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20 दिन तक बच्‍चों की आंखों पर रहेगा खतरा, हो सकता है अंधापन,

20 दिन तक बच्‍चों की आंखों पर रहेगा खतरा, हो सकता है अंधापन,

20 दिन तक बच्‍चों की आंखों पर रहेगा खतरा, हो सकता है अंधापन, एम्‍स डॉ. ने दी पेरेंट्स को जरूरी सलाह       त्‍यौहार का सीजन चल रहा है. नवरात्र के बाद दशहरा और फिर दिवाली की तैयारियों के दौरान बड़ों से ज्‍यादा बच्‍चे मस्‍ती के मूड में रहते हैं. स्‍कूलों में छुट्टियां पड़ने के साथ ही पटाखे, फुलझड़ी चलाने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. हालांकि 20 दिनों का यह त्‍योहारी सीजन जितना मजेदार होता है, बच्‍चों की सेहत और खासतौर पर आंखों के लिए उतना ही नुकसानदेह होता है. बच्‍चों की आंखों में चोट लगने के सबसे ज्‍यादा मामले इन्‍हीं दिनों में अस्‍पतालों आते हैं. वहीं कई बार यह चोट इतनी गंभीर होती है कि बच्‍चे की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है और उस अंधेपन को ठीक भी नहीं किया जा सकता.


आरपी सेंटर, एम्‍स नई दिल्‍ली की प्रोफेसर नम्रता शर्मा का कहना है कि आने वाले 20 दिन फेस्‍टि‍व सीजन रहने वाला है. हर साल ही दशहरा से लेकर दिवाली तक अस्‍पतालों में बहुत सारे बच्‍चे आंखों की इंजरीज लेकर आते हैं. आंखों की ये चोट अक्‍सर कैमिकल या मैकेनिकल होती हैं. वहीं दशहरा और दिवाली पर कैमिकल इंजरीज का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है.      डॉ. नम्रता कहती हैं कि आंख में अगर एक बार कैमिकल इंजरी हो जाए तो उसे ठीक करना काफी मुश्किल होता है. वह कई बार कभी न ठीक होने वाले अंधेपन का भी कारण बनती है. ऐसे मरीजों में ट्रांसप्‍लांटेशन तक करना पड़ता है. हालांकि उसका रिजल्‍ट भी बहुत अच्‍छा नहीं होता. लिहाजा इस तरह की ब्‍लाइंडनेस न हो, इसके लिए जरूरी है कि इसे रोकने के लिए बचाव के तरीकों पर ध्‍यान दिया जाए. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्‍लाइंडनेश ने भी कहा है कि इस बार सभी पीडियाट्रिक आई केयर पर फोकस करेंगे.

डॉ. कहती हैं कि जब भी फायर क्रैकर्स इंजरीज होती हैं तो वे मैकेनिकल डैमेज भी करती हैं और कैमिकल डैमेज भी करती हैं लेकिन अच्‍छी बात ये है कि आंखों में कैमिकल इंजरीज को होने से रोका जा सकता है, जब भी आप पटाखे चलाएं तो बचाव के कुछ तरीकों को जरूर अपनाएं.       

दशहरा और दिवाली पर फायर पटाखे, फुलझड़ी आदि चलाई जाती ही हैं, इस दौरान पेरेंट्स को बहुत केयरफुल होने की जरूरत है. वे बच्‍चों को अपनी निगरानी में रखकर ही फायर क्रैकर्स या पटाखे चलवाएं.


.इस सीजन में देखा जाता है कि बच्‍चों की आंखों में सबसे ज्‍यादा इंजरीज होती हैं. जैसे दशहरा पर लोग तीर-कमान चलाते हैं उससे भी आंखों में चोट लगती है. लिहाजा इन चीजों का भी ध्‍यान रखें.

. एक बार आंख में अगर कैमिकल इंजरी हो जाए तो उसका इलाज काफी मुश्किल होता है. ये कैमिकल्‍स आंखों में हाथों से भी लग सकते हैं. फायर क्रैकर्स चलाने के बाद बच्‍चों के हाथ साबुन से जरूर धुलवाएं. कई बार आंखों में चुभन होने पर बच्‍चे पटाखों की बारूद या कैमिकल्‍स

. पटाखों से निकलने वाला धुआं और कैमिकल्‍स आंखों की सेंसिट‍िव लेयर्स को नुकसान पहुंचाते हैं. कई बार पटाखों से निकलने वाली चिंगारी आंखों में लग जाती है और आंख घायल हो जाती है, ऐसे में बच्‍चे अगर पटाखों को जलते हुए भी देख रहे हैं तो पर्याप्‍त दूरी बनाकर रखें. छोटे बच्‍चों के हाथों में पटाखे बिल्‍कुल भी न दें.



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