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अस्ताचलगामी’ सूर्य को ‘व्रती’ महिलाओं ने दिया ‘अर्घ्य’

अस्ताचलगामी’ सूर्य को ‘व्रती’ महिलाओं ने दिया ‘अर्घ्य’


बनकटी/बस्ती। आस्था के महापर्व छठ मईया की पूजा और भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी स्वरूप को बनकटी क्षेत्र की सैकड़ों व्रती महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र के तालाबों व पोखरों पर एकत्र होकर अर्घ्य दिया तथा छठ पूजा पर भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र मथौली जलाशय पर आरती में शामिल हुए। सोमवार को बनकटी नगर पंचायत के चन्द्रनगर, गांधीनगर, अम्बेडकर नगर, कृष्णा नगर व शंकरनगर वार्डों के छठघाटों पर मेले जैसा माहौल रहा, जहाँ व्रती महिलाओं की भारी भीड़ रही। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी चंद्रनगर वार्ड (मथौली) स्थित पोखरे पर भाजपा नेता इं. अरविंद पाल द्वारा छठ पर्व आयोजित किया गया। जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में छठ पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। मथौली छठघाट पर बना सेल्फी प्वाइंट आकर्षण का केंद्र रहा छठघाट पर पहुंचे जिलाध्यक्ष ने भी सेल्फी लेकर सेल्फी प्वाइंट व आयोजन की खूब सराहना की । मथौली घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने क्षेत्र के बनकटी सजहरा, देईसांड़, जोगियां, कोइलपुरवा, टिकवाजोत, धुसनाखोर, बसौढ़ी, दतुआखोर व फैलवा सहित दर्जनों गांव से गाजे बाजे के साथ आई सैकड़ो व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान मथौली जलाशय पर आयोजित छठपूजा और विवेकानंद मिश्रा आरती में शामिल हुए। इस अवसर पर भाजपा नेता रघुनाथ सिंह, विवेकानंद शुक्ल, जिपं सदस्य सुरेंद्र तिवारी, रविचन्द्र पाण्डेय, बीना पाल, डॉ.अरुणा पाल, राधेश्याम पाण्डेय, बाबूराम चौधरी, मोहम्मद वसीम, शशि गौड़, डब्लू वर्मा, दिनेश चौधरी, कौशल चौधरी, विनोद यादव, हिमांशू पाल, रमेश अग्रहरी, अभिषेक कुमार, गुड्डू पाल, अमरेश पाल, अतुल पाल, साधुशरण, अनुराग पाल, राममोहन पाल, धर्मेन्द्र पाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे ।

 बनकटी नगर पंचायत  में छठ महापर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर रहीं। मथौली छठ महापर्व क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र रहा। जिसके जनक बरिष्ठ समाज सेवी अरविन्द पाल माने जाते हैं। श्षष्ठीश् का अर्थ होता है छठी और इस दिन देवियों में से षष्ठी देवी की पूजा की जाती है. जो संतान की रक्षा और आरोग्य की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं. छठी मैया की पूजा विशेष रूप से बिहार पूर्वांचल सहित उत्तर भारत में बड़े ही श्रद्धा भाव से की जाती है चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा के अनुष्ठान में पहले दिन नहाए खाए से शुरुआत होती है. महापर्व के दूसरे दिन खरना का पूजा होता है. तीसरे दिन संध्या का अर्घ्य दिया जाता है. महापर्व के चौथे दिन सुबह के अर्घ्य के साथ चार दिनों के छठ पर्व का अनुष्ठान संपन्न होता है। छठ महापर्व में छठी मैया एवं सूर्य देवता की पूजा के महत्व की जानकारी दी. कहा कि हर देवता की एक शक्ति स्वरूपा होती है. सूर्य देवता की शक्ति स्वरूपा छठी मैया ही हैं. पौराणिक कथा के अनुसार 6 कृतिका ने मिलकर देवी का रूप लिया.

सूर्य उपासना से पहले षष्ठी देवी की पूजा किसी भी देवता की पूजा से पहले उनकी शक्ति की पूजा की जाती है. जैसे विष्णु की पूजा से पहले लक्ष्मी की पूजा, महादेव की पूजा से पहले पार्वती जी की पूजा, ब्रह्मा की पूजा से पहले सरस्वती जी की पूजा जाती है. वैसे ही सूर्य उपासना से पहले षष्ठी देवी की पूजा की जाती है।चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में संध्या का अर्घ्य सूर्य की शक्ति स्वरूपा षष्ठी माता को पड़ता है. इसीलिए शाम के अर्थ को प्रतिहार षष्ठीव्रत कहा जाता है. संध्याकालीन आराधना में सूर्य की सविता जो षष्ठी मां के नाम से जानी जाती है. उनके निमित्त सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. प्रतिहार षष्ठी व्रत उपासना के बाद उदयकालिक व्रत में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.। छठी मैया का इतिहास और महत्वरू प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी को संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था. तब उन्होंने महर्षि कश्यप के परामर्श से यज्ञ किया। यज्ञ के परिणामस्वरूप उन्हें संतान तो मिली पर वह मृत जन्मी थी. तब माता षष्ठी ने प्रकट होकर उन्हें अपने विधि-विधान से पूजा करने का उपदेश दिया. राजा और रानी ने माता षष्ठी के इस विधान को अपनाया और उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। तभी से छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई।

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