव दे पाएगा, कि क्यों और किस लिए कच्चे कार्यो से अधिक पक्के कार्यो की स्वीकृति दी गई, जाहिर सी बात हैं, बखरा अधिक मिला होगा, इस लिए बीडीओ साहब लोगों ने 60-40 के अनुपात को तोड़ दिया। यह वह लोग जो अपने ग्राम पंचायतों को माडल बनाने और भ्रष्टाचार को मिटाने का दंभ भरते हैं। यह लोग भ्रष्टाचार तो नहीं मिटा पाए, और ना ही गांव को माडल बना पाए, अलबत्ता भ्रष्टाचार में डूब अवष्य गए। इन लोगों ने ना सिर्फ सरकारी धन को लूटा बल्कि विकास के नाम पर अपने वोटरों और गांव वालों को भी धोखा दिया। अगर ऐसे प्रधानों को नये साल का खास तोहफा नहीं मिला तो यह सरकार और जनता के साथ धोखा देने जैसा होगा। भ्रष्ट प्रधानों और बीडीओ को तो उनके किए की सजा मिलनी ही चाहिए, यही सामाजिक और न्याय का तकाजा भी है।

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