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आई०सी०ए०आर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों के वेतन एवं सेवा संबंधी विसंगति को लेकर देशव्यापी एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल

आई०सी०ए०आर द्वारा कृषि विज्ञान  केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों के वेतन एवं सेवा संबंधी विसंगति को लेकर देशव्यापी एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल
मोहम्मद रईस
पचपेड़वा बलरामपुर/ आई०सी०ए०आर द्वारा कृषि विज्ञान  केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों के वेतन एवं सेवा संबंधी विसंगति को लेकर देशव्यापी एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल हुई। आई०सी०ए०आर द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों  के वैज्ञानिकों एवं कार्मिकों के वेतन एवं सेवा संबंधी विसंगत को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र, पचपेड़वा परिसर में एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन किया गया । इसका आह्वान केवीके नेशनल फोरम द्वारा किया गया  । कृषि विज्ञान केंद्र देश में सन 1974 से किसानों के बीच जमीनी स्तर पर नवीनतम तकनीकी के स्थानांतरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में कार्य कर रहा है। यह दुनिया के सबसे बड़ी कृषि विस्तार प्रणाली है जो किसानों को वैज्ञानिकों से जोड़ती है। जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र राज्य कृषि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम कर रहे हैं तथा उन्ही के द्वारा ही वैज्ञानिकों की नियुक्ति की जाती है जिससे वह विश्वविद्यालय के कार्मिक हैं । विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार चयन की प्रक्रिया शैक्षणिक, शोध एवं प्रसार में समान लागू होती है और तीनों क्षेत्र एक बराबर समान रूप से माने जाते हैं इसलिए वैज्ञानिकों को यूजीसी व्यवस्था के अनुसार शैक्षणिक एजीपी ₹ 7000 ₹8000 ₹9000 एवं ₹10000 दिया गया है। साथ ही सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष का प्राविधान नियुक्ति के समय दिया गया था। नम्रता शर्मा उप महासचिव आई०सी०ए०आर एवं बलराज सिंह अवर सचिव आईसीआर के द्वारा प्रेषित पत्र के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में 29.03 .2011 के पूर्व नियुक्त समस्त वैज्ञानिकों को यूजीसी वेतनमान एजीपी ₹6000 दिए जाने का आदेश निर्गत है तत्क्रम को में विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय-समय पर नियमानुसार वैज्ञानिकों को एजीपी ₹7000 ₹8000 एवं ₹9000 वेतनमान प्रदान किया है। परंतु निदेशक श्रीमती सुनीता शर्मा के द्वारा दिनांक 20.08. 2024 को निराशा पैदा करने वाला पत्र जारी किया गया है। जिसके तहत वैज्ञानिकों को गैर शैक्षणिक माना है वैज्ञानिकों की सेवा निवृत्ति की उम्र भी घटा दी गई है जो की 62 वर्ष से 60 वर्ष कर दी गई है। इसके साथ ही केवीके वैज्ञानिकों को समस्त लाभ से वंचित कर दिया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत वैज्ञानिकों को ना ही पुरानी पेंशन दिया जा रहा है और ना ही नई पेंशन स्कीम में शामिल किया जा रहा है समस्त वैज्ञानिक पूरी तरह पेंशन विहीन है सेवानिवृत्ति के बाद उनके पास अपने और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है। इसलिए निदेशक सुनीता शर्मा का 20 अगस्त 2024 को जारी पत्र को निरस्त करने एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को पूर्व की भाँति यूजीसी व्यवस्था के द्वारा शैक्षणिक लाभ प्रदान करवाने सेवानिवृत्त की उम्र 62 वर्ष करवाने एवं पेंशन में शामिल करवाने/दिलवाने ग्रेच्युटी लाभ, अवकाश नगदीकरण, चिकित्सा भत्ता आदि को जारी रखने के लिए मांग की गई है।

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